देश में पिछले एक महीने से कोरोना के बढ़ते मामले लोगों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं। पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना के दैनिक मामले 17 हजार के आसपास के दर्ज किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स बताते हैं कि बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स प्रमुख कारक हैं, इनमें से कुछ वैरिएंट्स अति संक्रामकता दर के साथ वैक्सीनेशन से शरीर में बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा भी दे सकते हैं।
पिछले 24 घंटे में देश में 16103 लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई, इसके साथ एक्टिव केस भी अब बढ़कर 1.11 लाख के पार हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का इन नए वैरिएंट्स के खतरे को लेकर सभी लोगों को लगातार सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है।
नए वैरिएंट्स के साथ कोरोना वायरस शरीर के अलग-अलग अंगों को लक्षित करता हुआ देखा जा रहा है। महामारी की शुरुआत में जहां इसे सिर्फ श्वसन वायरस के तौर पर देखा जा रहा था वहीं अब इसके शरीर के अन्य अंगों जैसे पेट, त्वचा, किडनी-लिवर और आंखों से संबंधित लक्षण भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ संक्रमण के आंखों से संबंधित लक्षणों पर विशेष ध्यान देने की अपील करते हैं। आइए जानते हैं कि आंखों में किस तरह की समस्याओं के आधार पर संक्रमण की पहचान की जा सकती है?
आंखों को प्रभावित कर रहा है वायरस
कोरोना के खतरे को जानने के लिए अध्ययन कर रही विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि शरीर में प्रवेश के साथ वायरस आंखों की तंत्रिकाओं पर हमला बोल देता है जिसके कारण इससे संबंधित कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। रोगियों पर किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोनावायरस सेंट्रल कैरेनियल नर्व्स पर अटैक कर रहा है, जिससे आपकी आंखों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं।
कैरेनियल नर्व्स आपकी आंखों, कान और नाक सहित मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में संदेश भेजती हैं। इन अंगों में होने वाली समस्या के आधार पर भी शरीर में संक्रमण की पुष्टि की जा सकती है। नए वैरिएंट्स से संक्रमित ज्यादातर लोगों में आंखों के फड़कने की दिक्कत देखी जा रही है।
किस तरह के हो सकते हैं लक्षण
विशेषज्ञों ने बताया कि कैरेनियल नर्व्स में होने वाली समस्याओं के कारण आंखों में दर्द और आसपास की मांसपेशियों से संबंधित कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। कोविड-19 संक्रमण के दौरान आंखों में सूखापन, खुजली, लालिमा, कंजंक्टिवाइटिस, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, आंखों में दर्द और आंखों से पानी आने जैसी समस्या भी हो सकती है। आंकड़ों के अनुसार कोरोनावायरस से संक्रमित 1-3 फीसदी लोगों में कंजंक्टिवाइटिस क समस्या देखने को मिल रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यदि आपकी आंख का फड़कना लगातार कुछ दिनों तक जारी रहता है और समय के साथ यह बढ़ता जाता है तो इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इसमें की गई लापरवाही आपकी दृष्टि को भी प्रभावित कर सकती है। समय पर इन लक्षणों पर ध्यान न देने की स्थिति में कई तरह के न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा बढ़ने के साथ कोरोना संक्रमण के गंभीर रूप लेने का जोखिम भी अधिक हो सकता है।
नीति आयोग की सलाह
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए नीति ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुष-आधारित उपायों पर जोर देने की अपील की है। इसके लिए आयोग ने कंपेंडियम रिलीज करते हुए कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए आयुष-आधारित आयुर्वेदिक प्रथाओं को पालन में लाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। महामारी की शुरुआत से ही इसपर जोर दिया जाता रहा है, अध्ययन भी कोरोना के खिलाफ इसे असरदार मानते हैं। देशभर में बढ़ते मामलों को प्रतिबंधित करने में यह बेहतर उपाय हो सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
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