महाशिवरात्रि के दिन भोले भंडारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। महाशिवरात्रि प्रति वर्ष फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस बार यह धार्मिक उत्सव 21 फरवरी को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन मां पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ था। इस दिन लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं। वहीं महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के खुशहाल रहने की कामना करती हैं। शिवपुराण के मुताबिक महाशिवरात्रि पर सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसलिए इस दिन व्रत और शिवजी की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अन्य धातु के लिंगों की अपेक्षा पारद शिवलिंग की पूजा एवं स्थापना अधिक सिद्धिदायक होती है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। प्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। पारदशिवलिंग के लिए किसी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है। इसके दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है, साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक बड़ा महत्व है। इस दिन मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है। तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए। शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन भोले भंडारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। महाशिवरात्रि प्रति वर्ष फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस बार यह धार्मिक उत्सव 21 फरवरी को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन मां पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ था। इस दिन लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं। वहीं महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के खुशहाल रहने की कामना करती हैं। शिवपुराण के मुताबिक महाशिवरात्रि पर सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसलिए इस दिन व्रत और शिवजी की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अन्य धातु के लिंगों की अपेक्षा पारद शिवलिंग की पूजा एवं स्थापना अधिक सिद्धिदायक होती है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। प्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। पारदशिवलिंग के लिए किसी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है। इसके दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है, साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक बड़ा महत्व है। इस दिन मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है। तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए। शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं।