ऋषिकेश। कोरोना संक्रमण के बढ़ते साए के बीच अगले माह शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को कोविड वैक्सीनेशन का सुरक्षा कवच चाहिए, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा, जब यात्रा से जुड़े लोगों का अभी से प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण शुरू किया जाए। यात्रा से जुड़े परिवहन और होटल व्यावसायियों को आशंका है कि यदि इस वर्ष भी यात्रा नहीं चली तो वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से नाममात्र की यात्रा संचालित हुई थी। चारधाम यात्रा 2020 कपाट खुलने के बाद 19 नवंबर तक चारों धामों में मात्र 311877 यात्री ही पहुंचे थे। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष कपाट खुलने की तिथि 15 मई से 19 नवंबर तक बदरीनाथ धाम में कुल 145328 यात्री पहुंचे थे, जबकि 29 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद 16 नवंबर तक केदारनाथ धाम में 134981 यात्री पहुंचे थे। इस तरह गंगोत्री और यमुनोत्री में 26 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद 15 नवंबर तक क्रमश: 23837 और 7731 यात्री ही पहुंचे थे। इस वर्ष कोरोना का साया यात्रा पर न पड़े, इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी। परिवहन और होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार यात्रा से संबंधित दूसरी तैयारियों पर तो जोर दे रही है, लेकिन कोरोना का संक्रमण बढ़ने की स्थिति में क्या होगा, इस पर कोई बात नहीं कर रहा है। जबकि जरूरत इस बात की है कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए अभी से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन शुरू किया जाए ताकि आने वाले दिनों में यात्रा का संचालन सुरक्षित तरीके से किया जा सके।
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इस वर्ष कब खुलेंगे कपाट
ऋषिकेश। इस यात्रा वर्ष श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई, श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई, श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई और श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 10 मई को खुल रहे हैं।
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इस बार भी यात्रा नहीं चली तो हम बर्बाद हो जाएंगे...
ऋषिकेश। यातायात सहकारी संघ के अध्यक्ष मनोज ध्यानी का कहना है कि गत वर्ष जब कोरोना फैला तो बाहर से प्रवासी उत्तराखंड पहुंचे, रोडवेज की बसों ने उन्हें ऋषिकेश तक पहुंचाया, जबकि इसके आगे की यात्रा निजी परिवहन कंपनियों ने कराई। तब भी उन ड्राइवर-कंडक्टर को फ्रंट लाइन वर्कर में नहीं रखा गया। अब जब यात्रा शुरू होने वाली है, तब भी प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। वे शीघ्र ही इस विषय में मुख्यमंत्री से मिलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा नहीं चली तो कई लोग दिवालिया हो जाएंगे। उनकी यात्रा में 1200 से 1500 गाड़ियां चलती हैं। इसके अलावा अन्य रूटों को मिलाकर ढाई से तीन हजार बसें चलती हैं। लोगों ने लोन उठाकर गाड़ियां ले रखी हैं। उनकी किश्त कैसे भरी जाएगी, टैक्स कैसे जमा करेंगे। ये तमाम मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को विचार करना ही होगा।
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हमारे यहां करीब साढ़े चार सौ से अधिक होटल हैं। इससे कई परिवारों की रोजी रोटी इससे जुड़ी है। होटल व्यवसाय ही नहीं, इससे जुड़े तमाम दूसरे लोगों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगना चाहिए। सरकार यात्रा से पूर्व क्या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करती है, ये देखने वाली बात होगी, लेकिन किसी भी हालात में यात्रा चलनी चाहिए। होटलियर्स अब और मंदी सहन करने की स्थिति में नहीं हैं।
- रवि भंडारी, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन ऑफ तपोवन-लक्ष्मणझूला
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ऋषिकेश में करीब 140 होटल हैं। सभी यात्रा पर निर्भर हैं। कुंभ में भी रिस्पांस नहीं मिल रहा है। सरकार की नीति ही स्पष्ट नहीं है। लोग आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बार्डर से लौटा दिया जा रहा है। चारधाम यात्रा के लिए बहुत से लोगों ने बुकिंग कराई थी, लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के चलते वे लोग अपनी बुकिंग रद्द करवा रहे हैं। ऐसे में लोगों के बीच संशह की स्थिति है।
- मदन गोपाल नागपाल, अध्यक्ष, ऋषिकेश होटल एसोसिएशन
कोट:
अगले माह से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए कोरोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए यह जरूरी है। चारधाम यात्रा के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों के क्रम में अलग से एसओपी जारी की जाएगी। -सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री
ऋषिकेश। कोरोना संक्रमण के बढ़ते साए के बीच अगले माह शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को कोविड वैक्सीनेशन का सुरक्षा कवच चाहिए, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा, जब यात्रा से जुड़े लोगों का अभी से प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण शुरू किया जाए। यात्रा से जुड़े परिवहन और होटल व्यावसायियों को आशंका है कि यदि इस वर्ष भी यात्रा नहीं चली तो वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से नाममात्र की यात्रा संचालित हुई थी। चारधाम यात्रा 2020 कपाट खुलने के बाद 19 नवंबर तक चारों धामों में मात्र 311877 यात्री ही पहुंचे थे। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष कपाट खुलने की तिथि 15 मई से 19 नवंबर तक बदरीनाथ धाम में कुल 145328 यात्री पहुंचे थे, जबकि 29 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद 16 नवंबर तक केदारनाथ धाम में 134981 यात्री पहुंचे थे। इस तरह गंगोत्री और यमुनोत्री में 26 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद 15 नवंबर तक क्रमश: 23837 और 7731 यात्री ही पहुंचे थे। इस वर्ष कोरोना का साया यात्रा पर न पड़े, इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी। परिवहन और होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार यात्रा से संबंधित दूसरी तैयारियों पर तो जोर दे रही है, लेकिन कोरोना का संक्रमण बढ़ने की स्थिति में क्या होगा, इस पर कोई बात नहीं कर रहा है। जबकि जरूरत इस बात की है कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए अभी से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन शुरू किया जाए ताकि आने वाले दिनों में यात्रा का संचालन सुरक्षित तरीके से किया जा सके।
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इस वर्ष कब खुलेंगे कपाट
ऋषिकेश। इस यात्रा वर्ष श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई, श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई, श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई और श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 10 मई को खुल रहे हैं।
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इस बार भी यात्रा नहीं चली तो हम बर्बाद हो जाएंगे...
ऋषिकेश। यातायात सहकारी संघ के अध्यक्ष मनोज ध्यानी का कहना है कि गत वर्ष जब कोरोना फैला तो बाहर से प्रवासी उत्तराखंड पहुंचे, रोडवेज की बसों ने उन्हें ऋषिकेश तक पहुंचाया, जबकि इसके आगे की यात्रा निजी परिवहन कंपनियों ने कराई। तब भी उन ड्राइवर-कंडक्टर को फ्रंट लाइन वर्कर में नहीं रखा गया। अब जब यात्रा शुरू होने वाली है, तब भी प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। वे शीघ्र ही इस विषय में मुख्यमंत्री से मिलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा नहीं चली तो कई लोग दिवालिया हो जाएंगे। उनकी यात्रा में 1200 से 1500 गाड़ियां चलती हैं। इसके अलावा अन्य रूटों को मिलाकर ढाई से तीन हजार बसें चलती हैं। लोगों ने लोन उठाकर गाड़ियां ले रखी हैं। उनकी किश्त कैसे भरी जाएगी, टैक्स कैसे जमा करेंगे। ये तमाम मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को विचार करना ही होगा।
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हमारे यहां करीब साढ़े चार सौ से अधिक होटल हैं। इससे कई परिवारों की रोजी रोटी इससे जुड़ी है। होटल व्यवसाय ही नहीं, इससे जुड़े तमाम दूसरे लोगों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगना चाहिए। सरकार यात्रा से पूर्व क्या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करती है, ये देखने वाली बात होगी, लेकिन किसी भी हालात में यात्रा चलनी चाहिए। होटलियर्स अब और मंदी सहन करने की स्थिति में नहीं हैं।
- रवि भंडारी, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन ऑफ तपोवन-लक्ष्मणझूला
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ऋषिकेश में करीब 140 होटल हैं। सभी यात्रा पर निर्भर हैं। कुंभ में भी रिस्पांस नहीं मिल रहा है। सरकार की नीति ही स्पष्ट नहीं है। लोग आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बार्डर से लौटा दिया जा रहा है। चारधाम यात्रा के लिए बहुत से लोगों ने बुकिंग कराई थी, लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के चलते वे लोग अपनी बुकिंग रद्द करवा रहे हैं। ऐसे में लोगों के बीच संशह की स्थिति है।
- मदन गोपाल नागपाल, अध्यक्ष, ऋषिकेश होटल एसोसिएशन
कोट:
अगले माह से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए कोरोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए यह जरूरी है। चारधाम यात्रा के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों के क्रम में अलग से एसओपी जारी की जाएगी। -सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री