निर्देशक केतन मेहता का आमिर खान की पहली फिल्म ‘होली’ के लिए खूब लिया जाता है। केतन ने ही शाहरुख खान को लेकर एक चर्चित फिल्म ‘माया मेमसाब’ भी बनाई है। वैसे कम लोग ही जानते हैं कि केतन इस फिल्म का प्रस्ताव लेकर सबसे पहले आमिर खान के पास ही गए थे। लेकिन, तब तक आमिर खान की अपने चचेरे भाई मंसूर खान के साथ बनाई फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ रिलीज हो चुकी थी। कभी ऑटो के पीछे अपनी फिल्म के पोस्टर लगाते दिखने वाले आमिर अब सुपरस्टार बन चुके थे और उनके सामने बड़े बैनर्स की फिल्मों की लाइन लग चुकी थी। समय के साथ अपना रुख और अपने रिश्ते बदलते रहने वाले आमिर तब अपने करियर की पहली फिल्म इस निर्देशक के लिए समय ही नहीं निकाल पाए। बहाना आमिर ने ये बनाया कि उनको फिल्म की पटकथा पसंद नहीं आई थी। फिल्म ‘माया मेमसाब’ फ्रेंच उपन्यास मैडम बॉवरी पर बनी है। इस कहानी पर देश विदेश को मिलाकर अब तक 20 फिल्में बन चुकी हैं। इनमें से सात फिल्मों का नाम तो ‘मैडम बॉवरी’ ही है। आज के बाइस्कोप की फिल्म ‘माया मेमसाब’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का विशिष्ट उल्लेख का पुरस्कार मिला था।
शाहरुख का इकबालिया बयान
शाहरुख खान की 1993 में रिलीज हुई फिल्म ‘माया मेमसाब’ वही फिल्म है जिसके बारे में छपे एक आलेख पर हुए झगड़े के बाद शाहरुख खान को हवालात की हवा खानी पड़ी। शाहरुख और इस मामले में उनके निशाने पर आए पत्रकार के बीच बाद में मामला सुलझ तो गया लेकिन शाहरुख के दामन पर लगा ये दाग उनके तमाम माफी मांगने के बाद भी छूट नहीं पाया। अगर आपने नेटफ्लिक्स पर अमेरिका के लोकप्रिय टीवी होस्ट डेविड लेटरमैन का शाहरुख खान वाला शो देखा है तो उसमें भी शाहरुख के हवालात खाने के किस्से का जिक्र है। इस शो में शाहरुख ने माना कि करियर के शुरुआती दिनों में उन्हें कुछ घंटे हवालात में गुजारने पड़े थे। शो में शाहरुख कहते हैं, “मैं तब नया नया आया था और हर खबर पर जो कुछ भी उसमें लिखा हो, उस पर तुरंत रीएक्ट कर जाता था। शुक्र है कि तब सोशल मीडिया नहीं था। मुझे तब बहुत गुस्सा आया था तो मैंने मैगजीन के संपादक को फोन किया। मैंने उनसे पूछा कि क्या ये उन्होंने लिखा है। तो उनका जवाब था कि ये सिर्फ एक मजाक है और मुझे इसे इतना गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। मैं इसके बाद उनके ऑफिस गया और बहुत बवाल किया।”
पुलिस ने शाहरुख को डाला हवालात में
ये उन दिनों की बात है जब शाहरुख के भीतर दिल्ली का दम बाकी था। गुस्सा उनकी नाक पर बैठा रहता था। अपनी इस आदत के चलते शाहरुख बहुत बाद तक मुसीबतें झेलते रहे हैं। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वह आईपीएल के दौरान स्टेडियम के कर्मचारियों से भिड़ चुके हैं। कैटरीना कैफ की पार्टी में सलमान खान से उनकी हाथापाई होते होते बची और शिरीष कुंदर वाला चर्चित किस्सा तो सबको पता है ही। तो हुआ यूं था कि इस पत्रिका ने शाहरूख और फिल्म की हीरोइन दीपा मेहता को लेकर एक आलेख छाप दिया। उन दिनों दीपा मेहता का नाम दीपा साही हुआ करता था। आलेख के मुताबिक फिल्म के निर्देशक और दीपा मेहता के पति केतन मेहता ने फिल्म में एक बेहद रूमानी बेडरूम सीन रखा। इसकी शूटिंग के लिए न तो शाहरुख मन बना पा रहे थे और न दीपा। तो मैगजीन के मुताबिक केतन ने दोनों को एक रात साथ गुजारने को कहा ताकि वे दोनों एक दूसरे को ठीक से जान सकें और फिर अगले दिन ये सीन केतन ने सिर्फ अपने सिनेमैटोग्राफर अनूप जोटवानी के साथ शूट कर लिया। शाहरुख ने इसे पढ़ा तो वह आग बबूला हो गए। अगले ही दिन किसी फिल्मी पार्टी में उन्हें इस पत्रिका का एक बंदा मिला जिसे शाहरुख ने इस पूरे गॉसिप का राइटर समझ लिया और उसकी ऐसी की तैसी कर दी। यही नहीं पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक शाहरुख ने इसके बाद इस शख्स के घर जाकर भी ऊधम मचाया। पुलिस ने इस मामले में शाहरुख को घंटों थाने में बिठाए रखा।
फिल्म से सेंसर ने उड़ा दिया सीन
फिल्म ‘माया मेमसाब’ के जिस सीन को लेकर इतना बखेड़ा हुआ, उसे देखने के लिए स्कूल कॉलेजों के छात्र भर भरकर ये फिल्म देखने पहुंचे लेकिन फिल्म से ये सीन सेंसर बोर्ड ने ऐन मौके पर निकाल दिया। तब यूट्यूब, व्हाट्सऐप या दूसरे सोशल मीडिया थे नहीं लेकिन फिल्म में से सीन काटे जाने की खबर शनिवार तक ही जमाने को हो चुकी थी और रविवार तक फिल्म फ्लॉप घोषित हो चुकी थी। फिल्म में दीपा मेहता का किरदार माया का है। माया अपने पिता के साथ एक आलीशान हवेली में रहती है। पिता को दिल का दौरा पड़ता है तो डॉ. चारु दास उन्हें देखने आते हैं। चारु का आना जाना मेलजोल में बदलता है और दोनों की शादी हो जाती है। लेकिन डॉ. चारु दास को अपने काम से मोहब्बत है और माया को खुद से। वह अपना एक नया ख्वाहिशमंद रुद्र में तलाश लेती है। माया को प्रेम की नहीं संतुष्टि की तलाश है और इस बार उसकी नजर चढ़ता है उससे उम्र में कहीं छोटा ललित। ललित और माया के जिस्मानी रिश्तों में ऊष्मा तो बहुत होती है लेकिन आत्माओं के मिलन जैसी बात यहां भी नहीं बनती।
कौन थी माया मेमसाब?
फ्रांसीसी साहित्यकार गुस्ताव फ्लॉबर्ट के उपन्यास मैडम बॉवरी पर ये फिल्म केतन मेहता ने क्यों बनाई इसे लेकर भी तमाम किस्से प्रचलित रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि केतन मेहता के जीवन में ऐसी कोई महिला रहीं। लेकिन न कभी गुस्ताव ने किसी बॉवरी की जानकारी का इकरार किया औऱ न ही कभी केतन मेहता ने किसी माया के अपने जीवन में होने की बात मानी। केतन प्रयोगधर्मी सिनेकार रहे हैं। ‘माया मेमसाब’ से पहले हिंदी सिनेमा के दर्शकों ने उन्हें ‘भवनी भवाई’ और ‘मिर्च मसाला’ में माहौल को कहानी का हीरो बना देने वाले चितेरे के रूप में जाना। केतन को ‘माया मेमसाब’ बनाने के लिए फ्रांस से भी मदद मिली बताई जाती है। वह कुमार गंधर्व पर भी एक फिल्म बनाने चाहते थे लेकिन चर्चाओं से आगे इस पर काम कभी आगे बढ़ा नहीं। फिल्म ‘माया मेमसाब’ में डॉक्टर बने फारुख शेख, रुद्र के रोल में राज बब्बर और ललित के किरदार में शाहरुख खान से केतन ने बढ़िया काम लिया। दीपा और शाहरुख की जोड़ी केतन ने बाद में एक और फिल्म ओ डार्लिंग ये है इंडिया में भी बनाने की नाकाम कोशिश की। ‘माया मेमसाब’ में शाहरुख और दीपा के जितने सीन हैं, वे भी दोनों के बीच फेल होती केमिस्ट्री के नमूने हैं। ऐसा ही एक ट्रैक अरसे बाद फरहान अख्तर ने अपनी फिल्म ‘दिल चाहता है’ में अक्षय खन्ना और डिंपल कपाड़िया के बीच गढ़ा और दोनों ने उम्र के फासले वाले इस रिश्ते को अपनी अदाकारी से यादगार भी बना दिया।