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सरकारी दावे तो बहुत हैं लेकिन खाने पीने के फिर भी लाले हैं। कर्फ्यू की पाबंदियों के बीच अस्पतालों से लेकर टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर और गली मोहल्लों में फंसे बाहरी इलाकों के लोगाें को खाना मयस्सर नहीं हो रहा। घाटी में जरूरतमंद लोगाें, खासकर फ्लोटिंग पॉपुलेशन (प्रवासी जनसंख्या) के सामने खड़े दो जून की रोटी के इस संकट में मोहल्ला कमेटियों के वालंटियर संकट मोचक साबित हो रहे हैं।
श्रीनगर शहर सहित आसपास के इलाकों में दर्जनों की तादाद में मोहल्ला कमेटियाें के लंगर सक्रिय हो गए हैं। बाकायदा चंदा एकत्रित हो रहा है। खाने का सामान जुट रहा है। खाना लजीज बने इसका भी ख्याल रखा जा रहा है।
बनने के बाद खाने की पैकिंग और कर्फ्यू की पाबंदियों में फंसे लोगाें तक डिलीवरी पहुंचाने के लिए मोहल्ला कमेटियाें के वालंटियराें का नेटवर्क संगठित होकर काम कर रहा है। कर्फ्यू की पाबंदियाें को दो हफ्ते हो गए हैं।
कर्फ्यू के शुरुआती दिनों में तो जैसे तैसे काम चल गया लेकिन आवाजाही पर पाबंदिंयां कड़ी होने से खाने पीने का सामान मिलना मुश्किल हो गया। राजबाग मोहल्ला कमेटी के सदस्य जहूर अहमद ने बताया मोहल्ले के लोगाें ने मिलकर कमेटी बनाने का फैसला किया जो पिछले एक हफ्ते से दिन रात काम पर लगी है।
श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल, बोन एंड जायंट अस्पताल, शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूटी आफ मेडिकल साइंसेज, लाल चौक स्थित टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर में कई जरूरतमंदों को खाने पीने का सामान लेने में दिक्कतें हो रही हैं। राजबाग जैसे ही कई अन्य मोहल्लों में कमेटियां जरूरतमंदाें को खाना पहुंचा रही हैं।
रोजाना तीन से चार हजार लोगाें तक खाना पहुंचाने में लगे वालेंटियर खाना पैक कर अपने वाहनाें में अलग अलग इलाकों तक पहुंचा रहे हैं। वाहनों पर मोहल्ला कमेटी के बैनर लगे देख कर्फ्यू में उन्हें छूट भी मिल रही है।
सरकारी दावे तो बहुत हैं लेकिन खाने पीने के फिर भी लाले हैं। कर्फ्यू की पाबंदियों के बीच अस्पतालों से लेकर टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर और गली मोहल्लों में फंसे बाहरी इलाकों के लोगाें को खाना मयस्सर नहीं हो रहा। घाटी में जरूरतमंद लोगाें, खासकर फ्लोटिंग पॉपुलेशन (प्रवासी जनसंख्या) के सामने खड़े दो जून की रोटी के इस संकट में मोहल्ला कमेटियों के वालंटियर संकट मोचक साबित हो रहे हैं।
श्रीनगर शहर सहित आसपास के इलाकों में दर्जनों की तादाद में मोहल्ला कमेटियाें के लंगर सक्रिय हो गए हैं। बाकायदा चंदा एकत्रित हो रहा है। खाने का सामान जुट रहा है। खाना लजीज बने इसका भी ख्याल रखा जा रहा है।
बनने के बाद खाने की पैकिंग और कर्फ्यू की पाबंदियों में फंसे लोगाें तक डिलीवरी पहुंचाने के लिए मोहल्ला कमेटियाें के वालंटियराें का नेटवर्क संगठित होकर काम कर रहा है। कर्फ्यू की पाबंदियाें को दो हफ्ते हो गए हैं।
टीआरसी में जरूरतमंदाें को डिलीवर हो रहा पैक्ड फूड
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- फोटो : Amar Ujala
कर्फ्यू के शुरुआती दिनों में तो जैसे तैसे काम चल गया लेकिन आवाजाही पर पाबंदिंयां कड़ी होने से खाने पीने का सामान मिलना मुश्किल हो गया। राजबाग मोहल्ला कमेटी के सदस्य जहूर अहमद ने बताया मोहल्ले के लोगाें ने मिलकर कमेटी बनाने का फैसला किया जो पिछले एक हफ्ते से दिन रात काम पर लगी है।
श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल, बोन एंड जायंट अस्पताल, शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूटी आफ मेडिकल साइंसेज, लाल चौक स्थित टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर में कई जरूरतमंदों को खाने पीने का सामान लेने में दिक्कतें हो रही हैं। राजबाग जैसे ही कई अन्य मोहल्लों में कमेटियां जरूरतमंदाें को खाना पहुंचा रही हैं।
रोजाना तीन से चार हजार लोगाें तक खाना पहुंचाने में लगे वालेंटियर खाना पैक कर अपने वाहनाें में अलग अलग इलाकों तक पहुंचा रहे हैं। वाहनों पर मोहल्ला कमेटी के बैनर लगे देख कर्फ्यू में उन्हें छूट भी मिल रही है।