माता को आप किसी भी रुप में याद करें इससे माता को कोई फर्क नहीं पड़ता, बस जरुरी है कि आपकी श्रद्घा मां में होनी चाहिए। इसकी एक जीती जागती मिसाल है पाकिस्तान में स्थित माता का एक शक्तिपीठ।
इस शक्तिपीठ को जहां हिन्दू देवी हिंगलाज के रुप में पूजते है वहीं मुसलमान नानी का हज कहते हैं। यही कारण है कि इस शक्तिपीठ में आकर हिंदू और मुसलमान का भेद भाव मिट जाता है। दोनों ही संप्रदाय के लोग भक्ति पूर्वक माता की पूजा करते हैं।
हिंगलाज देवी शक्तिपीठ के विषय में ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है।
मान्यता है कि परशुराम जी द्वारा 21 बार क्षत्रियों का अंत किए जाने पर बचे हुए क्षत्रियों ने माता हिंगलाज से प्राण रक्षा की प्रार्थना की। माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया इससे परशुराम से इन्हें अभय दान मिल गया।
एक मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने भी हिंगलाज देवी की यात्रा की थी। राम ने यहां पर एक यज्ञ भी किया था।
माता हिंगलाज माता वैष्णों की तरह एक गुफा में बैठी हैं। अंदर का नजारा देखेंगे तो आप भी कहेंगे अरे हम तो वैष्णो देवी आ गए, यह महसूस भी नहीं होगा कि आप पाकिस्तान में हैं।
हिंगलाज माता के सुंदर दृश्यों को देखने के लिए क्लिक करेंपढ़ें, नवरात्र में दीपक जलाकर पूजा करने की मान्यता
माता को आप किसी भी रुप में याद करें इससे माता को कोई फर्क नहीं पड़ता, बस जरुरी है कि आपकी श्रद्घा मां में होनी चाहिए। इसकी एक जीती जागती मिसाल है पाकिस्तान में स्थित माता का एक शक्तिपीठ।
इस शक्तिपीठ को जहां हिन्दू देवी हिंगलाज के रुप में पूजते है वहीं मुसलमान नानी का हज कहते हैं। यही कारण है कि इस शक्तिपीठ में आकर हिंदू और मुसलमान का भेद भाव मिट जाता है। दोनों ही संप्रदाय के लोग भक्ति पूर्वक माता की पूजा करते हैं।
हिंगलाज देवी शक्तिपीठ के विषय में ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है।