प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन किया और इस संबोधन में उन्होंने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया। आपको बता दें कि तीनों कृषि कानून के विरोध में कई राज्यों के किसान पिछले 1 साल से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 17 सितंबर को लोकसभा में पास हुए तीनों कृषि कानून क्या थे और क्यों उन्हें लेकर विवाद हो रहा था।
आइए हम आपको बताते हैं विस्तार से पहला कानून था आवश्यक वस्तु संशोधन कानून 2020 इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज, आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया था। ऐसा माना जा रहा था कि इस कानून के प्रावधान से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा। इस कानून में 1955 में संशोधन किया गया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी रोकना था।
दूसरा कानून था कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा कानून 2020 इस कानून के तहत किसान एमपीएमसी यानी कृषि उत्पाद विपणन समिति के बाहर भी अपना उत्पाद या फसल भेज सकते थे। इस कानून के तहत देश में एक इको सिस्टम बनाया जाएगा जिसमें किसान और व्यापारी मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेचने के लिए आजाद होंगे। नए कानून के मुताबिक किसानों या उनके खरीददारों को मंडियों में कोई फीस भी नहीं देनी होगी इस प्रावधान के तहत दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलता।
अब बात करते हैं तीसरे कानून की कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 इस कानून का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलवाना था। इसके तहत कोई किसान फसल उगाने से पहले किसी भी व्यापारी से समझौता कर सकता है। इस समझौते में फसल की कीमत तय हो जाएगी। कानून के मुताबिक किसान को फसल की डिलीवरी के समय दो तिहाई राशि का ही भुगतान करना था। बाकी पैसा व्यापारी को 30 दिन में देना होता था।
अब चलिए आपको बताते हैं कि क्यों इन तीनों कृषि कानून का विरोध हो रहा था। दरअसल किसान संगठनों का आरोप था कि नए कानून से कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट और पूंजीपतियों का दबदबा बढ़ेगा। कॉरपोरेट हाथों में कृषि क्षेत्र जाने का डर किसानों को सता रहा था। नए बिल के मुताबिक सरकार आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर नियंत्रण भी करती ऐसे में किसानों को डर था। नए कानून में जमाखोरी पर एक्शन भी लिया जा सकता था ।किसानों का कहना था कि इन कानूनों में यह साफ नहीं है कि मंडी के बाहर किसानों का न्यूनतम मूल्य उन्हें मिलेगा या नहीं। ऐसे में यह हो सकता था कि किसी फसल का ज्यादा उत्पादन होने पर व्यापारी किसानों से कम कीमत पर उसे खरीदे ।
एक बड़ा कारण यह भी बताया गया कि सरकार फसल के भंडारण की अनुमति दे रही थी लेकिन किसानों के पास इतने संसाधन नहीं होते कि वह बखूबी इसका भंडारण कर सकें इसलिए किसान और सरकारों के बीच बात नहीं बनी और लगातार किसान संगठन इन तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। फ़िलहाल प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से गुजारिश की है कि सभी आंदोलनकारी किसान वापस लौटें और इस शीतकालीन सत्र पर इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर चर्चा होगी।
1. आवश्यक वस्तु संशोधन कानून 2020
अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज, आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान
इस कानून के प्रावधान से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा
मुख्य उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी रोकना
2.कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा कानून 2020
कृषि उत्पाद विपणन समिति के बाहर भी अपनी फसल भेज सकते थे
किसानों या उनके खरीददारों को मंडियों में कोई फीस भी नहीं देनी होगी
इस प्रावधान के तहत दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलता
3.कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020
इस कानून का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलवाना
किसान फसल उगाने से पहले किसी भी व्यापारी से समझौता कर सकता है
इस समझौते में फसल की कीमत पहले ही तय हो जाएगी