हाल ही में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2015 के दिए आदेश के मुताबिक 10 साल पुरानी डीजल कार और 15 साल पुरानी पेट्रोल कार पर प्रतिबंध है। लेकिन नई राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति आने के बाद अब वाहनों पर व्हीकल फिटनेस का नियम लागू होगा न कि उनकी उम्र का। वहीं उन्होंने यह भी कहा था कि मंत्रालय एनजीटी के आदेश पर कानूनी सलाह लेगा। अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और डीजल कार का इस्तेमाल करते हैं तो फिलहाल 10 साल पूरे होने पर आपके पास क्या विकल्प बचते हैं। आइए जानते हैं सवालों के माध्यम से...
ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए फिटनेस का नियम कोई राहत लेकर नहीं आया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहना था कि एक डीजल व्हीकल 24 पेट्रोल कारों या 40 सीएनजी व्हीकल्स के बराबर प्रदूषण करता है। जिसके बाद एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर के आरटीओ को ऐसे सभी वाहन डी-रजिस्टर करने का आदेश दिया था। यह आदेश उन सभी गाड़ियों पर भी लागू होता है जो 2014 से पहले खरीदी गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 15-20 साल पुराने वाहनों की संख्या 15 लाख है, जबकि 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की संख्या 24.5 लाख से ज्यादा है। दिल्ली में 3 लाख 10 साल पुराने डीजल वाहन हैं, वहीं 15 साल पुराने डीजल वाहनों की संख्या एक लाख है।
क्या आप दिल्ली में रजिस्टर 15 साल से ज्यादा पुरानी डीजल कार को बेच या ट्रांसफर कर सकते हैं?
इसका स्पष्ट उत्तर है नहीं। क्योंकि राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति दिल्ली में लागू नहीं होती है। ऐसे में दिल्ली का परिवहन विभाग आपको नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं देगा। ताकि आप उसे किसी और राज्य में रजिस्ट्रेशन करवा सकें। 15 साल पुराने वाहन को स्क्रैप करना ही होगा।
क्या आप दिल्ली में रजिस्टर्ड 10 साल पुरानी डीजल कार को ट्रांसफर या बेच सकते हैं?
हां, ऐसा कर संभव है। लेकिन दिल्ली में रहने वाले को आप नहीं बेच सकते हैं। कुछ खास राज्यों और शहरों में रहने वालों को ही ये कार बेची जा सकती है। इसके लिए आपको दिल्ली परिवहन विभाग से एनओसी लेनी होगी।
किन राज्यों या जिलों में यह एनओसी मान्य होगी?
राजस्थान और मेघालय के सभी जिलों में यह मान्य है। साथ ही बिहार के 18 जिलों (अरवाल, श्योहर, लखीसराय, शेखपुरा, बांका, जहानाबाद, जमुई, कैमूर-भभुआ, नवादा, महुपुरा, सुपौल, खगरिया, बक्सर, मुंगेर, सहरसा, अररिया, किशनगंज और औरंगाबाद)।
वहीं उत्तर प्रदेश के 33 जिलों (इटावा, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, कुशीनगर, फर्रुखाबाद, जौनपुर, बलिया, सुल्तानपुर, गाजीपुर, मैनपुरी, प्रतापगढ़, सिदार्थनगर, महाराजगंज, श्रावस्ती, औरैया, सोनभद्र, फतेहपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, बदायूं, बलरामपुर, हरदोई, बहराइच, उरई, एटा, कंशी राम नगर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट, हमीपुर और अमेठी शामिल हैं।
वहीं महाराष्ट्र के 26 निगमों/जिलों के लिए भी एनओसी ली जा सकती है। इनमें मुंबई, थाणे, मीरा-भयंदर, नवी मुंबई, कल्याण-डोंबुवली, उल्हासनगर, भिवंडी-निजामपुर, वसाई-विरार, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, कोल्हापुर, सांगली-मिराज-कुपवाड़, सोलापुर, अहमदनगर,नासिक, मुलेगांव, जलगांव, धुले, औरंगाबाद, नांदेड़-वाघला, परभणी सिटी, लातूर, अकोला, अमरावती, नागपुर और चंद्रपुर शामिल हैं।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में केवल कोलकाता में बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
इन जिलों में 10-15 साल पुराने वाहनों को रजिस्टर कराने के लिए कैसे एनओसी के लिए अप्लाई करें?
- स्टेप-1- इसके लिए पहले आपको परिवहन-वाहन वेबसाइट पर ऑनलाइन सर्विसेज के एक्सेस के लिए खुद को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- स्टेप-2- इसके बाद Opt for NOC for other states में जाकर अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर फीड करें।
- स्टेप-3- नए खरीदार की डिटेल्स भरें, जिसमें उसका पता और दूसरी जानकारी भरनी होंगी।
- स्टेप-4- अब प्रिंटआउट लेकर व्हीकल का चेसिस नंबर भरें।
- स्टेप-5- अब सबमिट करें। आपके मोबाइल फोन पर अपडेट आ जाएगा।
दिल्ली परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के लिए पांच कबाड़ कंपनियों को अधिकृत किया हुआ है। जो पुराने वाहन की स्क्रेप वेल्यू चुका कर उसे कबाड़ में बदल देते हैं। ये कंपनियां ग्राहकों के घर से पुराने वाहनों को उठा ले जाती हैं और ग्राहक को कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं स्थानीय ट्रांसपोर्ट ऑफिस से वह वाहन अपंजीकृत भी हो जाता है।
अगर वाहन स्वामी चाहें तो अपने कबाड़ हुए पुराने व्हीकल का रजिस्ट्रेशन नंबर नई कार पर भी ट्रांसफर करवा सकते हैं। इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा।
आरसी पर तो 15 साल की वैधता है!
अगर आपकी गाड़ी दिल्ली-एनसीआर में रजिस्टर है और गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर 15 साल की वैधता लिखी है, तो भी अगर वह डीजल गाड़ी है तो 10 साल और पेट्रोल गाड़ी है तो 15 साल ही चल सकेगी। दिल्ली एनसीआर में राजधानी दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के 8 जिले (मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर), हरियाणा के 13 जिले (फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, चरखी-दादरी के साथ भिवानी, महेंद्रगढ़, जिंद और करनाल) और राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर आते हैं। इन जिलों में भी 10 और 15 साल वाला नियम लागू होगा।
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हाल ही में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2015 के दिए आदेश के मुताबिक 10 साल पुरानी डीजल कार और 15 साल पुरानी पेट्रोल कार पर प्रतिबंध है। लेकिन नई राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति आने के बाद अब वाहनों पर व्हीकल फिटनेस का नियम लागू होगा न कि उनकी उम्र का। वहीं उन्होंने यह भी कहा था कि मंत्रालय एनजीटी के आदेश पर कानूनी सलाह लेगा। अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और डीजल कार का इस्तेमाल करते हैं तो फिलहाल 10 साल पूरे होने पर आपके पास क्या विकल्प बचते हैं। आइए जानते हैं सवालों के माध्यम से...
ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए फिटनेस का नियम कोई राहत लेकर नहीं आया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहना था कि एक डीजल व्हीकल 24 पेट्रोल कारों या 40 सीएनजी व्हीकल्स के बराबर प्रदूषण करता है। जिसके बाद एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर के आरटीओ को ऐसे सभी वाहन डी-रजिस्टर करने का आदेश दिया था। यह आदेश उन सभी गाड़ियों पर भी लागू होता है जो 2014 से पहले खरीदी गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 15-20 साल पुराने वाहनों की संख्या 15 लाख है, जबकि 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की संख्या 24.5 लाख से ज्यादा है। दिल्ली में 3 लाख 10 साल पुराने डीजल वाहन हैं, वहीं 15 साल पुराने डीजल वाहनों की संख्या एक लाख है।
क्या आप दिल्ली में रजिस्टर 15 साल से ज्यादा पुरानी डीजल कार को बेच या ट्रांसफर कर सकते हैं?
इसका स्पष्ट उत्तर है नहीं। क्योंकि राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति दिल्ली में लागू नहीं होती है। ऐसे में दिल्ली का परिवहन विभाग आपको नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं देगा। ताकि आप उसे किसी और राज्य में रजिस्ट्रेशन करवा सकें। 15 साल पुराने वाहन को स्क्रैप करना ही होगा।
क्या आप दिल्ली में रजिस्टर्ड 10 साल पुरानी डीजल कार को ट्रांसफर या बेच सकते हैं?
हां, ऐसा कर संभव है। लेकिन दिल्ली में रहने वाले को आप नहीं बेच सकते हैं। कुछ खास राज्यों और शहरों में रहने वालों को ही ये कार बेची जा सकती है। इसके लिए आपको दिल्ली परिवहन विभाग से एनओसी लेनी होगी।
किन राज्यों या जिलों में यह एनओसी मान्य होगी?
राजस्थान और मेघालय के सभी जिलों में यह मान्य है। साथ ही बिहार के 18 जिलों (अरवाल, श्योहर, लखीसराय, शेखपुरा, बांका, जहानाबाद, जमुई, कैमूर-भभुआ, नवादा, महुपुरा, सुपौल, खगरिया, बक्सर, मुंगेर, सहरसा, अररिया, किशनगंज और औरंगाबाद)।
वहीं उत्तर प्रदेश के 33 जिलों (इटावा, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, कुशीनगर, फर्रुखाबाद, जौनपुर, बलिया, सुल्तानपुर, गाजीपुर, मैनपुरी, प्रतापगढ़, सिदार्थनगर, महाराजगंज, श्रावस्ती, औरैया, सोनभद्र, फतेहपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, बदायूं, बलरामपुर, हरदोई, बहराइच, उरई, एटा, कंशी राम नगर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट, हमीपुर और अमेठी शामिल हैं।
वहीं महाराष्ट्र के 26 निगमों/जिलों के लिए भी एनओसी ली जा सकती है। इनमें मुंबई, थाणे, मीरा-भयंदर, नवी मुंबई, कल्याण-डोंबुवली, उल्हासनगर, भिवंडी-निजामपुर, वसाई-विरार, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, कोल्हापुर, सांगली-मिराज-कुपवाड़, सोलापुर, अहमदनगर,नासिक, मुलेगांव, जलगांव, धुले, औरंगाबाद, नांदेड़-वाघला, परभणी सिटी, लातूर, अकोला, अमरावती, नागपुर और चंद्रपुर शामिल हैं।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में केवल कोलकाता में बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
इन जिलों में 10-15 साल पुराने वाहनों को रजिस्टर कराने के लिए कैसे एनओसी के लिए अप्लाई करें?
- स्टेप-1- इसके लिए पहले आपको परिवहन-वाहन वेबसाइट पर ऑनलाइन सर्विसेज के एक्सेस के लिए खुद को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- स्टेप-2- इसके बाद Opt for NOC for other states में जाकर अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर फीड करें।
- स्टेप-3- नए खरीदार की डिटेल्स भरें, जिसमें उसका पता और दूसरी जानकारी भरनी होंगी।
- स्टेप-4- अब प्रिंटआउट लेकर व्हीकल का चेसिस नंबर भरें।
- स्टेप-5- अब सबमिट करें। आपके मोबाइल फोन पर अपडेट आ जाएगा।
दिल्ली परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के लिए पांच कबाड़ कंपनियों को अधिकृत किया हुआ है। जो पुराने वाहन की स्क्रेप वेल्यू चुका कर उसे कबाड़ में बदल देते हैं। ये कंपनियां ग्राहकों के घर से पुराने वाहनों को उठा ले जाती हैं और ग्राहक को कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं स्थानीय ट्रांसपोर्ट ऑफिस से वह वाहन अपंजीकृत भी हो जाता है।
अगर वाहन स्वामी चाहें तो अपने कबाड़ हुए पुराने व्हीकल का रजिस्ट्रेशन नंबर नई कार पर भी ट्रांसफर करवा सकते हैं। इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा।
आरसी पर तो 15 साल की वैधता है!
अगर आपकी गाड़ी दिल्ली-एनसीआर में रजिस्टर है और गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर 15 साल की वैधता लिखी है, तो भी अगर वह डीजल गाड़ी है तो 10 साल और पेट्रोल गाड़ी है तो 15 साल ही चल सकेगी। दिल्ली एनसीआर में राजधानी दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के 8 जिले (मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर), हरियाणा के 13 जिले (फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, चरखी-दादरी के साथ भिवानी, महेंद्रगढ़, जिंद और करनाल) और राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर आते हैं। इन जिलों में भी 10 और 15 साल वाला नियम लागू होगा।