आकर्षक तोरणद्वार, चमचमाते शामियाने, भोज के लिए व्यंजनों के दर्जनों स्टाल और शाम ढलने के बावजूद दुधिया रोशनी से नहाती चहल-पहल। बाबा बर्फानी के सेवादारों की लगन से यह नजारा हर साल पौषपत्री में लगने वाले श्री शिव सेवक दिल्ली के लंगर में बनता है।
श्री अमरनाथ यात्रा रूट पर वैसे तो सौ से अधिक लंगर कमेटियां श्रद्धालुओं की सेवा में जुटती हैं, लेकिन पौषपत्री में श्री शिव सेवक दिल्ली का लंगर अनूठा है। श्रद्धालुओं के खान-पान की व्यवस्था और सेवा भाव में तमाम लंगर कमेटियां कोई कसर नहीं छोड़तीं, मगर पौषपत्री के लंगर में खुद की तैयार की जाने वाली बिजली का इंतजाम इसे अलग बनाता है।
इस साल 22वां लंगर आयोजित करने जा रहे श्री शिव सेवक दिल्ली के लंगर स्थल पर खाने-पीने की चीजोें के साथ बिजली भी बनाई जाती है। लाखों रुपये खर्च कर लंगर स्थल पर बाकायदा टरबाइन लगाई गई, जिससे लगातार बिजली बनती है।
लंगर आयोजकों की मानें तो बिजली न सिर्फ लंगर, बल्कि आसपास सुरक्षा बलों के अस्थायी कैंपों में भी सप्लाई होती है। लंगर के सचिव योगेंद्र शुक्ला के अनुसार पौषपत्री यात्रा मार्ग पर होने की वजह से लंगर आयोजन के लिए कई चुनौतियां खड़ी करता है।
बरसों लगातार तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी लंगर का आयोजन होता रहा, लेकिन बिजली की कमी खलती रही। इस पर आयोजक समिति ने स्थायी व्यवस्था की तरकीब लड़ाई। लंगर सहित यात्रा रूट पर सुरक्षा बलों के निकटवर्ती चौकियों को भी बिजली सप्लाई की जाती है।
निर्बाध बिजली की व्यवस्था होने के बावजूद विकल्प के तौर पर संस्था अपने साथ जेनरेटर भी रखती है। लंगर अवधि पूरी होने के बाद टरबाइन को फिर से खोल लिया जाता है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोर्ड केवल लंगर लगाने की अनुमति देता है। कुछ लोग टरबाइन से बिजली बनाते हैं ऐसा सुना है, लेकिन बोर्ड के पास इससे अधिक जानकारी नहीं है।
यूं तैयार होती है बिजली
समिति सदस्यों ने अपने स्तर पर इलाके का सर्वे किया और लंगर आयोजन के दौरान बिजली तैयार करने का निर्णय ले लिया। लंगर स्थल से डेढ़ किलोमीटर दूर ऊंचाई वाले स्थान पर पानी का स्रोत ढूंढा गया, जहां से इतनी ही लंबाई का 12 इंच मोटा पाइप बिछाया गया। यह पानी चूंकि लगातार चलता रहता है तो नीचे लंगर स्थल के पास टरबाइन लगाकर 15 केवीए क्षमता की बिजली बनाई जाती है।
आकर्षक तोरणद्वार, चमचमाते शामियाने, भोज के लिए व्यंजनों के दर्जनों स्टाल और शाम ढलने के बावजूद दुधिया रोशनी से नहाती चहल-पहल। बाबा बर्फानी के सेवादारों की लगन से यह नजारा हर साल पौषपत्री में लगने वाले श्री शिव सेवक दिल्ली के लंगर में बनता है।
श्री अमरनाथ यात्रा रूट पर वैसे तो सौ से अधिक लंगर कमेटियां श्रद्धालुओं की सेवा में जुटती हैं, लेकिन पौषपत्री में श्री शिव सेवक दिल्ली का लंगर अनूठा है। श्रद्धालुओं के खान-पान की व्यवस्था और सेवा भाव में तमाम लंगर कमेटियां कोई कसर नहीं छोड़तीं, मगर पौषपत्री के लंगर में खुद की तैयार की जाने वाली बिजली का इंतजाम इसे अलग बनाता है।
इस साल 22वां लंगर आयोजित करने जा रहे श्री शिव सेवक दिल्ली के लंगर स्थल पर खाने-पीने की चीजोें के साथ बिजली भी बनाई जाती है। लाखों रुपये खर्च कर लंगर स्थल पर बाकायदा टरबाइन लगाई गई, जिससे लगातार बिजली बनती है।
यात्रा के दौरान लंगर के साथ सुरक्षा बलों की चौकियां भी रहती हैं रोशन
लंगर आयोजकों की मानें तो बिजली न सिर्फ लंगर, बल्कि आसपास सुरक्षा बलों के अस्थायी कैंपों में भी सप्लाई होती है। लंगर के सचिव योगेंद्र शुक्ला के अनुसार पौषपत्री यात्रा मार्ग पर होने की वजह से लंगर आयोजन के लिए कई चुनौतियां खड़ी करता है।
बरसों लगातार तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी लंगर का आयोजन होता रहा, लेकिन बिजली की कमी खलती रही। इस पर आयोजक समिति ने स्थायी व्यवस्था की तरकीब लड़ाई। लंगर सहित यात्रा रूट पर सुरक्षा बलों के निकटवर्ती चौकियों को भी बिजली सप्लाई की जाती है।
निर्बाध बिजली की व्यवस्था होने के बावजूद विकल्प के तौर पर संस्था अपने साथ जेनरेटर भी रखती है। लंगर अवधि पूरी होने के बाद टरबाइन को फिर से खोल लिया जाता है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोर्ड केवल लंगर लगाने की अनुमति देता है। कुछ लोग टरबाइन से बिजली बनाते हैं ऐसा सुना है, लेकिन बोर्ड के पास इससे अधिक जानकारी नहीं है।
यूं तैयार होती है बिजली
समिति सदस्यों ने अपने स्तर पर इलाके का सर्वे किया और लंगर आयोजन के दौरान बिजली तैयार करने का निर्णय ले लिया। लंगर स्थल से डेढ़ किलोमीटर दूर ऊंचाई वाले स्थान पर पानी का स्रोत ढूंढा गया, जहां से इतनी ही लंबाई का 12 इंच मोटा पाइप बिछाया गया। यह पानी चूंकि लगातार चलता रहता है तो नीचे लंगर स्थल के पास टरबाइन लगाकर 15 केवीए क्षमता की बिजली बनाई जाती है।