Pradosh Vrat April 2022: हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। ये पावन व्रत भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से महादेव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के भक्त विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि विधि-विधान से प्रदोष व्रत करने वाले जातक से प्रसन्न होकर महादेव उस पर अपनी पूरी कृपा बरसाते हैं। इस दिन लोग सुबह उठकर, स्नान आदि करके पूजा करते हैं, लेकिन इस दिन प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं कब है प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि के बारे में....
गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा मुहूर्त
गुरुवार के दिन पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। 14 अप्रैल 2022, गुरुवार को त्रयोदशी तिथि सुबह 04 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी, जो कि 15 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 03 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त 14 अप्रैल को शाम 06 बजकर 46 मिनट से रात 09 बजे तक है।
गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि
14 अप्रैल को यानी गुरु प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद भोलेनाथ को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप जरूर लगाएं। भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।
इस दिन पश्चात शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें। इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें।