पश्चिमोत्तानासन को बैठकर किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसनों में से एक माना जाता है। जो व्यक्ति बचपन से या नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करता है, बुढ़ापे में भी उसकी रीढ़ की हड्डी झुकती नहीं है। महिलाओं के लिए तो ये आसन बेहद लाभकारी है। वजन कम करने के लिए ये बेहद लाभकारी है। इसके नियमित अभ्यास से गर्भाशय एवं मासिक धर्म संबंधी संमस्याओं से भी राहत मिलती है। इस आसन को करने से अनिद्रा संबंधी समस्याओं से भी निजात मिलती है। आइए जानते हैं पश्चिमोत्तासन करने का तरीका एवं इसके अन्य लाभ।
आसन को करने का तरीका-
सबसे पहले दोनों पैरों को बाहर की ओर फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं। पैर की उंगलियों को आगे और चिपकाकर रखें। लंबी गहरी सांस लेते हुए अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और जहां तक संभव हो शरीर को आगे की ओर झुकाकर पैरों की ऊंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें। शरीर को इतना झुकाने की कोशिश करें कि सिर घुटनों को छू ले। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो अपनी क्षमतानुसार करें।
पश्चिमोत्तानासन के लाभ-
पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास मन को शांत करता है और तनाव से भी छुटकारा दिलाता है। पाचन तंत्र में सुधार के लिए भी आप इस आसन को प्रतिदिन कर सकते हैं। इस आसन से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और बांझपन का भी उपचार किया जा सकता है। पेट और कूल्हों की चर्बी को कम करने के लिए यह आसन बेहद लाभकारी है।
नोट - यदि आपको अस्थमा, दस्त या पीठ में दर्द है तो इस आसन को करने से बचें। गर्भवती महिलाएं इसे न करें ।