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Indore News: 90 की उम्र में युवा लेखकों को राह दिखाते शरद पगारे को मिलेगा प्रतिष्ठित 'व्यास समान'

अमर उजाला इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Tue, 10 Jan 2023 01:50 PM IST
सार

इंदौर के पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास, 10 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

At the age of 90, Sharad Pagare will get the prestigious Vyas Saman
शरद पगारे - फोटो : amar ujala

विस्तार

साहित्य के क्षेत्र में देश में ज्ञानपीठ के बाद सबसे बड़ा पुरस्कार माने जाने वाला के. के. बिड़ला फॉउंडेशन का 'व्यास सम्मान' भारत के जाने-माने साहित्यकार शरद पगारे को 11 जनवरी को सायं 5 प्रेस क्लब इंदौर में एक गरिमामय कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम की मुख्य अथिति पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन होंगी। विशेष अतिथि देवी अहिल्या विश्व विद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन होंगी। के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। 'व्यास सम्मान' प्रो. शरद पगारे को उनके प्रसिद्ध उपन्यास ' पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी' के लिए दिया जा रहा है। सम्मान के तहत के. के. बिड़ला फाउंडेशन मंजूषा, प्रशस्ति प्रत्र और 4 लाख रुपए की सम्मान राशि देता है। शरद पगारे व्यास सम्मान से विभूषित होने वाले मध्य प्रदेश के एकमात्र साहित्यकार हैं।


इंदौर के पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास, 10 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त इतिहास पर उनकी 12 पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। गुलारा बेगम शरद का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है जिसके हिंदी में 11 संस्करण अब तक प्रकाशित हुए हैं। गुलारा बेगम उपन्यास पाठकों में इतना लोकप्रिय है कि इसका मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम और पंजाबी में अनुवाद हो कर प्रकाशन भी हुआ है।


पगारे को देश में ऐतिहासिक उपन्यास लेखन की परंपरा को न केवल पुनर्जीवन दिया है वरन उसे नया मोड़ भी दिया है। आपने अपने उपन्यास लेखन में ऐसे चरित्रों पर कार्य किया है जो न अपने काल में महत्वपूर्ण होने के बाद उपेक्षित रहे। पगारे ने उन्हें अपनी कलम से न्याय दिलाने का कार्य किया है। मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक नगर बुरहानपुर पर पगारे के दो उपन्यास ' गुलारा बेगम' और 'बेगम जैनाबादी' हैं।हिंदी साहित्य में किसी नगर के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर दो उपन्यास लिखने की दूसरी मिसाल नहीं मिलती। इसी प्रकार उज्जैन में 2000 वर्ष पूर्व हुवे घटनाक्रम पर आपका लोकप्रिय उपन्यास 'गन्धर्व सेन' है। प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित कृति 'पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी'मौर्य युग के वैभव से पाठक का परिचय कराती है। यह  उपन्यास इस लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है क्यों कि यह इतिहास में उपेक्षित नारी महान सम्राट अशोक की की मां धर्मा की कथा-व्यथा कहता है। इस उपन्यास का शीघ्र ही उड़िया भाषा में अनुवाद हो कर प्रकाशन हो रहा है।

अनेक साहित्यिक सम्मानों से नवाज़े जा चुके शरद पगारे का एक अन्य उपन्यास 'उजाले की तलाश' है। नक्सलवाद की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ की इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद हुवा और देश के अंग्रेज़ी के प्रतिष्ठित पब्लिशर रूपा पब्लिकेशन से इसका प्रकाशन हुवा है। 'जिंदगी के बदलते रूप' आपका एक अन्य लोकप्रिय उपन्यास है। इसी प्रकार कथा संग्रहों में नारी के रूप, सांध्य तारा, चन्द्रमुखी का देवदास हिंदी के पाठकों में काफी लोकप्रिय है।
शरद पगारे की एक अन्य महत्वपूर्ण पुस्तक 'भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक कहानियां' है। इस पुस्तक में उन्ही प्रेम प्रसंगों पर उन्होंने कलम चलाई है जिनके ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। आपके दावा है कि यह कथा संग्रह विश्व में अनूठा इसलिए है क्यूंकि किसी देश में अभी तक साहित्य में ऐसा कार्य नहीं हुआ है।
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