झारखंड के दुमका जिले में धर्मांतरण प्रचार मामले में पुलिस अब दक्षिण भारत स्थित संस्था की जांच करेगी। इस मामले में पुलिस ने शनिवार को 16 ईसाई प्रचारकों को गिरफ्तार किया था। जिसमें 7 महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी ने पूछताछ में बताया है कि ये सभी दक्षिण भारत स्थित एक संस्था से जुड़े हुए हैं। इन सभी को धर्मांतरण के विरुद्ध अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि यह अधिनियम राज्य में बीते वर्ष ही लागू किया गया है। इसके तहत कोई भी जबरन, प्रचार या फिर कोई लालच देकर किसी अन्य का धर्म परिवर्तन नहीं करवा सकता है।
मामले पर दुमका के एसपी कौशल किशोर का कहना है कि जांच के दौरान कुछ आरोपियों ने बताया है कि वह दक्षिण भारत स्थित एक संस्था से जुड़े हुए थे। पुलिस तब तक उस संस्था का नाम उजागर नहीं कर सकती जब तक जांच में पूरी तरह यह सत्यापित नहीं हो जाता कि वह संस्था इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि 16 में से 5 आरोपियों का कहना है कि इस काम के लिए वह प्रमुख खिलाड़ी हैं। यानि वह ईसाई धर्म के प्रचार के लिए मुख्य लोग हैं और बाकि लोग उन्हीं के साथ आए थे। एसपी ने बताया कि इन सभी को रिमांड पर भेजा जाएगा।
सभी 16 प्रचारकों को गांव वालों को प्रलोभन देने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। यह आरोपी गांव वालों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए कह रहे थे। इन्हें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2017 और भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस अधिनियम के तहत तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं अगर पीड़ित कोई नाबालिग, महिला, बुजुर्ग या फिर कोई आदिवासी जाति या जनजाति का है तो चार साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
यह शिकायत फूल पाहिरी गांव के प्रधान रमेश मुर्मू ने शिकारीपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई है। यह सभी प्रचारक गुरुवार की शाम पश्चिम बंगाल से यहां बस से पहुंचे थे। मुर्मू ने अपनी शिकायत में कहा है कि यह लोग लाउड स्पीकर लगाकर गांव में लोगों को इकट्ठा कर रहे थे और फिर ईसाई धर्म के बारे में बताकर गांव वालों से इस धर्म से जुड़ने को कह रहे थे। पुलिस का कहना है कि 16 में से 10 प्रचारक पश्चिम बंगाल से यहां आए हैं इसलिए वह भी जांच की जाएगी।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस गांव में कुल 68 घर हैं और 323 लोग रहते हैं। उन्होंने बताया जब यह लोग आदिवासियों के पूजा स्थलों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे थे तो गांव वाले इन पर गुस्सा भी हुए और इन्हें ये काम बंद करने के लिए कहा। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद गांव वालों ने पूरी रात इन सबको नजरबंद करके रखा और अगली सुबह पुलिस के हवाले कर दिया। इस दौरान किसी के भी साथ कोई शारीरिक हिंसा नहीं हुई। कौशल ने बताया कि गांव वालों का कहना है कि ये लोग पहले भी गांव में आ चुके हैं और तब भी इन्होंने ऐसे ही ईसाई धर्म का प्रचार किया था।
झारखंड के दुमका जिले में धर्मांतरण प्रचार मामले में पुलिस अब दक्षिण भारत स्थित संस्था की जांच करेगी। इस मामले में पुलिस ने शनिवार को 16 ईसाई प्रचारकों को गिरफ्तार किया था। जिसमें 7 महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी ने पूछताछ में बताया है कि ये सभी दक्षिण भारत स्थित एक संस्था से जुड़े हुए हैं। इन सभी को धर्मांतरण के विरुद्ध अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि यह अधिनियम राज्य में बीते वर्ष ही लागू किया गया है। इसके तहत कोई भी जबरन, प्रचार या फिर कोई लालच देकर किसी अन्य का धर्म परिवर्तन नहीं करवा सकता है।
मामले पर दुमका के एसपी कौशल किशोर का कहना है कि जांच के दौरान कुछ आरोपियों ने बताया है कि वह दक्षिण भारत स्थित एक संस्था से जुड़े हुए थे। पुलिस तब तक उस संस्था का नाम उजागर नहीं कर सकती जब तक जांच में पूरी तरह यह सत्यापित नहीं हो जाता कि वह संस्था इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि 16 में से 5 आरोपियों का कहना है कि इस काम के लिए वह प्रमुख खिलाड़ी हैं। यानि वह ईसाई धर्म के प्रचार के लिए मुख्य लोग हैं और बाकि लोग उन्हीं के साथ आए थे। एसपी ने बताया कि इन सभी को रिमांड पर भेजा जाएगा।
सभी 16 प्रचारकों को गांव वालों को प्रलोभन देने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। यह आरोपी गांव वालों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए कह रहे थे। इन्हें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2017 और भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस अधिनियम के तहत तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं अगर पीड़ित कोई नाबालिग, महिला, बुजुर्ग या फिर कोई आदिवासी जाति या जनजाति का है तो चार साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
यह शिकायत फूल पाहिरी गांव के प्रधान रमेश मुर्मू ने शिकारीपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई है। यह सभी प्रचारक गुरुवार की शाम पश्चिम बंगाल से यहां बस से पहुंचे थे। मुर्मू ने अपनी शिकायत में कहा है कि यह लोग लाउड स्पीकर लगाकर गांव में लोगों को इकट्ठा कर रहे थे और फिर ईसाई धर्म के बारे में बताकर गांव वालों से इस धर्म से जुड़ने को कह रहे थे। पुलिस का कहना है कि 16 में से 10 प्रचारक पश्चिम बंगाल से यहां आए हैं इसलिए वह भी जांच की जाएगी।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस गांव में कुल 68 घर हैं और 323 लोग रहते हैं। उन्होंने बताया जब यह लोग आदिवासियों के पूजा स्थलों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे थे तो गांव वाले इन पर गुस्सा भी हुए और इन्हें ये काम बंद करने के लिए कहा। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद गांव वालों ने पूरी रात इन सबको नजरबंद करके रखा और अगली सुबह पुलिस के हवाले कर दिया। इस दौरान किसी के भी साथ कोई शारीरिक हिंसा नहीं हुई। कौशल ने बताया कि गांव वालों का कहना है कि ये लोग पहले भी गांव में आ चुके हैं और तब भी इन्होंने ऐसे ही ईसाई धर्म का प्रचार किया था।