वास्तु, प्रकृति से मनुष्य के सांमजस्य को बनाए रखने की वह कला है जो दस दिशाओं तथा पंच तत्वों पर आधारित होती है। किसी भी दिशा या तत्व के दोषयुक्त हो जाने पर वास्तु नकारात्मक प्रभाव देने लगती है, जिससे कारण वहां निवास करने वालों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु के अनुरूप प्लॉट या भवन के मध्य भाग को ब्रह्मस्थान माना गया है।