भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को आगरा पहुंच गए हैं। आगरा के महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 21 विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं, चुनाव प्रभारियों से मुलाकात करेंगे। इसमें पार्टी के विभिन्न वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह भी शनिवार से पश्चिमी यूपी के मोर्चे पर उतर रहे हैं। वे भी कार्यकर्ताओं से मिलकर पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप देंगे। विभिन्न पदों पर काम करते हुए इन दोनों नेताओं का यूपी के भाजपा कार्यकर्ताओं से लंबा संबंध रहा है। उत्तर प्रदेश से पुराना राजनीतिक संबंध होने के नाते भाजपा को उम्मीद है कि ये दोनों नेता इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे और पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे।
क्या गुल खिलाएंगे शाह?
उत्तर प्रदेश के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के बाद जेपी नड्डा का यह पहला प्रदेश दौरा है। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए भी प्रदेश के कोने-कोने से कार्यकर्ताओं से उनके सीधे संबंध रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि उनके इन सीधे संबंधों से कार्यकर्ताओं में ऊर्जा आएगी और पश्चिमी यूपी की लड़ाई उसके लिए अपेक्षाकृत आसान हो जाएगी।
शनिवार से पश्चिमी यूपी के मोर्चे पर डट रहे अमित शाह सबसे पहले कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। उनके साथ बैठकों में क्षेत्रवार रणनीति बनाकर पार्टी का चुनाव प्रचार आगे बढ़ाया जाएगा। अमित शाह 2012 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में काम करते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अविश्वसनीय बढ़त (कुल 80 में 73 सीटें) दिलाने में अपनी एतिहासिक भूमिका निभा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनकी रणनीति ने भाजपा को एतिहासिक सफलता दिलाई थी। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी रणनीति एक बार फिर कामयाब रहेगी और सपा-आरएलडी गठबंधन को पीछे छोड़ते हुए भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित कर सकेगी।
भाजपा का दावा- फ्लॉप रहेंगी सपा-बसपा
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला को बताया कि अमित शाह और जेपी नड्डा दोनों ही उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं से सीधा संबंध रखते हैं और यही कारण है कि उनके दिए गए सभी निर्देश पूरी तरह लागू होते हैं। कार्यकर्ता उन्हें हर कीमत पर पूरा करने के लिए अपनी पूरी जी-जान लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा इस चुनाव में एक अभूतपूर्व बहुमत की ओर बढ़ रही है। सपा-आरएलडी गठबंधन भाजपा के सामने कितनी चुनौती पेश कर सकेगा? इस सवाल पर राकेश त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने इसके पहले 2017 में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन करके देख लिया है। जनता इस तरह के अवसरवादी गठबंधन को स्वीकार नहीं करती। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म से आगे बढ़कर समाज के हर एक व्यक्ति की भलाई के लिए योजनाएं चलाने वाली केंद्र और यूपी सरकार आज पूरे प्रदेश की पहली पसंद बन चुकी है। उन्होंने कहा कि लोगों की यह सोच मतदान में परिवर्तित होगी और भाजपा एतिहासिक जीत हासिल करेगी।
भाजपा को वोट देंगे दलित?
अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय निर्मल ने कहा कि आगरा को दलितों की राजधानी के रूप में देखा जाता है। यहां जाटव और गैर-जाटव दलित सबसे ज्यादा संख्या में रहते हैं। जेपी नड्डा ने इस क्षेत्र से अपने चुनावी कार्यक्रम की शुरुआत कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा के लिए दलित समुदाय सबसे पहली प्राथमिकता रखता है और यही कारण है कि दलित समुदाय का भाजपा को समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।
जाटव समुदाय से आने वाले संजय निर्मल ने कहा कि दलित समुदाय ने यह देखा है कि भाजपा अपने राजनीतिक समर्थन से मायावती को तीन-तीन बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना चुकी है। भाजपा ने दलितों के स्वाभिमान के प्रतीक अंबेडकर को और उनकी विचारधारा को स्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए हैं और यही कारण है कि दलित समुदाय किसी भी कीमत पर सपा के साथ नहीं जा सकता।
संजय निर्मल ने कहा कि दलित और ओबीसी के नाम पर जातीय राजनीति करने वाले दलों ने यह दिखा दिया है कि सत्ता पाने के बाद वे केवल अपने परिवार के हित की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा ने एक एक दलित-ओबीसी और अन्य सभी वर्गों के परिवारों के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि मायावती के कमजोर होने पर दलित समुदाय का समर्थन भाजपा की ओर जाएगा। जाटव समुदाय भी इस बार बड़ी संख्या में भाजपा को वोट कर रहा है, जबकि गैर-जाट समुदाय पहले से ही भारी संख्या में भाजपा के पक्ष में मुड़ चुका है। उन्होंने कहा कि समाज के इन सभी वर्गों के समर्थन से प्रदेश में एक बार फिर भाजपा सरकार आनी तय है।
विस्तार
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को आगरा पहुंच गए हैं। आगरा के महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 21 विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं, चुनाव प्रभारियों से मुलाकात करेंगे। इसमें पार्टी के विभिन्न वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह भी शनिवार से पश्चिमी यूपी के मोर्चे पर उतर रहे हैं। वे भी कार्यकर्ताओं से मिलकर पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप देंगे। विभिन्न पदों पर काम करते हुए इन दोनों नेताओं का यूपी के भाजपा कार्यकर्ताओं से लंबा संबंध रहा है। उत्तर प्रदेश से पुराना राजनीतिक संबंध होने के नाते भाजपा को उम्मीद है कि ये दोनों नेता इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे और पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे।
क्या गुल खिलाएंगे शाह?
उत्तर प्रदेश के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के बाद जेपी नड्डा का यह पहला प्रदेश दौरा है। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए भी प्रदेश के कोने-कोने से कार्यकर्ताओं से उनके सीधे संबंध रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि उनके इन सीधे संबंधों से कार्यकर्ताओं में ऊर्जा आएगी और पश्चिमी यूपी की लड़ाई उसके लिए अपेक्षाकृत आसान हो जाएगी।
शनिवार से पश्चिमी यूपी के मोर्चे पर डट रहे अमित शाह सबसे पहले कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। उनके साथ बैठकों में क्षेत्रवार रणनीति बनाकर पार्टी का चुनाव प्रचार आगे बढ़ाया जाएगा। अमित शाह 2012 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में काम करते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अविश्वसनीय बढ़त (कुल 80 में 73 सीटें) दिलाने में अपनी एतिहासिक भूमिका निभा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनकी रणनीति ने भाजपा को एतिहासिक सफलता दिलाई थी। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी रणनीति एक बार फिर कामयाब रहेगी और सपा-आरएलडी गठबंधन को पीछे छोड़ते हुए भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित कर सकेगी।
भाजपा का दावा- फ्लॉप रहेंगी सपा-बसपा
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला को बताया कि अमित शाह और जेपी नड्डा दोनों ही उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं से सीधा संबंध रखते हैं और यही कारण है कि उनके दिए गए सभी निर्देश पूरी तरह लागू होते हैं। कार्यकर्ता उन्हें हर कीमत पर पूरा करने के लिए अपनी पूरी जी-जान लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा इस चुनाव में एक अभूतपूर्व बहुमत की ओर बढ़ रही है। सपा-आरएलडी गठबंधन भाजपा के सामने कितनी चुनौती पेश कर सकेगा? इस सवाल पर राकेश त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने इसके पहले 2017 में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन करके देख लिया है। जनता इस तरह के अवसरवादी गठबंधन को स्वीकार नहीं करती। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म से आगे बढ़कर समाज के हर एक व्यक्ति की भलाई के लिए योजनाएं चलाने वाली केंद्र और यूपी सरकार आज पूरे प्रदेश की पहली पसंद बन चुकी है। उन्होंने कहा कि लोगों की यह सोच मतदान में परिवर्तित होगी और भाजपा एतिहासिक जीत हासिल करेगी।
भाजपा को वोट देंगे दलित?
अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय निर्मल ने कहा कि आगरा को दलितों की राजधानी के रूप में देखा जाता है। यहां जाटव और गैर-जाटव दलित सबसे ज्यादा संख्या में रहते हैं। जेपी नड्डा ने इस क्षेत्र से अपने चुनावी कार्यक्रम की शुरुआत कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा के लिए दलित समुदाय सबसे पहली प्राथमिकता रखता है और यही कारण है कि दलित समुदाय का भाजपा को समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।
जाटव समुदाय से आने वाले संजय निर्मल ने कहा कि दलित समुदाय ने यह देखा है कि भाजपा अपने राजनीतिक समर्थन से मायावती को तीन-तीन बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना चुकी है। भाजपा ने दलितों के स्वाभिमान के प्रतीक अंबेडकर को और उनकी विचारधारा को स्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए हैं और यही कारण है कि दलित समुदाय किसी भी कीमत पर सपा के साथ नहीं जा सकता।
संजय निर्मल ने कहा कि दलित और ओबीसी के नाम पर जातीय राजनीति करने वाले दलों ने यह दिखा दिया है कि सत्ता पाने के बाद वे केवल अपने परिवार के हित की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा ने एक एक दलित-ओबीसी और अन्य सभी वर्गों के परिवारों के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि मायावती के कमजोर होने पर दलित समुदाय का समर्थन भाजपा की ओर जाएगा। जाटव समुदाय भी इस बार बड़ी संख्या में भाजपा को वोट कर रहा है, जबकि गैर-जाट समुदाय पहले से ही भारी संख्या में भाजपा के पक्ष में मुड़ चुका है। उन्होंने कहा कि समाज के इन सभी वर्गों के समर्थन से प्रदेश में एक बार फिर भाजपा सरकार आनी तय है।