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दिमागी बीमारियों का अब जल्द पता चलेगा और इलाज भी समय पर संभव होगा। मानसिक विकारों के अध्ययन के लिए हिमाचल प्रदेश के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक ईजाद की है। इसमें एक विशेष उपकरण की मदद से नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन किया जा सकेगा। इसकी मदद से इस्केमिक स्ट्रोक जैसी मस्तिष्क समस्याओं में नसों के कार्यों और मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में बदलाव का अध्ययन आसान होगा। मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्सों (घावों) का पता लगाने और वर्गीकृत करने में मदद मिलेगी। ये समस्याएं न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से होती हैं।
इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट भी मिल गया है। भारत में लगभग 30 मिलियन लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित हैं। इनमें मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंस डिजीज, मस्तिष्क आघात और तंत्रिका संक्रमण शामिल हैं। यह शोध एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी के नेतृत्व में किया गया है। इसके परिणाम आईईईई जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं। इस शोध में डॉ. अभिजीत दास, न्यूरोलॉजिस्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस, कोलकाता और डॉ. अनिर्बन दत्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, रेस्टोरेटिव न्यूरोरिहैबलिटेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, बफलो विश्वविद्यालय, अमेरिका ने भी मदद की है।
यह है तकनीक
शोधकर्ताओं ने बताया कि नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार का निर्णय लेना आसान होगा। यह डिवाइस पार्किंसंस जैसी बीमारियों के बढ़ने की गति समझने में भी मदद करेगा और लक्षण प्रकट होने से पहले इन बीमारियों के होने का पूर्वानुमान भी दे सकता है। इस विधि में मल्टी मोडल ब्रेन स्टिमुलेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है, जिससे न्यूरोवास्कुलर यूनिट (एनवीयू) के विभिन्न कंपोनेंट को अलग-अलग स्टिमुलेट किया जाए और ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफालोग्राफी) से इसके परिणाम स्वरूप विद्युत तंत्रिका संकेतों को और नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनआईआरएस) से रक्त प्रवाह को देखा जाए। आसान शब्दों में इलेक्ट्रोड के जरिये मस्तिष्क में गैर हानिकारक विद्युत प्रवाह किया जाता है और नर्व्स की प्रतिक्रिया और रक्त प्रवाह के संदर्भ में मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को एक साथ इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) और नियर-इन्फ्ररेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनआईआरएस) की मदद से मापा जाता है।