यूरोप के पड़ोसी देश फ्रांस और बेल्जियम मंगलवार को विश्व कप के पहले सेमीफाइनल में एक-दूसरे के आक्रमण की काट ढूंढने में लगे हैं। दोनों तरफ अग्रिम पंक्ति में युवा सितारे हैं और कोई आश्चर्य नहीं कि इस मुकाबले में गोलों की भरमार देखने को मिले। दोनों टीमों की टक्कर 1986 विश्व कप में तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में हुई थी तब फ्रांस 4-2 से जीतने में सफल रहा था। हालांकि इस दौरान आठ बार दोनों टीमें नुमाइशी मैचों में आमने-सामने आ चुकी हैं। इनमें से दो जीत बेल्जियम के खाते में आई हैं जिसमें पिछली भिड़ंत शामिल है।
तीन साल पहले हुए मैच में दूसरे हाफ के पांचवें मिनट में बेल्जियम की टीम 3-0 से आगे थी और उसके बाद 4-3 से जीतने में सफल रही थी। ओवरऑल बेल्जियम के खाते में ज्यादा जीत है। इस विश्व कप में फ्रांस की टीम दूसरी सबसे युवा टीम है। बेखौफ अंदाज में खेलने वाली टीम ने 2006 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। उसके आक्रमण का मुख्य दारोमदार 19 साल के कायलियन मबापे पर है जबकि 22 साल के डिफेंडर बेंजामिन पेवार्ड और लुकास हर्नांडेज भी काफी जोश के साथ खेल रहे हैं। पेवार्ड का कहना है कि हम किसी टीम से नहीं डरते। हम उनसे जंग के लिए तैयार हैं।
डेशचैंप के पास अनूठे डबल का मौका
टीम के कोच डिडियर डेशचेम्प उस समय टीम के कप्तान थे जब 1998 में फ्रांस ने विश्व कप और 2000 में यूरोपियन चैंपियनशिप जीती थी। इस लिहाज से एक डेशचैंप के पास अनूठा रिकॉर्ड बनाने का मौका है जिससे वह महज दो जीत दूर खड़े हैं। डेशचैंप अपने युवा खिलाड़ियों पर काफी भरोसा जता रहे हैं। उन्होंने पेवार्ड को दाएं और लुकास हर्नांडेज को बाएं छोर पर रखा जबकि दोनों के पास महज 20 मैचों का अनुभव है लेकिन दोनों अच्छे तालमेल के साथ खेल रहे हैं।
बेल्जियम के कोच राबर्टो मार्टिनेज के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवा खिलाड़ियों को बड़े मैच में एक मजबूत इकाई के रूप में परिवर्तित करने की है जिसमें अभी तक वह सफल रहे हैं। प्रीमियर लीग में एवर्टन में कोचिंग के दायित्व से हटा दिए जाने के बाद 2016 में टीम से जुडे़। पहले ही मुकाबले में घरेलू मैदान पर स्पेन के हाथों हार मिली। उसके बाद से टीम 23 मैचों में अजेय है और 78 गोल कर चुकी है। इनमें से केवल एक मैच गोलरहित बराबरी पर छूटा है। मार्टिनेज की रणनीति कितनी कारगर है इसका पता जापान के खिलाफ मैच में पता लगा जब टीम 0-2 से पिछड़ रही थी और कोच ने दो खिलाड़ी बदले और दोनों ने गोल किए। बेल्जियम के पास विन्सेंट कोम्पानी, जेन वर्टोनघेन और माराउने फेलियानी जैसे खिलाड़ी हैं।
फ्रांस के पूर्व स्ट्राइकर थिएरे हेनरी सहायक कोच की भूमिका में हैं। हेनरी 1998 में विश्व कप विजेता बनी फ्रांस टीम के स्टार खिलाड़ियों में से थे। बेल्जियम को सेमीफाइनल में पहुंचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। वह फ्रांस के खिलाड़ियों की शैली और काट दोनों से खासे परिचित हैं। कोच मार्टिनेज वह बेल्जियम के यही नहीं बेल्जियम के ईडन हेजार्ड भी कभी फ्रांस के समर्थक रहे हैं। जब 1998 में फ्रांस ने विश्व कप जीता था उसके बाद से हेजार्ड फ्रांस के मुरीद रहे हैं।
32 साल बाद होगा आमना-सामना
फ्रांस और बेल्जियम की टीमें विश्व कप में 32 साल बाद आमने-सामने होंगी। दोनों ने अब तक वैश्विक टूर्नामेंट में दो मुकाबले खेले हैं और दोनों में फ्रांस ने बाजी मारी है। पिछली बार दोनों 1986 में टकराए थे। तीसरे स्थान के लिए हुए इस मुकाबले में फ्रांस ने अतिरिक्त समय में बेल्जियम को 4-2 से पराजित किया था। इससे पहले 1938 में हुए मुकाबले में फ्रांस 3-1 से जीता था।
गोलकीपरों में श्रेष्ठता की होड़
लोरिस : फ्रांस
फ्रांस के हुगो लोरिस को मुकाबले में कड़ी मशक्कत करनी होगी। लोरिस की पिछले साल फ्रांस और टोटेनहम के मुकाबलों में की गई गलतियों को लेकर आलोचना होती रही है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले मुकाबले में उन्होंने एक शॉट पर लापरवाही दिखाई थी और बाद में राहत की सांस ली थी क्योंकि गेंद गोलपोस्ट से टकराकर रह गई थी लेकिन उरुग्वे के खिलाफ उन्होंने कई अच्छे बचाव किए।
थिबाउट : बेल्जियम
बेल्जियम के गोलकीपर थिबाउट कोउरटिस ने इस विश्व कप के शीर्ष गोलकीपरों में शामिल हैं। ब्राजील के खिलाफ उन्होंने लाजवाब प्रदर्शन किया। अंतिम क्षणों में नेमार का एक बेहतरीन प्रयास पर उनके कारण खतरा टल गया था। हालांकि चेल्सी में थिबाउट के साथी फ्रांस के स्ट्राइकर ओलिवर गिरोड कहते हैं कि फ्रांस के गोलकीपर हुगो का पलड़ा थिबाउट पर भारी है।
बेल्जियम को खल सकती है मेयूनिइर की कमी
विश्व में तीसरे नंबर की टीम बेल्जियम को अपने रक्षक खिलाड़ी थामस मेयूनिइर की कमी खल सकती है जिन्हें ब्राजील के खिलाफ नेमार की मोर्चाबंदी करते समय दूसरा पीला कार्ड देखना पड़ गया था और अब एक मैच के लिए निलंबित हैं। कोच मार्टिनेज ऐसे में 3-5-2 की रणनीति अपना सकते हैं।
कमजोर कड़ी
बेल्जियम की रक्षक पंक्ति तेज तर्रार फारवर्डों के सामने कसौटी पर होगी क्योंकि जापान के खिलाफ उसने चार मिनट में दो गोल खा लिए थे। फ्रांस के फॉरवर्डों पर अंकुश रखना आसान नहीं। फ्रांस के साथ दिक्कत यह है कि मबापे के अलावा फारवर्ड लाइन में गिरोर्ड और ग्रीजमैन अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं खेल पा रहे हैं। पेरू के खिलाफ टीम को इकलौते गोल से जीत मिली थी और टीम को संघर्ष का सामना करना पड़ा था।
पहले सेमीफाइनल में उरुग्वे के रेफरी आंद्रियस कुन्हा होंगे जिन्होंने ग्रुप दौर में फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया और स्पेन-ईरान मैच में दायित्व संभाला था। उन्होंने वीडियो रिव्यू के बाद फ्रांस को एक पेनाल्टी दी जिस पर ग्रीजमैन ने गोल किया था। इसके अलावा ईरान के सईद इजातोल्ही के एक गोल को मान्यता नहीं दी थी क्योंकि सहायक रेफरी और वीडियो असिस्टेंड ने खिलाड़ी को ऑफसाइड बताया था। इसको लेकर ईरानी खिलाड़ियों ने बड़ा विवाद किया था।
यदि हम इस मैच में दबाव के साथ उतरेंगे तो हम वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे जैसा कि हम कर सकते हैं। हम निर्भीक होकर खेलना होगा जिससे मदद मिलेगी। हमें समुद्र से चांद तक की यात्रा करनी है।-
रोबर्टो मार्टिनेज, बेल्जियम कोच
-इस विश्व के पांच मैचों में बेल्जियम ने 14 गोल किए हैं ।
-2006 के बाद फ्रांस की टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है।
फ्रांस : हुगो लोरिस (गोलकीपर), पावार्ड, वाराने, उमीटी, लुकास, पोग्बा, कांटे, मबापे, एंटोनी ग्रीजमैन, टोलिसो, ओलिवर गिरोड।
बेल्जियम : थिबाउट कोउरटिस (गोलकीपर), एलडरवेरल्ड, कोम्पानी, वर्टोनघन, कैरासको, फैलियानी, विटसेल, चाडली, केविन डि ब्रुइन, लुकाकू, ईडन हेजार्ड।
आंकड़ों में टीमें
|
फ्रांस |
बेल्जियम |
गोल किए |
09 |
14 |
कुल शॉट |
56 |
85 |
लक्ष्य पर निशाने |
19 |
33 |
कॉर्नर किक |
15 |
30 |
गेंद पर कब्जा |
51 प्रतिशत |
53 प्रतिशत |
सेमीफाइनल तक का सफर
फ्रांस : ग्रुप सी की विजेता
-ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया, पेरू को 1-0 से मात दी, डेनमार्क से 0-0 से ड्रॉ खेला, अंतिम-16 में अर्जेंटीना से 4-3 से जीते, क्वार्टर फाइनल में उरुग्वे को 2-0 से मात दी।
कोच : डिडियर डेशचैंप, कप्तान : हुगो लोरिस, श्रेष्ठ प्रदर्शन : 1998 : विजेता
बेल्जियम : ग्रुप जी की विजेता
पनामा को 3-0 से हराया, ट्यूनीशिया को 3-0 से मात दी, इंग्लैंड को 1-0 से हराया, अंतिम-16 में जापान को 3-2 से शिकस्त दी, क्वार्टर फाइनल में ब्राजील को 2-1 से हराया।
कोच : राबर्टो मार्टिनेज, कप्तान : ईडन हेजार्ड, श्रेष्ठ प्रदर्शन : 1986 : चौथा स्थान
पिछली भिड़ंत
2015 बेल्जियम 4-3 फ्रांस
2013 बेल्जियम 0-0 फ्रांस
कुल भिड़ंत : 73
फ्रांस जीत : 24
बेल्जियम : 30
ड्रॉ : 19
बेल्जियम
ईडन हेजार्ड : हेजार्ड अपने आक्रामक तेवरों के लिए जाना जाते हैं। उनका गेंद पर अच्छा नियंत्रण रहता है और तेजी से दिशा बदलने में उन्हें महारत हासिल है। विपक्षी रक्षक पंक्ति के लिए उन्हें रोकना आसान नहीं होता और ऐसे में वे रफ-टफ खेलने के चक्कर में फाउल कर बैठते हैं।
उम्र : 27 साल, मैच : 04, गोल : 02
केविन डि ब्रुइन : फर्स्ट टाइम टच शैली में पारंगत मिडफील्डर ज्यादातर हमलों के सूत्रधार बनते हैं। अग्रिम पंक्ति को सटीक पास देते है। खेल की गहरी समझ है। तकनीकी कौशल में भी बेहतरीन हैं।
उम्र : 27 साल, मैच : 04, गोल : 01
रोमेलु लुकाकू : अग्रणी स्ट्राइकरों में से एक हैं। बॉक्स में मौके भुनाने में माहिर हैं, लंबे कद के खिलाड़ी दमदार हेडर लगाते हैं। रफ-टफ खेलने भी मजबूत हैं। बिग रोम के नाम से मशहूर खिलाड़ी के पास ताकत के साथ गति भी है। राइट और लेफ्ट दोनों एकसमान गति से चलते हैं।
उम्र : 25 साल, मैच : 04, गोल : 04
फ्रांस
कायलियन मबापे: अपने पहले ही विश्व कप में उन्नीस साल के इस युवा स्ट्राइकर की तुलना दिग्गज पेले से की जा रही है। दाएं छोर पर बड़ी तेजी से बढ़ते हैं। कॉर्नर किक पर हेडर लेने में माहिर होते जा रहे हैं। फ्रांस की नई पीढी की अगुवा खिलाड़ी हैं। 1998 में जब फ्रांस विजेता बना था तब पैदा भी नहीं हुए थे।
उम्र : 19, मैच : 05, गोल : 03 गोल
ओलिवर गिरोड: अभी तक गोल नहीं किया है लेकिन मबापे के लिए थ्रू पास निकालते रहे हैं। उनके पास फ्रांस के महान खिलाड़ी जिनेदिन जिदान से आगे निकलने का मौका है। दोनों के एकसमान 31 गोल हैं। बॉक्स में अपनी चपलता से विपक्षियों के लिए हमेशा सिरदर्द रहे हैं।
उम्र : 31 मैच : 05, गोल : 00
एंटोनी ग्रीजमैन : अनुभवी स्ट्राइकर ने अभी तक दो गोल पेनाल्टी पर किए हैं लेकिन मैदान पर उनकी उपयोगिता जगजाहिर है। राफेल को उरुग्वे के खिलाफ गोल करने में मदद की। हालांकि अभी तक वह वैसी फॉर्म नहीं दिखा पाए जैसी उन्होंने 2016 के यूरो चैंपियनशिप में दिखाई थी।
उम्र : 27, मैच :05, गोल : 03
यूरोप के पड़ोसी देश फ्रांस और बेल्जियम मंगलवार को विश्व कप के पहले सेमीफाइनल में एक-दूसरे के आक्रमण की काट ढूंढने में लगे हैं। दोनों तरफ अग्रिम पंक्ति में युवा सितारे हैं और कोई आश्चर्य नहीं कि इस मुकाबले में गोलों की भरमार देखने को मिले। दोनों टीमों की टक्कर 1986 विश्व कप में तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में हुई थी तब फ्रांस 4-2 से जीतने में सफल रहा था। हालांकि इस दौरान आठ बार दोनों टीमें नुमाइशी मैचों में आमने-सामने आ चुकी हैं। इनमें से दो जीत बेल्जियम के खाते में आई हैं जिसमें पिछली भिड़ंत शामिल है।
तीन साल पहले हुए मैच में दूसरे हाफ के पांचवें मिनट में बेल्जियम की टीम 3-0 से आगे थी और उसके बाद 4-3 से जीतने में सफल रही थी। ओवरऑल बेल्जियम के खाते में ज्यादा जीत है। इस विश्व कप में फ्रांस की टीम दूसरी सबसे युवा टीम है। बेखौफ अंदाज में खेलने वाली टीम ने 2006 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। उसके आक्रमण का मुख्य दारोमदार 19 साल के कायलियन मबापे पर है जबकि 22 साल के डिफेंडर बेंजामिन पेवार्ड और लुकास हर्नांडेज भी काफी जोश के साथ खेल रहे हैं। पेवार्ड का कहना है कि हम किसी टीम से नहीं डरते। हम उनसे जंग के लिए तैयार हैं।
डेशचैंप के पास अनूठे डबल का मौका
टीम के कोच डिडियर डेशचेम्प उस समय टीम के कप्तान थे जब 1998 में फ्रांस ने विश्व कप और 2000 में यूरोपियन चैंपियनशिप जीती थी। इस लिहाज से एक डेशचैंप के पास अनूठा रिकॉर्ड बनाने का मौका है जिससे वह महज दो जीत दूर खड़े हैं। डेशचैंप अपने युवा खिलाड़ियों पर काफी भरोसा जता रहे हैं। उन्होंने पेवार्ड को दाएं और लुकास हर्नांडेज को बाएं छोर पर रखा जबकि दोनों के पास महज 20 मैचों का अनुभव है लेकिन दोनों अच्छे तालमेल के साथ खेल रहे हैं।
बेल्जियम के कोच राबर्टो मार्टिनेज के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवा खिलाड़ियों को बड़े मैच में एक मजबूत इकाई के रूप में परिवर्तित करने की है जिसमें अभी तक वह सफल रहे हैं। प्रीमियर लीग में एवर्टन में कोचिंग के दायित्व से हटा दिए जाने के बाद 2016 में टीम से जुडे़। पहले ही मुकाबले में घरेलू मैदान पर स्पेन के हाथों हार मिली। उसके बाद से टीम 23 मैचों में अजेय है और 78 गोल कर चुकी है। इनमें से केवल एक मैच गोलरहित बराबरी पर छूटा है। मार्टिनेज की रणनीति कितनी कारगर है इसका पता जापान के खिलाफ मैच में पता लगा जब टीम 0-2 से पिछड़ रही थी और कोच ने दो खिलाड़ी बदले और दोनों ने गोल किए। बेल्जियम के पास विन्सेंट कोम्पानी, जेन वर्टोनघेन और माराउने फेलियानी जैसे खिलाड़ी हैं।