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उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी(सपा) की दोस्ती अब टूटने के कगार पर है। कांग्रेस ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सीधी जंग लड़ने का फैसला कर लिया है।
अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी, इटावा और कन्नौज लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार खड़े कर सकती है। कांग्रेस की ओर से मंगलवार को इसकी पुष्टि की गई।
कांग्रेस और सपा एक दूसरे के प्रभुत्व वाले इलाकों में उम्मीदवार खड़े करने से बचते आए हैं लेकिन कांग्रेस का इस परंपरा को तोड़ना इनकी दोस्ती पर असर डाल सकता है।
मालूम हो कि मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं और कन्नौज से उनकी बहु डिंपल यादव। इटावा यादव परिवार का पैतृक जिला है और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव इस जिले के एक इलाके से विधायक हैं।
2009 में नहीं आए एक-दूसरे के आड़े
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने मैनपुरी, इटावा और कन्नौज से चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 80 सीटों में से 63 पर चुनाव लड़ा और यादव परिवार के लिए कई सीटें छोड़ दी थीं।
इसके एवज में सपा ने रायबरेली और अमेठी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
कार्यकर्ताओं ने जताई थी इच्छा
राज्य कांग्रेस प्रमुख निर्मल खत्री ने इस संबंध में संकेत देते हुए बताया कि इन तीनों जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने यूपी महासचिव प्रभारी मधुसुदन मिस्त्री से मिलकर इन क्षेत्रों से चुनाव न लड़ने पर एतराज जताया था।
उन्होंने ख्रुद भी इन जिलों से चुनाव लड़ने के फैसले पर सहमति जतायी। साथ ही बताया कि मिस्त्री ने भी कार्यकर्ताओं को इन जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कहा है।
पड़ सकती है दोस्ती में खटास
माना जा रहा है कि कांग्रेस अगर यादव परिवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करती है तो सपा भी जवाब में रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार खड़े कर सकती है जिसके सपा और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ सकती है।
हांलाकि, यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा ने 65 से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा के बावजूद अभी तक रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी(सपा) की दोस्ती अब टूटने के कगार पर है। कांग्रेस ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सीधी जंग लड़ने का फैसला कर लिया है।
अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी, इटावा और कन्नौज लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार खड़े कर सकती है। कांग्रेस की ओर से मंगलवार को इसकी पुष्टि की गई।
कांग्रेस और सपा एक दूसरे के प्रभुत्व वाले इलाकों में उम्मीदवार खड़े करने से बचते आए हैं लेकिन कांग्रेस का इस परंपरा को तोड़ना इनकी दोस्ती पर असर डाल सकता है।
मालूम हो कि मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं और कन्नौज से उनकी बहु डिंपल यादव। इटावा यादव परिवार का पैतृक जिला है और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव इस जिले के एक इलाके से विधायक हैं।
2009 में नहीं आए एक-दूसरे के आड़े
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने मैनपुरी, इटावा और कन्नौज से चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 80 सीटों में से 63 पर चुनाव लड़ा और यादव परिवार के लिए कई सीटें छोड़ दी थीं।
इसके एवज में सपा ने रायबरेली और अमेठी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
कार्यकर्ताओं ने जताई थी इच्छा
राज्य कांग्रेस प्रमुख निर्मल खत्री ने इस संबंध में संकेत देते हुए बताया कि इन तीनों जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने यूपी महासचिव प्रभारी मधुसुदन मिस्त्री से मिलकर इन क्षेत्रों से चुनाव न लड़ने पर एतराज जताया था।
उन्होंने ख्रुद भी इन जिलों से चुनाव लड़ने के फैसले पर सहमति जतायी। साथ ही बताया कि मिस्त्री ने भी कार्यकर्ताओं को इन जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कहा है।
पड़ सकती है दोस्ती में खटास
माना जा रहा है कि कांग्रेस अगर यादव परिवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करती है तो सपा भी जवाब में रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार खड़े कर सकती है जिसके सपा और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ सकती है।
हांलाकि, यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा ने 65 से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा के बावजूद अभी तक रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।