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World Leprosy Day: हिमाचल में आज भी कुष्ठ रोग के 120 मरीज, चल रहा इलाज
रविंद्र सिंह भड़वाल, संवाद न्यूज एजेंसी, धर्मशाला
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Mon, 30 Jan 2023 10:41 AM IST
सार
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स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा निदेशक डॉ. गोपाल बेरी ने बताया कि हिमाचल में इस समय कुष्ठ रोग के 120 मरीज हैं, जिनका स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज जारी है।
हिमाचल प्रदेश में आज भी 120 कुष्ठ रोगी हैं। विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से इनका उपचार जारी है। बावजूद इसके कुष्ठ रोग के मामले स्वास्थ्य विभाग और समाज के लिए चिंता का विषय हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के प्रयास किए थे। इन्हीं प्रयासों की वजह से हर वर्ष 30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर कुष्ठ रोग निवारण दिवस मनाया जाता है।
कुष्ठ एक पुराना और संक्रमण रोग है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और विकलांगता का कारण बन सकता है।
लक्षणों के आधार पर इसे आसानी से चिह्नित किया जा सकता है। कुष्ठ रोग के पीड़ितों की त्वचा पर लाल रंग के धब्बे बन जाते हैं। त्वचा पर घाव होना हाथ और पैरों में सुन्नपन भी इसके लक्षण हैं। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है। वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने कुष्ठ रोग को पूरी तरह से खत्म करने के राज्य और केंद्र सरकारों को जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने के निर्देश दिए थे।
2017 में शुरू किया कुष्ठ जागरूकता अभियान
2017 में जागरूकता को बढ़ावा देने और कलंक तथा भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करने के लिए स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू किया गया था। इसमें शामिल उपायों जैसे- संपर्क अनुरेखण, परीक्षा, उपचार और कीमोप्रोफिलैक्सिस से कुष्ठ मामलों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम केंद्र प्रायोजित योजना चल रही है। इसका लक्ष्य 2030 तक प्रत्येक जिले में कुष्ठ रोग को समाप्त करना है।
हिमाचल में 120 मरीज, लाईलाज नहीं है कुष्ठ रोग : डॉ. बेरी
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा निदेशक डॉ. गोपाल बेरी ने बताया कि हिमाचल में इस समय कुष्ठ रोग के 120 मरीज हैं, जिनका स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज जारी है। यह लाईलाज रोग नहीं है। उपचार के लिए सही समय पर आगे न आने से इससे विकलांगता की खतरा रहता है।
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