धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे आयोजित सिद्धपीठों पर
आज से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र को नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। नौ दिवसीय अनुष्ठान के दौरान जिले में धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएांगे। साथ ही सिद्धपीठों में भी नवरात्र पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में नारी शक्ति उत्सव के आयोजन को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देशों पर यह कार्यक्रम प्रमुखता से आयोजित किए जाएंगे जिसके तहत सिद्धपीठ मठियाणा देवी मंदिर, हरियाली देवी और कालीमठ मंदिर के साथ ही अलकनंदा-मंदाकिनी नदी के संगम स्थित चामुंडा मंदिर में नवरात्र आयोजित किए जाएंगे।
बैठक में अपर जिलाधिकारी दीपेंद्र सिंह नेगी, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, परियोजना निदेशक केके पंत, एसडीएम अपर्णा ढौड़ियाल, तहसीलदार दीवान सिंह राणा, जिला कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. अखिलेश मिश्र, जिला पंचायत राज अधिकारी प्रेम सिंह रावत, बाल विकास अधिकारी शैली प्रजापति, हिमांशु बडोला मौजूद थे।
सजे माता के दरबार
चैत्र नवरात्र के लिए देवी मंदिर सज गए हैं। पंडित कामेश्वर प्रसाद उनियाल ने बताया कि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:23 बजे से 7:32 बजे तक रहेगा। इस दौरान कलश स्थापना के साथ हरियाली के लिए जौ बाए जाएंगे। नवरात्र में श्रद्धालु व्रत रखकर नौ दिनों तक देवी की आराधना करेंगे। भिलंगना ब्लॉक के ज्वालामुखी की मूर्ति तिसरियाडा गांव से देवढुंग विनयखाल ज्वालामुंखी मंदिर पहुंचकर गर्भगृह में विराजमान होगी। इस दौरान मंदिर में रामकथा और देवी भागवत कथा आयोजित की जाएगी। संवाद
मां सुरकंडा की डोली पहुंची जड़धार गांव
नौ दिन तक जड़धार गांव में होगी विशेष पूजा-अर्चना
नवरात्र में मां सुरकंडा की डोली के श्रद्धालु जड़धार गांव में दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकेंगे। मंगलवार को सुरकुट पर्वत से माता की डोली ढोल-नगाड़ों के साथ मायके लाई गई। मां सुरकंडा के प्रतीक के रूप में उनकी प्रतिमा को सिर में रखकर जड़धर गांव लाया जाता है। डोली के जड़धार गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की।
मां सुरकंडा की डोली को हर तीसरे साल सुरकुट पर्वत से उसके मैती (मायका पक्ष) जड़धार गांव लाते हैं। मंगलवार को बारिश के बीच डोली के पहुंचते ही ग्रामीण गांव के प्रवेश द्वार में बड़ी संख्या में एकत्र हुए। प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा का ग्रामीण आज भी पूरी तरह से निर्वहन करते हैं। नवरात्र के पहले दिन मंदिर में जौ बोई जाएगी। नवरात्र के अंतिम दिन जौ रूपी हरियाली का प्रसाद वितरण किया जाएगा। उसके बाद डोली को अन्न-धन के साथ विदा किया जाएगा।
विपिन जड़धारी ने बताया कि नवरात्र में देवी के जागरों के साथ ही मंडाण और जागरण कार्यक्रम किए जाएंगे। इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रीती जड़धारी, मंदिर समिति के अध्यक्ष जीत सिंह जड़धारी, बीडीसी सदस्य सुखपाल सिंह जड़धारी, बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, उत्तम जड़धारी, रघुभाई जड़धारी, सुंदर सिंह, सुमेर सिंह, कलम सिंह, मनवीर सिंह, वीर सिंह, सोहन सिंह शामिल रहे।