हरिद्वार में पांच अप्रैल की मध्य रात्रि 12.23 बजे से देव गुरु बृहस्पति कुंभ राशि मे प्रवेश कर गए है। यहीं से कुंभ पर्व का पहला चरण शुरू हो गया है। कुंभ का पूर्ण ग्रहयोग 13 अप्रैल की रात्रि 2.33 बजे पर उस वक्त बनेगा जब सूर्य मेष राशि मे प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद ही सही मायनों में कुंभ स्नान का मुहूर्त बनेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि इसी दिन नव संवत्सर की शुरुआत होगी। संक्रांति भी होगी। इसी दिन अमृत की चौघड़िया सुबह 7.28 बजे से 9:05 बजे तक रहेगी। इसी दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.42 बजे तक होगा।
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प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक यही कुंभ के स्नान का सर्वोत्तम योग होगा। कुंभ का यह दुर्लभ योग लगभग एक माह तक रहेगा। यानी कुंभ का यह ग्रह योग 14 मई की अर्द्धरात्रि तक बना रहेगा। इस अवधि तक गंगा में कुंभ स्नान का पुण्यफल प्राप्त होगा।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार 14 अप्रैल का स्नान ही वास्तविक कुंभ स्नान होगा और सबसे महत्वपूर्ण होगा। इसके बाद 21 अप्रैल को रामनवमी, 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा, 11 मई को भौमवती अमावस्या और 14 मई को अक्षय तृतीया को भी कुंभ के स्नान बताया गया है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि इसी दिन नव संवत्सर की शुरुआत होगी। संक्रांति भी होगी। इसी दिन अमृत की चौघड़िया सुबह 7.28 बजे से 9:05 बजे तक रहेगी। इसी दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.42 बजे तक होगा।
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हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार 14 अप्रैल का स्नान ही वास्तविक कुंभ स्नान होगा और सबसे महत्वपूर्ण होगा। इसके बाद 21 अप्रैल को रामनवमी, 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा, 11 मई को भौमवती अमावस्या और 14 मई को अक्षय तृतीया को भी कुंभ के स्नान बताया गया है।