इस वर्ष मकर संक्रांति पर 29 साल बाद सूर्य-शनि की युति मकर संक्रांति को विशेष बना रही है। एक महीने तक सूर्य और शनि मकर राशि में रहेंगे। मकर संक्रांति पर ब्रह्म, ब्रज, बुधादित्य योग का एक साथ समागम हो रहा है। मकर संक्रांति पर इस बार सूर्य का वाहन शेर है, जो काफी शुभ फल देने वाला माना जाता है।
मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं, क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने कहा कि उत्तरायणी मनाने का विशेष कारण यह भी माना जाता है कि दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक व उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
कहा कि सूर्य धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी को रात 8:34 बजे गोचर करेंगे। मकर संक्रांति पर पुण्य काल का स्नान और दान करने का शुभ समय 15 जनवरी को होगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा। विवाह आदि शुभ मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। कहा कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी, तिल, गुड़, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना शुभ होता है।
देश में अलग-अलग परंपराओं से मनाई जाती है मकर संक्रांति
रुद्रपुर। मकर संक्राति देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नाम व अलग परंपराओं के साथ मनाई जाती है। तमिलनाडु में पोंगल, यूपी और बिहार में खिचड़ी का खास महत्व है। गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला के नाम से मनाई जाती है जबकि उत्तराखंड में घुघुति और उत्तरैणी के नाम से प्रचलित है।
इस वर्ष मकर संक्रांति पर 29 साल बाद सूर्य-शनि की युति मकर संक्रांति को विशेष बना रही है। एक महीने तक सूर्य और शनि मकर राशि में रहेंगे। मकर संक्रांति पर ब्रह्म, ब्रज, बुधादित्य योग का एक साथ समागम हो रहा है। मकर संक्रांति पर इस बार सूर्य का वाहन शेर है, जो काफी शुभ फल देने वाला माना जाता है।
मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं, क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने कहा कि उत्तरायणी मनाने का विशेष कारण यह भी माना जाता है कि दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक व उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
कहा कि सूर्य धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी को रात 8:34 बजे गोचर करेंगे। मकर संक्रांति पर पुण्य काल का स्नान और दान करने का शुभ समय 15 जनवरी को होगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा। विवाह आदि शुभ मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। कहा कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी, तिल, गुड़, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना शुभ होता है।
देश में अलग-अलग परंपराओं से मनाई जाती है मकर संक्रांति
रुद्रपुर। मकर संक्राति देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नाम व अलग परंपराओं के साथ मनाई जाती है। तमिलनाडु में पोंगल, यूपी और बिहार में खिचड़ी का खास महत्व है। गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला के नाम से मनाई जाती है जबकि उत्तराखंड में घुघुति और उत्तरैणी के नाम से प्रचलित है।