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wheat Area under rises, govt expects robust rabi harvest this year
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Rabi Harvest: गेहूं की बोआई का रकबा बढ़ा, जबरदस्त उत्पादन का अनुमान, पिछले साल आई थी कमी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 30 Nov 2022 10:40 AM IST
सार
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देश में शीतकालीन या रबी फसलों के रूप में मुख्य रूप से गेहूं बोया जाता है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में गेहूं की जबर्दस्त बोआई हो रही है। इसे देखते हुए अगले साल मार्च अप्रैल में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है। पिछले साल खराब मौसम के कारण कई फसलों को नुकसान हुआ था।
देश में चालू रबी सीजन में गेहूं की जबरदस्त बोआई हुई है। 28 नवंबर तक 1.52 करोड़ हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है। जबकि पिछले साल इस अवधि तक 1.38 करोड़ हेक्टेयर में बोआई हुई थी। इसे देखते हुए सरकार को इस बार देश में गेहूं का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है।
देश में शीतकालीन या रबी फसलों के रूप में मुख्य रूप से गेहूं बोया जाता है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में गेहूं की जबर्दस्त बोआई हो रही है। इसे देखते हुए अगले साल मार्च अप्रैल में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है।
यहां ज्यादा हुई गेहूं की बोआई
नवंबर तक देश में रबी फसलों की कुल बोआई के रकबे में से गेहूं का रकबा 57 फीसदी के पार पहुंच गया है। पिछले साल खराब मौसम के कारण कई फसलों को नुकसान हुआ था। मंत्रालय के अनुसार गेहूं की ज्यादा बोआई मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में हुई है।
14 साल के निम्न स्तर पर पहुंच गया था गेहूं का स्टॉक
विश्लेषकों का कहना है कि रबी सीजन 2022-23 गेहूं का स्टॉक फिर से भरने के लिए महत्वपूर्ण होगा। पिछले साल गर्मी की जल्दी शुरुआत होने से इसमें 30 लाख टन की कमी रही थी। इसके कारण गेहूं का स्टॉक 14 साल के निम्न स्तर पर पहुंच गया था। इस कारण खेरची बाजार में गेहूं के दाम बढ़ गए। 2021-22 में देश का गेहूं उत्पादन पिछले वर्ष के 1.09 करोड़ टन की तुलना में 1.06 करोड़ टन रहा था।
चार साल में सबसे ज्यादा बढ़ा गेहूं का रकबा
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस साल अब तक गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 14 लाख हेक्टेयर बढ़ चुका है। यह बीते चार साल का सर्वाधिक है। इस साल, यूक्रेन जंग के बाद विश्वभर में गेहूं की कीमतें बढ़ गई हैं। इसलिए भारत से गेहूं निर्यात में तेजी आई है। इस कारण सरकार को घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए मई में निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद भी गेहूं के खुदरा दाम ऊंचे बने हुए हैं।
आटे के दाम एक साल में 17 फीसदी बढ़े
खुले बाजार में अनाज की कमी के कारण पिछले एक साल में गेहूं के आटे की कीमतों में 17 फीसदी की वृद्धि हुई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार गेहूं की कम आपूर्ति के कारण इसके आटे की कीमतें 36.98 रुपये प्रति किलोग्राम के औसत मूल्य पर पहुंच गई हैं। ये चावल के 37.96 रुपये प्रति किलो के बराबर पहुंच गए हैं।
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