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Hanuman Chalisa: मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार पढ़ना चाहिए?

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विनोद शुक्ला Updated Thu, 26 May 2022 08:02 AM IST
सार

मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा,उपासना और हनुमान चालीसा का पाठ करने पर सभी संकटों से मुक्ति और बाधाएं दूर होती है।

Hanuman Chalisa: How Many Times to Read Hanuman Chalisa on Tuesday
हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन अगर सही तरीके से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाय तो भगवान का आशीर्वाद जल्द मिलता है। - फोटो : iStock

विस्तार
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Hanuman Chalisa: हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत ही लाभदायक होता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा,उपासना और हनुमान चालीसा का पाठ करने सभी संकटों से मुक्ति और बाधाएं दूर होती है। शास्त्रों में हनुमानजी को संकटमोचक कहा गया है और जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। हनुमान चालीसा का पाठ अगर सही विधि से किया जाय तो जल्द ही अच्छा और सुखद परिणाम मिलता है। आइए जानते हैं भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए कब-कब,कैसे और मंगलवार के दिन कितनी बार हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभ देने वाला सिद्ध हो सकता है।


 
- हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन अगर सही तरीके से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाय तो भगवान का आशीर्वाद जल्द मिलता है। मंगलवार के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने पूजा का संकल्प लेते हुए हनुमानजी को सिंदूर, फल और फूल अर्पित करना चाहिए।


- मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा अगर एक से तीन बार किया जाय तो जल्द ही हनुमंत कृपा प्राप्त होती है। 

- मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ अगर आप-पास स्थित किसी हनुमान मंदिर में जाकर करें तो हनुमानजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

- हनुमान चालीसा का पाठ करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मन में पाठ करने के बजाय थोड़ी तेज आवाज में बोलकर करना चाहिए।

- हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि भगवान हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने पर जल्द प्रसन्न होते हैं।

- हनुमान चालीसा का पाठ  करते समय मन को शांत और एकाग्र चित रहते हुए करना ज्यादा लाभदायक होता है।

- हनुमान चालीसा का पाठ करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

- हनुमानजी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। पूजा से पहले भगवान गणेश और अपने कुल देवी या देवता का स्मरण जरूर करना चाहिए।

-  हनुमान चालीसा के पाठ करने के बाद प्रसाद अवश्य चढ़ाएं। प्रसाद में गुड,चना और बूंदी चढ़ाना चाहिए। साथ ही भगवान हनुमान को तुलसी दल बहुत ही प्रिय होती है,इसलिए पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। 

हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा :
पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप।।
 

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