पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर गाजियाबाद निवासी 22 वर्षीय लवकेश राणा साइकिल पर रुद्रनाथ की तीर्थयात्रा पर निकले हैं। वे साइकिल पर ही केदारनाथ और तुंगनाथ की तीर्थयात्रा भी कर चुके हैं। लवकेश साइकिल से 1100 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं।
लवकेश ने नौ मई को गाजियाबाद से केदारनाथ की यात्रा शुरू की थी। वे 14 मई को केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ के पैदल रास्ते पर भी वे साइकिल से ही गए। इसके बाद वे 16 मई को तुंगनाथ मंदिर पहुंचे। बुधवार को उन्होंने चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की यात्रा शुरू की। रुद्रनाथ मंदिर सगर गांव से 24 किलोमीटर की पैदल दूरी पर है। रुद्रनाथ का पैदल ट्रेक कई जगहों पर बेहद संकरा और खड़ी चढ़ाई है। यहां पनार बुग्याल तक करीब पांच किलोमीटर की दूरी चट्टानी भाग से होते हुए गुजरती है। साहसिक यात्रा के शौकीन लवकेश दुपहर तीन बजे तक दुर्गम पगडंडियों से होते हुए 10 किलोमीटर दूर ल्वींठी बुग्याल पहुंच गए। लवकेश का कहना है कि पहाड़ में वाहनों के अत्यधिक संचालन से हिमालय क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। वे संदेश देना चाहते हैं कि लोग साइकिल या पैदल यात्रा कर सकते हैं। लवकेश एक कंपनी में नौकरी करते हैं, जबकि उसके पिता अनिल राणा परचून की दुकान चलाते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर गाजियाबाद निवासी 22 वर्षीय लवकेश राणा साइकिल पर रुद्रनाथ की तीर्थयात्रा पर निकले हैं। वे साइकिल पर ही केदारनाथ और तुंगनाथ की तीर्थयात्रा भी कर चुके हैं। लवकेश साइकिल से 1100 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं।
लवकेश ने नौ मई को गाजियाबाद से केदारनाथ की यात्रा शुरू की थी। वे 14 मई को केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ के पैदल रास्ते पर भी वे साइकिल से ही गए। इसके बाद वे 16 मई को तुंगनाथ मंदिर पहुंचे। बुधवार को उन्होंने चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की यात्रा शुरू की। रुद्रनाथ मंदिर सगर गांव से 24 किलोमीटर की पैदल दूरी पर है। रुद्रनाथ का पैदल ट्रेक कई जगहों पर बेहद संकरा और खड़ी चढ़ाई है। यहां पनार बुग्याल तक करीब पांच किलोमीटर की दूरी चट्टानी भाग से होते हुए गुजरती है। साहसिक यात्रा के शौकीन लवकेश दुपहर तीन बजे तक दुर्गम पगडंडियों से होते हुए 10 किलोमीटर दूर ल्वींठी बुग्याल पहुंच गए। लवकेश का कहना है कि पहाड़ में वाहनों के अत्यधिक संचालन से हिमालय क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। वे संदेश देना चाहते हैं कि लोग साइकिल या पैदल यात्रा कर सकते हैं। लवकेश एक कंपनी में नौकरी करते हैं, जबकि उसके पिता अनिल राणा परचून की दुकान चलाते हैं।