संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, सभी सांसद, चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, संसद के रक्षक हैं और इन्हें अपना दायित्व पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए। प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता से भ्रमित नहीं होना चाहिए। संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है और यह सभी सांसदों की जिम्मेदारी है कि इस मंदिर का अपमान नहीं होने दें।
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, आपके विचारों में मतभेद हो सकता है लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए जो जन सेवा के मूल उद्देश्य को बाधित करे। विपक्ष तो लोकतंत्र का सबसे अहम तत्व है। एक प्रभावी विपक्ष के बिना लोकतंत्र ही अप्रभावी हो जाएगा। ऐसी अपेक्षा की जाती है कि सरकार और विपक्ष आपसी मतभेदों के बावजूद नागरिकों के सर्वोत्तम हित में मिलकर काम करना जारी रखें। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी यही कल्पना की थी और राष्ट्र निर्माण के लिए यह जरूरी भी है।
कोविंद ने कहा, पक्ष व विपक्ष के सदस्यों के बीच प्रतिस्पर्धा जरूरी है लेकिन यह एक बेहतर प्रतिनिधि बनने के लिए होनी चाहिए, इनके बीच जनता का अधिक से अधिक भला करने की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। जब ऐसा होगा तभी यह एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा मानी जाएगी। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता से भ्रमित नहीं होना चाहिए।
जनता की सेवा ही होनी चाहिए जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता
कोविंद ने कहा, जन प्रतिनिधियों की सिर्फ एक प्राथमिकता होनी चाहिए जनता की सेवा। फिर चाहें वह प्रतिनिधि ग्राम सभा का हो, विधानसभा या फिर संसद का हो। इन्हें पूरी निष्ठा से लोगों के कल्याण व राष्ट्रहित के लिए काम करना चाहिए।
यदि सांसद अपनी जिम्मेदारी को स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के विस्तार के रूप में देखते हैं, तो वे संविधान निर्माताओं की विरासत को मजबूत करने के अपने कर्तव्य के प्रति सचेत रहेंगे। अगर वह यह महसूस कर पाएं कि वह वहां बैठ रहे हैं जहां हमारे संविधान निर्माता बैठते थे तो वे स्वाभाविक रूप से इतिहास की गहरी समझ और कर्तव्य की भावना महसूस करेंगे।
विधायिकाओं को व्यवधानों से निष्क्रिय करना गलत : नायडू
उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने जोर देकर कहा, संविधान में देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना बेहद जरूरी है। विधायिकाओं को संवाद व बहस द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। इन्हें व्यवधानों के माध्यम से निष्क्रिय नहीं किया जाना चाहिए।
अपने संबोधन में नायडू ने संसदीय कार्यवाही बाधित करने के रवैये पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, जनता ने सरकार को बहुमत दिया है और सभी को इसका सम्मान करते हुए संसदीय कामकाज में बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।
नायडू ने कहा, 254वें सत्र के दौरान संसद की उत्पादकता घटकर 29.60 फीसदी हो गई। इसका सीधा अर्थ है कि 70 फीसदी वक्त हंगामों की भेंट चढ़ा और इसमें कोई काम नहीं हुआ। हमें संसद में अपने समय का अधिक सार्थक व उपयोगी इस्तेमाल करने की जरूरत है। हमें उस उच्च स्थान को पहचानने की जरूरत है जो जनता के मन में संसद के लिए है। सभी नागरिकों व हितधारकों को राष्ट्र के लिए जुनून के साथ काम करना चाहिए।
संविधान गीता का आधुनिक स्वरूप : बिरला
संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, हमारा संविधान गीता का आधुनिक स्वरूप है। यह गीता की तरह देश के लिए काम करने में हमारा मार्ग दर्शन करता है। बिरला ने कहा, अगर हममें से प्रत्येक देश के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है तो हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण कर सकते हैं।
राहुल ने दी संविधान दिवस की बधाई
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देशवासियों को संविधान दिवस की बधाई देते हुए ट्वीट किया, यह सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है कि न्याय व अधिकार सभी के लिए सम्मान हो। ताकि संविधान सिर्फ एक कागजी दस्तावेज बनकर न रह जाए।
विस्तार
संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, सभी सांसद, चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, संसद के रक्षक हैं और इन्हें अपना दायित्व पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए। प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता से भ्रमित नहीं होना चाहिए। संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है और यह सभी सांसदों की जिम्मेदारी है कि इस मंदिर का अपमान नहीं होने दें।
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, आपके विचारों में मतभेद हो सकता है लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए जो जन सेवा के मूल उद्देश्य को बाधित करे। विपक्ष तो लोकतंत्र का सबसे अहम तत्व है। एक प्रभावी विपक्ष के बिना लोकतंत्र ही अप्रभावी हो जाएगा। ऐसी अपेक्षा की जाती है कि सरकार और विपक्ष आपसी मतभेदों के बावजूद नागरिकों के सर्वोत्तम हित में मिलकर काम करना जारी रखें। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी यही कल्पना की थी और राष्ट्र निर्माण के लिए यह जरूरी भी है।
कोविंद ने कहा, पक्ष व विपक्ष के सदस्यों के बीच प्रतिस्पर्धा जरूरी है लेकिन यह एक बेहतर प्रतिनिधि बनने के लिए होनी चाहिए, इनके बीच जनता का अधिक से अधिक भला करने की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। जब ऐसा होगा तभी यह एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा मानी जाएगी। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता से भ्रमित नहीं होना चाहिए।
जनता की सेवा ही होनी चाहिए जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता
कोविंद ने कहा, जन प्रतिनिधियों की सिर्फ एक प्राथमिकता होनी चाहिए जनता की सेवा। फिर चाहें वह प्रतिनिधि ग्राम सभा का हो, विधानसभा या फिर संसद का हो। इन्हें पूरी निष्ठा से लोगों के कल्याण व राष्ट्रहित के लिए काम करना चाहिए।
यदि सांसद अपनी जिम्मेदारी को स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के विस्तार के रूप में देखते हैं, तो वे संविधान निर्माताओं की विरासत को मजबूत करने के अपने कर्तव्य के प्रति सचेत रहेंगे। अगर वह यह महसूस कर पाएं कि वह वहां बैठ रहे हैं जहां हमारे संविधान निर्माता बैठते थे तो वे स्वाभाविक रूप से इतिहास की गहरी समझ और कर्तव्य की भावना महसूस करेंगे।
विधायिकाओं को व्यवधानों से निष्क्रिय करना गलत : नायडू
उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने जोर देकर कहा, संविधान में देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना बेहद जरूरी है। विधायिकाओं को संवाद व बहस द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। इन्हें व्यवधानों के माध्यम से निष्क्रिय नहीं किया जाना चाहिए।
अपने संबोधन में नायडू ने संसदीय कार्यवाही बाधित करने के रवैये पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, जनता ने सरकार को बहुमत दिया है और सभी को इसका सम्मान करते हुए संसदीय कामकाज में बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।
नायडू ने कहा, 254वें सत्र के दौरान संसद की उत्पादकता घटकर 29.60 फीसदी हो गई। इसका सीधा अर्थ है कि 70 फीसदी वक्त हंगामों की भेंट चढ़ा और इसमें कोई काम नहीं हुआ। हमें संसद में अपने समय का अधिक सार्थक व उपयोगी इस्तेमाल करने की जरूरत है। हमें उस उच्च स्थान को पहचानने की जरूरत है जो जनता के मन में संसद के लिए है। सभी नागरिकों व हितधारकों को राष्ट्र के लिए जुनून के साथ काम करना चाहिए।
संविधान गीता का आधुनिक स्वरूप : बिरला
संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, हमारा संविधान गीता का आधुनिक स्वरूप है। यह गीता की तरह देश के लिए काम करने में हमारा मार्ग दर्शन करता है। बिरला ने कहा, अगर हममें से प्रत्येक देश के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है तो हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण कर सकते हैं।
राहुल ने दी संविधान दिवस की बधाई
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देशवासियों को संविधान दिवस की बधाई देते हुए ट्वीट किया, यह सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है कि न्याय व अधिकार सभी के लिए सम्मान हो। ताकि संविधान सिर्फ एक कागजी दस्तावेज बनकर न रह जाए।