लखनऊ। महंगाई की मार झेल रहे गरीबों पर आने वाले समय में गेहूं खरीद में बरती गयी लापरवाही भारी पड़ेगी। बीती 30 जून को खत्म हुई सरकारी गेहूं की खरीद के दौरान तीन माह में जिले में तय लक्ष्य के इतर मात्र 6.43 फीसदी ही खरीद हुई। गेहूं खरीद में आई इस भारी कमी का खामियाजा राशन दुकानों में दिखेगा। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के अनुसार कम खरीद के चलते आने वाले समय में बिना केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की मदद के गरीब कार्डधारकों को गेहूं मुहैया कराना संभव नहीं हो सकेगा।
जिले में 1 अप्रैल से सरकारी गेहूं की खरीद का काम शुरू हुआ था। इसके लिए आठ विकास खंडों में 54 गेहूं क्रय केंद्र बनाकर दस सरकारी एजेंसियों को खरीद में लगाया गया था। शुरुआती दौर से लड़खड़ायी सरकारी गेहूं खरीद की व्यवस्था कभी भी पटरी पर नहीं आ पायी। अपर जिलाधिकारी आपूर्ति ने जिले में गेहूं खरीद के लिए 57500 मीट्रिक टन का लक्ष्य तय किया था लेकिन तीन में माह में लक्ष्य के इतर मात्र 3695 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। अब अधिकारियों का कहना है कि गेहूं खरीद के लिए कम मूल्य दिए जाने के कारण काश्तकारों व किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों की जगह खुले बाजार में गेहूं बेचा। जिले में कम मात्रा में हुई गेहूं खरीद से परेशान आपूर्ति विभाग के अधिकारी इसे आने वाले समय के संकट से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी गोदाम में पर्याप्त गेहूं स्टाक न हो पाने के कारण राशन दुकानों से कार्डधारकों को सस्ती दर पर बंटने वाले गेहूं की उठान पर इसका असर पड़ेगा। इससे निपटने के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से मदद लेनी ही पड़ेगी। एडीएम आपूर्ति ओपी राय ने बताया कि पूरे मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजी जाएगी।
इस तरह गिरा गेहूं खरीद का ग्राफ
गेहूं खरीद का लक्ष्य 57500 मीट्रिक टन
खरीद एजेंसी लक्ष्य वास्तविक खरीद
खाद्य विभाग 12500 335
पीसीएफ 25400 2416
एग्रो 1500 61
उपभोक्ता सहकारी संघ 500 101
आवश्यक वस्तु निगम 500 604
नेफेड 1500 10
एनसीसीएफ 2000 19
कर्मचारी कल्याण निगम 2000 103
एफसीआई 2600 46
लखनऊ। महंगाई की मार झेल रहे गरीबों पर आने वाले समय में गेहूं खरीद में बरती गयी लापरवाही भारी पड़ेगी। बीती 30 जून को खत्म हुई सरकारी गेहूं की खरीद के दौरान तीन माह में जिले में तय लक्ष्य के इतर मात्र 6.43 फीसदी ही खरीद हुई। गेहूं खरीद में आई इस भारी कमी का खामियाजा राशन दुकानों में दिखेगा। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के अनुसार कम खरीद के चलते आने वाले समय में बिना केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की मदद के गरीब कार्डधारकों को गेहूं मुहैया कराना संभव नहीं हो सकेगा।
जिले में 1 अप्रैल से सरकारी गेहूं की खरीद का काम शुरू हुआ था। इसके लिए आठ विकास खंडों में 54 गेहूं क्रय केंद्र बनाकर दस सरकारी एजेंसियों को खरीद में लगाया गया था। शुरुआती दौर से लड़खड़ायी सरकारी गेहूं खरीद की व्यवस्था कभी भी पटरी पर नहीं आ पायी। अपर जिलाधिकारी आपूर्ति ने जिले में गेहूं खरीद के लिए 57500 मीट्रिक टन का लक्ष्य तय किया था लेकिन तीन में माह में लक्ष्य के इतर मात्र 3695 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। अब अधिकारियों का कहना है कि गेहूं खरीद के लिए कम मूल्य दिए जाने के कारण काश्तकारों व किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों की जगह खुले बाजार में गेहूं बेचा। जिले में कम मात्रा में हुई गेहूं खरीद से परेशान आपूर्ति विभाग के अधिकारी इसे आने वाले समय के संकट से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी गोदाम में पर्याप्त गेहूं स्टाक न हो पाने के कारण राशन दुकानों से कार्डधारकों को सस्ती दर पर बंटने वाले गेहूं की उठान पर इसका असर पड़ेगा। इससे निपटने के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से मदद लेनी ही पड़ेगी। एडीएम आपूर्ति ओपी राय ने बताया कि पूरे मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजी जाएगी।
इस तरह गिरा गेहूं खरीद का ग्राफ
गेहूं खरीद का लक्ष्य 57500 मीट्रिक टन
खरीद एजेंसी लक्ष्य वास्तविक खरीद
खाद्य विभाग 12500 335
पीसीएफ 25400 2416
एग्रो 1500 61
उपभोक्ता सहकारी संघ 500 101
आवश्यक वस्तु निगम 500 604
नेफेड 1500 10
एनसीसीएफ 2000 19
कर्मचारी कल्याण निगम 2000 103
एफसीआई 2600 46