गरुड़ पुराण सनातन धर्म के लोकप्रिय धार्मिक ग्रंथों में से एक है। इस पुराण में इंसान के मरने के दौरान और उसके बाद की स्थितियों का वर्णन किया गया है। गरुण पुराण का संबंध वैष्णव पुराण से है। हमारे अठारह पुराणों में से गरुड़ पुराण का एक विशेष महत्व है। इस पुराण के देवता भगवान विष्णु है। इसे हिंदू धर्म में महापुराण कहा गया है। जीवन से जुड़े बारीक से बारीक पहलुओं का इस महापुराण में जिक्र मिलता है। इसमें जीवन जीने के तमाम मार्गों और नियमों का उल्लेख किया गया है। मृत्यु के समय और उसके बाद व्यक्ति की आत्मा के साथ क्या होता है? इसका पूरा जिक्र आपको गरुड़ पुराण में मिलेगा। इंसान के मरने के बाद स्वर्ग और नर्क में उसकी आत्मा के साथ क्या होता है? इन बातों का पूरा उल्लेख इस महापुराण में किया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जब किसी इंसान की मृत्यु निकट आती है, उस दौरान उसे क्या महसूस होता है?
गरुड़ पुराण के मुताबिक जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु निकट आती है, उस दौरान उसकी आंखों के सामने उसके द्वारा किए गए सभी कर्म एक के बाद एक प्रकट होते हैं। उसके जन्म से लेकर उसके अंत तक की सभी कहानियां उसकी आंखों के सामने चलती हैं। इस दौरान व्यक्ति को ये पता चलता है कि अपने जीवन में उसने क्या ठीक किया है? और क्या गलत? बाद में उसके कर्मों के आधार पर यमराज उसकी आत्मा के साथ न्याय करते हैं।
गरुड़ पुराण में लिखा गया है कि मृत्यु जब निकट आती है उस दौरान व्यक्ति की आंखों की रोशनी कम होने लगती है। रोशनी इतनी कम हो जाती है कि उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नहीं दिखते। इस दौरान व्यक्ति को शीशे में उसकी तस्वीर काफी विकृत आकार में दिखती है।
वहीं जिन लोगों ने अपने जीवन में काफी अच्छे कर्म किए हैं। उन्हें मृत्यु के दौरान एक दिव्य प्रकाश दिखाई देता है। ऐसे लोगों को मृत्यु के समय जरा सा भी कष्ट नहीं होता। ये लोग सीधे भगवान की शरण में मुक्ति पाते हैं।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इंसान को मरने से पहले अपनी मोह-माया छोड़ देनी चाहिए। मोह-माया में फंसे लोग जल्दी अपने शरीर को नहीं छोड़ते। ऐसे में यमराज द्वारा भेजा गया दूत जबरन ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को खींच कर ले जाता है। इस दौरान मृत्यु के समय लोगों को काफी कष्ट होता है। इसलिए कहा गया है कि मृत्यु जब निकट आती है उस दौरान मोह-माया से दूर हो जाना चाहिए।