Masik Shivratri July 2021: आषाढ़ मासिक शिवरात्रि व्रत 8 जुलाई गुरुवार को है। इस बार मासिक शिवरात्रि के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन वृद्धि योग शाम 04 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन योग में किये गए कार्य सफल होते हैं। मासिक शिवरात्रि व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। प्रत्येक माह की यह तिथि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसलिए इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत विधि-विधान से रखता है उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- तड़के 03:41 से सुबह 04:23 बजे तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:26 से दोपहर 12:20 बजे तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:09 बजे से दोपहर 03:04 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:28 बजे से शाम 06:52 बजे तक।
अमृत काल- सुबह 11:12 बजे से दोपहर 12:59 बजे तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:32 बजे से रात 12:14 बजे (जुलाई 09) तक।
मासिक शिवरात्रि व्रत विधि
सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्म के बाद स्नान करें। अब घर के मंदिर में दीप जलाएं। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। अगर आपके घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें। गंगा जल नहीं होने पर आप साफ पानी से भी भोले बाबा का अभिषेक कर सकते हैं। जिनके घर में शिवलिंग नहीं है वे भोले बाबा का ध्यान करें। भगवान शिव की आरती करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की आरती भी करें। इस दिन अपनी इच्छानुसार भगवान शंकर को भोग लगाएं। भोग में कुछ मीठा भी शामिल करें।
पौराणिक कथा
पौराणिक के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार करने हेतु माता लक्ष्मी, मां सरस्वती, मां गायत्री, माता सीता, मां पार्वती और मां रति ने भी शिवरात्रि का व्रत रखा था।
इन बातों का रखें ध्यान
मासिक शिवरात्रि के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मन में किसी के प्रति गलत विचार नहीं लाने चाहिए, किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। असत्य नहीं बोलना चाहिए। क्रोध नहीं करना चाहिए।