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क्या है NAVY का फुल फॉर्म, जानें कैसे आजादी से सैकड़ों साल पहले बनी थी हमारी नौसेना

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: Mohit Mudgal Updated Wed, 04 Dec 2019 09:12 AM IST
नौसेना दिवस पर युद्द स्मारक पहुंचे नौसेना प्रमुख
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4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) के रूप में मनाया जाता है। भारतीय नौसेना एक संतुलित त्रिआयामी शक्ति है, जो महासागरों की सतह पर, उसके ऊपर और उसके नीचे, हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सक्षम है। नौसेना भारतीय सशस्त्र बलों की समुद्री शाखा है और भारतीय नौसेना के कमांडर-इन-चीफ भारत के राष्ट्रपति हैं। 17वीं शताब्दी के मराठा सम्राट, छत्रपति शिवाजी भोसले को "भारतीय नौसेना का पिता" माना जाता है। 

लेकिन नौसेना दिवस 4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है, क्या ये प्रश्न कभी आपके मन में आया है? क्या आप जानते हैं कि NAVY का फुल फॉर्म क्या है? क्या आप जानते हैं कि हमारी नौसेना आजादी से सैंकड़ों साल पहले बनी थी, तब इसे किसी और नाम से जाना जाता था? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको आगे की स्लाइड्स में बता रहे हैं।
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4 दिसंबर को ही नौसेना दिवस क्यों मनाया जाता है?

साल 1971 में आज ही के दिन भारत-पाक युद्ध के दौरान नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बर्बाद कर दिया था। भारतीय नौसेना की जीत के जश्न के रूप आज के दिन नौसेना दिवस मनाया जाता है। असल में यह पाकिस्तान द्वारा की गई कार्यावाही का जवाब था। इस कार्यवाही को 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' (Operation Trident) के नाम से भी जाना जाता है। भारत ने इस हमले से पाकिस्तानी नौसेना के कराची स्थित मुख्यालय को निशाना बनाया था। यह हमला इतना जबरदस्त था कि कराची बंदरगाह पूरी तरह बर्बाद हो गया था और इससे लगी आग सात दिनों तक जलती रही थी।
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भारतीय नौसना का इतिहास

  • भारतीय नौसेना का इतिहास साल 1612 से शुरू होता है। जब कैप्टन बेस्ट ने पुर्तगालियों का सामना किया और उन्हें हराया भी।
  • ये समुद्री लुटेरों द्वारा की गई पहली घटना थी, जिसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत के पास एक बेड़ा बनाने के लिए मजबूर कर दिया।
  • 5 सितंबर 1612 को लडाकू जहाजों का पहला दस्ता आया, इसे उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन (East India Company Marine) कहा जाता था।
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  • ये कैम्बे की खाड़ी और ताप्ती और नर्मदा के मुहाने पर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था। 
  • बॉम्बे अंग्रेजों को साल 1662 में सौंप दिया गया था। पर उन्होंने साल 1665 में आधिकारिक तौर से इस पर अधिकार स्थापित किया। इसके बाद 20 सितंबर 1668 को ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन को बॉम्बे के व्यापार की देखभाल की जिम्मेदारी भी दे दी गई।
  • साल 1686 तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो गया। इसके बाद इस दस्ते का नाम ईस्ट इंडिया मरीन से बदलकर बॉम्बे मरीन (Bombay Marine) कर दिया गया।

भारतीय नौसेना को कब मिला ये नाम

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  • बॉम्बे मरीन ने मराठा, सिंधि युद्ध के साथ-साथ साल 1824 में बर्मा युद्ध में भी हिस्सा लिया। 
  • साल 1830 में बॉम्बे मरीन का नाम बदलकर महामहिम भारतीय नौसेना रखा गया। 
  • ब्रिटिश द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस फ्लोटिला और अदन पर कब्जा करने के साथ ही नौसेना की प्रतिबद्धता कई गुना बढ़ गई, जिसके बाद साल 1840 में चीन युद्ध में इसकी तैनाती इसकी दक्षता के लिए पर्याप्त गवाही देती है।

नौसेना में कमीशन पाने वाला पहला भारतीय

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