केंद्र की मोदी सरकार अब बिना यूपीएससी पास किए ही 'योग्य' लोगों को बड़े अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। नए बदलाव के बाद न सिर्फ सरकारी, बल्कि निजी कंपनियों में काम करने वाले भी मंत्रालय के बड़े और अहम पदों पर बैठ सकेंगे। सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक इन लोगों की नियुक्ति मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर की जाएगी। विभाग ने दस मंत्रालयों में संयुक्त सचिव के लिए आवेदन मांगे हैं। इस नई चयन प्रक्रिया को 'लैटरल एंट्री' नाम दिया गया है।
सरकार का मकसद
सरकार ने यह बदलाव क्यों किया? इसका मकसद नोटिफिकेशन में बताया गया है। सरकार इसके जरिए प्रशासनिक कार्यप्रणाली में नए दृष्टिकोण और विचारों को लाना चाहती है। इसके लिए उन्होंने उन लोगों से आवेदन आमंत्रित किया है, जिन्हें उस खास क्षेत्र में दक्षता हासिल है। जॉइन्ट सेक्रेटरी का काम विभाग में प्रबंधन देखना होता है। वे नीति बनाने के साथ-साथ विभाग के अलग-अलग कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने का काम करेंगे।
कौन कर सकता है आवेदन ?
नोटिफिकेशन के मुताबिक इस पद के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई और स्वायत्त संस्थानों के पेशेवर आवेदन कर सकते हैं। इस पद के लिए वे लोग भी योग्य माने जाएंगे जो निजी क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करते हैं। सरकारी पदों के अधिकारियों का यदि चयन होता है तो वे डेप्युटेशन पर नियुक्त किए जाएंगे। वहीं, निजी क्षेत्र के पेशेवरों को तीन साल के अनुबंध पर रखा जाएगा। इन्हें नियमित सरकारी कर्मचारी की तरह वेतन दिया जाएगा। पे-स्केल 1,44,200-2,18,200 रुपये होगा। उन्हें पद पर दिए जाने वाली सभी अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलेंगी। अनुबंध तीन साल का होगा। प्रदर्शन अच्छा रहा तो इसे बढाकर पांच साल किया जाएगा।
अन्य योग्ताएं
न्यूनतम उम्र 40 साल होनी चाहिए (01 जुलाई, 2018 को)
ग्रेजुएट, अन्य शैक्षणिक डिग्री को तरजीह दी जाएगी
संबंधित क्षेत्र में कम से कम 15 साल का अनुभव होना चाहिए।
किन मंत्रालयों और विभाग में होगी इनकी नियुक्ति
राजस्व विभाग
वित्तीय सेवा विभाग
आर्थिक कार्य विभाग
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
जहाज रानी मंत्रालय
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
नागर विमानन मंत्रालय
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
क्या पहली बार ऐसा हो रहा है?
बिल्कुल नहीं। पहले भी इस तरह के फैसले लिए गए हैं लेकिन ये सचिव पद के लिए थे। इसके तहत लवराज कुमार पेट्रोलियम सचिव नियुक्त किए गए थे। वहीं, मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी सचिव बनाए गए थे। इससे पहले वो वर्ल्ड बैंक के साथ जुड़े थे। विजय एल केलकर की नियुक्ति भी इसी तहत से हुई थी।