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PIL Demand to allow citizens to file directly petition in parliament, Supreme Court next hearing in February
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Supreme Court: संसद में नागरिकों को याचिका दाखिल करने देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट फरवरी में करेगा सुनवाई
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 28 Jan 2023 05:31 AM IST
सार
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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि अगर याचिका को अनुमति दी जाती है, तो इससे संसद के कामकाज में बाधा आ सकती है, क्योंकि अन्य देशों की तुलना में भारत में बड़ी आबादी है।
सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस के लिए सीधे संसद में नागरिकों को याचिका दाखिल करने देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करेगा। याचिका में कहा गया कि नागरिकों को जनहित के मुद्दों पर चर्चा आमंत्रित करने का मौलिक अधिकार है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने शुक्रवार को याचिकाकर्ता करण गर्ग के वकील रोहन जे अल्वा से कहा कि अपनी याचिका केंद्र सरकार के वकील को दें। शीर्ष कोर्ट ने मामले की सुनवाई फरवरी में तय करते हुए कहा कि देखते हैं कि उनका (केंद्र) क्या कहना है।
सुप्रीम पीठ ने कहा- संसद के कामकाज में आएगी बाधा
पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि अगर याचिका को अनुमति दी जाती है, तो इससे संसद के कामकाज में बाधा आ सकती है, क्योंकि अन्य देशों की तुलना में भारत में बड़ी आबादी है। आप चाहते हैं कि इसे संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत घोषित किया जाए। यह संसद के कामकाज को अवरुद्ध कर देगा।
याचिकाकर्ता बोला- जागरूक मतदाता सांसद से कैसे जुड़ेगा
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका में सांविधानिक कानून पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए हैं। एक मतदाता मुद्दों के प्रति चौकस है, लेकिन निर्वाचित होने के बाद सांसदों के साथ जुड़ने का उसके पास कोई अवसर नहीं है। तब पीठ ने पूछा, लोकसभा व राज्यसभा के खिलाफ आपकी रिट याचिका कैसे विचारणीय है। इस पर अल्वा ने कहा, हाउस ऑफ कॉमन्स में यह प्रणाली प्रचलित है।
आरटीई पर सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही जनहित याचिका क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिकाकर्ता से कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन उसने केवल अल्पसंख्यक समुदाय के संबंध में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) का मुद्दा क्यों उठाया है। बहुसंख्यकों की बात क्यों नहीं की? जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, जब शिक्षा के अधिकार जैसे मुद्दों की बात आती है तो अकेले अल्पसंख्यक पर जोर नहीं दिया जा सकता है।
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