पिछली सदी की सबसे कामयाब फिल्मों में से एक ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ आने वाली 20 अक्टूबर को अपनी रिलीज के 25 साल पूरे कर लेगी। आदित्य चोपड़ा की लिखी और निर्देशित इस पहली फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के तमाम नए रिकॉर्ड बनाए थे और कुछ रिकॉर्ड तो ये फिल्म अब भी बना रही है। सिनेमाघर में अब तक की सबसे लंबे समय तक चलने वाली इस हिंदी फिल्म के रजत जयंती वर्ष पर दुनिया के तमाम मीडिया संस्थान इस फिल्म के बारे में विशेष आयोजन कर रहे हैं।
डीडीएलजे के 25 साल पूरे करने पर इसके मुख्य कलाकार शाहरुख खान और काजोल ने अमेरिका से प्रकाशित प्रतिष्ठित पत्रिका ‘मैरी क्लेयर’ के साथ खास बातचीत की है। पत्रिका ने इस फिल्म को ‘बॉलीवुड की बेस्ट लव स्टोरी’ करार दिया है। ‘मैरी क्लेयर’ से हुई बातचीत में शाहरुख ने कहा, “राज और सिमरन के लिए ऑन-स्क्रीन जो चीज काम कर गई, वह थी बुनियादी तौर पर काजोल और मेरी ऑफ-स्क्रीन दोस्ती। यह दोस्ती इतनी सहज थी कि कैमरे के सामने ऐसे भी क्षण आए, जब लगा ही नहीं कि हम दोनों जरा भी एक्टिंग कर रहे हैं। हमने फिल्म का कोई भी दृश्य योजना बनाकर नहीं किया, हमने सिर्फ प्रवाह में बहने दिया। अगर हमें कोई चीज पसंद नहीं आती थी, तो हम बिना किसी औपचारिकता के बस एक-दूसरे पर जोर-जोर से बरस पड़ते थे।”
वहीं इस बारे में फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की दूसरी लीड कलाकार काजोल कहती हैं, “मुझे शुरू से आखिर तक फिल्म की पटकथा पसंद थी। ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जिसके बारे में मुझे कुछ भी अटपटा लगा हो।“ यह जोड़ी आदित्य चोपड़ा को इस शानदार कहानी का श्रेय देती है, जिसने दुनिया भर के भारतीयों का दिल छू लिया था।
शाहरुख खान बताते हैं, “हम सब दोस्त थे और एक अच्छी कहानी का आनंद उठा रहे थे। आदि को इस मामले में पक्का पता था कि वह किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इसके जरिए वह क्या कहना चाहते हैं। हम तो बस एक ऐसी कहानी पर अभिनय कर रहे थे जिसके सारे शब्द और अहसास पूरी तरह से उनके ही थे।“ काजोल के मुताबिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ को लिखते वक्त आदि यह दिखाना चाह रहे थे कि हर जगह परिवार ऐसे ही होते हैं। जो फिल्म के मूल वाक्य को मानते हैं कि दुनिया आपके सामने जो भी पेश करे, उसे अपना लो लेकिन अपनी जड़ों को कभी मत भूलो।
फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की कामबायी का डीएनए शाहरुख उस दौर में मानते हैं, “यह फिल्म उस वक्त आई थी जब दर्शक डीडीएलजे जैसी कहानी तथा मेरी और काजोल जैसी जोड़ियों को अपनाने के लिए पहले से ज्यादा सहज हो रहे थे। ढेर सारे बाहरी अवयवों ने भी फिल्म को कामयाब बनाया। जैसे कि एक आधुनिक प्रेम अनुभूति और उस वक्त बाजार में आया उदारीकरण।“