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Guruvar Aarti: गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की करें ये आरती, मिलेगी सभी कष्टों से मुक्ति

धर्म डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Thu, 24 Nov 2022 06:01 AM IST
सार

माना जाता है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। जिससे भक्तों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। भगवान बृहस्पति की आरती करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।

गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की करें ये आरती
गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की करें ये आरती

विस्तार

Brihaspati ji ki aarti lyrics: बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। आज के दिन श्री हरि विष्णु के बृहस्पति रूप का पूजन किया जाता है। बृहस्पति देव देवताओं के गुरू माने जाते हैं। साथ ही वह भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। आज बृहस्पति देव का पूजन करने से ज्ञान, गुण, विवेक की प्राप्ति होती है। जिस साधक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में है यदि वह आज व्रत रखेगा तो उसके सभी कष्ट दूर होंगे। बृहस्पति देव के पूजन के दौरान हल्दी,गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए।  इस दिन भक्त सुबह-शाम उनकी आरती भी करते हैं। ऐसा करने से घर-परिवार में शांति बनी रहती है और घर में खुशियों का वास होता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। जिससे भक्तों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। भगवान बृहस्पति की आरती करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। यहां पढ़ें बृहस्पति देव की सम्पूर्ण आरती- 

बृहस्पति देव आरती 

जय बृहस्पति देवा,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ,
कदली फल मेवा ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥
ॐ  जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्वार खड़े ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ,
संतन सुखकारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

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