हल्द्वानी। सूरज के तेज की तपिश और ऊपर से साढ़े तीन घंटे की बिजली कटौती का तगड़ा झटका। आसमान ने आग बरसाई तो ऊर्जा निगम ने आग में घी डालकर जनता का पसीना निकाल दिया। व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित रही तो घरों के भीतर गर्मी के भभके से बेहाल लोग ठंडक तलाशने लगे। हालांकि अधिकतम तापमान 33.7 डिग्री था। लेकिन नमी की अधिकता के बीच हवाओं की कम गति ने सूरज को आग बरसाने का मौका दे दिया।
ऋषिकेश कंट्रोल रूम के निर्देश पर सुबह 11.55 बजे 220केवी कमलुवागांजा सब स्टेशन से आपूर्ति ठप कर दी गई। उसके बाद 15.26 बजे बिजली के दर्शन हुए। यह स्थिति तब है जबकि बिजली पैदा करने वाले इस राज्य की अपनी जलविद्युत परियोजनाओं में इस समय उत्पादन का आंकड़ा 18 मिलियन यूनिट प्रतिदिन पहुंच चुका है। उत्पादन क्षमता 20 मिलियन यूनिट है। यानि क्षमता से महज दो मिलियन यूनिट कम। ऊपर से दस फीसदी केंद्र पोषित परियोजनाओं को मिलाकर सूबे के पास 28 मिलियन यूनिट की उपलब्धता है। मांग 32 मिलियन यूनिट तक पहुंचने के कारण बिजली काटकर ऊर्जा निगम इस ऊर्जा प्रदेश को घंटों अंधेरे में रख रहा है।
कंट्रोल रूम की कटौती के साथ लोकल फाल्ट अलग से। कालाढुंगी चौराहा सब स्टेशन से स्टेशन रोड और आजादनगर में 17.32 बजे से 17.55 बजे तक शटडाउन लिया गया तो टीपीनगर बिजलीघर से जजफार्म फीडर में 16.45 से 16.57, तल्लीहल्द्वानी में 17.01 बजे से 18.07 बजे तक बत्ती गुल रखी गई। बारिश की कमी से मैदान अब भी गर्मी से उबर नहीं पाया है। वायुमंडलीय नमी बृहस्पतिवार सुबह 89 प्रतिशत तो दोपहर बाद 67 प्रतिशत दर्ज की गई। इसीलिए तेज उमस का प्रकोप बना रहा। इस सबके बीच ऊर्जा निगम की कटौती झुलसती गर्मी में जी का जंजाल बन रही है।
जलापूर्ति भी ठप
बिजली कटौती से सिर्फ व्यवसायिक गतिविधियां ही ठप नहीं रहती, बल्कि जलापूर्ति पर भी इसकी मार पड़ती है। तीन घंटे की कटौती के चलते शहर और ग्रामीण क्षेत्र के 48 ट्यूबवेल ठप रहे। इससे घरों में पेयजल सप्लाई रुक गई। एक ट्यूबवेल यदि एक घंटा बंद रहता है तो कम से कम 50 हजार लीटर पानी की सप्लाई प्रभावित होती है। तीन घंटे में 48 ट्यूबवेलों से कितना प्रभाव पड़ा होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।
हल्द्वानी। सूरज के तेज की तपिश और ऊपर से साढ़े तीन घंटे की बिजली कटौती का तगड़ा झटका। आसमान ने आग बरसाई तो ऊर्जा निगम ने आग में घी डालकर जनता का पसीना निकाल दिया। व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित रही तो घरों के भीतर गर्मी के भभके से बेहाल लोग ठंडक तलाशने लगे। हालांकि अधिकतम तापमान 33.7 डिग्री था। लेकिन नमी की अधिकता के बीच हवाओं की कम गति ने सूरज को आग बरसाने का मौका दे दिया।
ऋषिकेश कंट्रोल रूम के निर्देश पर सुबह 11.55 बजे 220केवी कमलुवागांजा सब स्टेशन से आपूर्ति ठप कर दी गई। उसके बाद 15.26 बजे बिजली के दर्शन हुए। यह स्थिति तब है जबकि बिजली पैदा करने वाले इस राज्य की अपनी जलविद्युत परियोजनाओं में इस समय उत्पादन का आंकड़ा 18 मिलियन यूनिट प्रतिदिन पहुंच चुका है। उत्पादन क्षमता 20 मिलियन यूनिट है। यानि क्षमता से महज दो मिलियन यूनिट कम। ऊपर से दस फीसदी केंद्र पोषित परियोजनाओं को मिलाकर सूबे के पास 28 मिलियन यूनिट की उपलब्धता है। मांग 32 मिलियन यूनिट तक पहुंचने के कारण बिजली काटकर ऊर्जा निगम इस ऊर्जा प्रदेश को घंटों अंधेरे में रख रहा है।
कंट्रोल रूम की कटौती के साथ लोकल फाल्ट अलग से। कालाढुंगी चौराहा सब स्टेशन से स्टेशन रोड और आजादनगर में 17.32 बजे से 17.55 बजे तक शटडाउन लिया गया तो टीपीनगर बिजलीघर से जजफार्म फीडर में 16.45 से 16.57, तल्लीहल्द्वानी में 17.01 बजे से 18.07 बजे तक बत्ती गुल रखी गई। बारिश की कमी से मैदान अब भी गर्मी से उबर नहीं पाया है। वायुमंडलीय नमी बृहस्पतिवार सुबह 89 प्रतिशत तो दोपहर बाद 67 प्रतिशत दर्ज की गई। इसीलिए तेज उमस का प्रकोप बना रहा। इस सबके बीच ऊर्जा निगम की कटौती झुलसती गर्मी में जी का जंजाल बन रही है।
जलापूर्ति भी ठप
बिजली कटौती से सिर्फ व्यवसायिक गतिविधियां ही ठप नहीं रहती, बल्कि जलापूर्ति पर भी इसकी मार पड़ती है। तीन घंटे की कटौती के चलते शहर और ग्रामीण क्षेत्र के 48 ट्यूबवेल ठप रहे। इससे घरों में पेयजल सप्लाई रुक गई। एक ट्यूबवेल यदि एक घंटा बंद रहता है तो कम से कम 50 हजार लीटर पानी की सप्लाई प्रभावित होती है। तीन घंटे में 48 ट्यूबवेलों से कितना प्रभाव पड़ा होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।