17/18 अक्तूबर को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में क्यूंजा घाटी के युद्धवीर सिंह रावत के घर में इकलौती बेटी दीक्षा के विवाह की चहलपहल रहनी थी, लेकिन विवाह की खुशियों के घर में मातम पसर गया। जिस लाडो की डोली उठने की तैयारियां घर में चल रही थी, वहां आंगन से अर्थी उठेगी। जो खुशी के आंसू लाडो की विदाई में बहने थे वो उसकी मौत पर चीख रहे है। युद्धवीर सिंह के परिवार पर ऐसा कहर टूटा कि बेटी के साथ ही बेटा भी हादसे का शिकार हो गया। जिस घर में इस वक्त शहनाई की गूंज होनी थी वहां अब सिर्फ रोने की चीखें सुनाई दे रही हैं।
देहरादून से वाया टिहरी होते हुए रुद्रप्रयाग जा रही मैक्स बुधवार तड़के करीब तीन बजे टिहरी बांध की झील में समा गई। इस हादसे के बाद से अगस्त्यमुनि विकासखंड के क्यूंजा घाटी के मोली और जाबरी गांव में मातम पसरा हुआ है। देहरादून से 29 सितंबर की रात को अपने घर के लिए जाबरी गांव के अवतार सिंह के वाहन में सवार हुए दीक्षा, अभिषेक और आशीष को शायद ही इल्म रहा होगा कि ये उनका आखिरी सफर होगा।
वाहन में बैठने के दौरान दीक्षा और अभिषेक की माता-पिता से हुई आखिरी बातचीत के बाद अगली सुबह परिजन घर में उनका इंतजार कर रहे थे, लेकिन दिन चढ़ने के साथ परिजनों की चिंता बढ़ने लगी। जैसे ही सूचना मिली कि टिहरी के समीप कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त है, वे दौड़े-दौडे़ मीलों दूर दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और झील के किनारे ताकते रहे। इधर, मोली गांव में दीक्षा के घर में मां और दादी का रो-रोकर बुरा हाल है।
इकलौती बेटी के विवाह की तैयारियों को याद करते हुए मां की आंखें सूख गई हैं। बुजुर्ग दादी अपने नातिन और नाती को याद कर रही है। सांत्वना देने के लिए लोग घर में आने लगे, लेकिन किसी के मुंह से बोल नहीं फूट रहे हैं। मोली गांव के कुंवर सिंह रावत के घर का हाल भी ऐसा ही है। यहां माता-पिता अपने बेटे की याद में रो-रोकर बेसुध हो रहे हैं। जो गांव कुछ दिनों में शादी के उल्लास में झूमने वाला था। वहां, हर किसी की आंखें भरी हुई हैं।
दीक्षा पॉलीटेक्निक करने वाले अपने छोटे भाई अभिषेक के साथ बीते मई में देहरादून चली गई थी। यहां अभिषेक और दीक्षा का बड़ा भाई रहता है, लेकिन वह लॉकडाउन में घर लौट आया था। दीक्षा ने शादी के लिए अपनी शॉपिंग भी कर ली थी।