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नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को अपने जाल में फंसाने के लिए नक्सली कई तरह की साजिश रच रहे हैं। इसमें अब एक नई साजिश का खुलासा हुआ है। इस बार नक्सलियों ने महिलाओं की आड़ ली है।
खुफिया विंग के द्वारा पता चला है कि नक्सली, विभिन्न ग्रामीण इलाकों में लोगों को डरा धमका कर सुरक्षा बलों और लोकल पुलिस के खिलाफ 'महिलाओं का शील भंग' होने जैसे झूठे आरोप लगाने का दबाव डाल रहे हैं। इस बाबत सुरक्षा बलों को सचेत कर दिया गया है कि वे नियमित गश्त या किसी विशेष ऑपरेशन के दौरान इस बात को लेकर खास सतर्कता बरतें।
केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार, नक्सली अपने समर्थकों को भी इस साजिश में आगे ला रहे हैं। सुरक्षा बलों पर कैसे और कब कौन सा आरोप लगाना है, उन्हें यह जानकारी दे रहे हैं। ये आरोप जिला पुलिस, सीआरपीएफ, सीएपीएफ और एसटीएफ पर लगाए जा सकते हैं।
नक्सल समर्थक लोग जिला अधिकारी के समक्ष जाकर यह शिकायत कर सकते हैं कि सुरक्षा बलों ने उनकी महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया है।इसके पीछे उनकी यह मंशा होती है कि किसी तरह से सुरक्षा बलों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ शील भंग जैसा मामला दर्ज करा दिया जाए।नक्सल प्रभावित इलाकों में लोकल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल सिविक एक्शन प्रोग्राम आयोजित करते हैं।
इनका मकसद स्थानीय लोगों की मदद कराना होता है। जैसे सीआरपीएफ अपनी तैनाती वाले नक्सल प्रभावित राज्यों में लोगों की मदद के लिए कई तरह के सिविक एक्शन कार्यक्रमों का संचालन करती है। बच्चों को पढ़ाना लिखाना हो या वहां बिजली पानी की व्यवस्था करनी हो, ऐसे कार्यों में सीआरपीएफ सदैव आगे रही है।इसके अलावा लोगों को मेडिकल सहायता प्रदान करना, यह काम भी सीआरपीएफ बड़े पैमाने पर करती है।
इन कार्यक्रमों में गांव की महिलाओं की भी बड़े पैमाने पर भागेदारी रहती है। इसी वजह से नक्सलियों ने अब गांव वालों को डरा धमका कर सुरक्षा बलों पर आरोप लगवाने की साजिश रची है। नक्सलियों ने लोगों से कहा है कि वे ऐसे कार्यक्रमों में अपने परिवार की महिलाओं से यह आरोप लगवाएं कि उनके साथ छेड़छाड़ या शील भंग करने की कोशिश हुई है। फिलहाल इस तरह की साजिशों से बचने के लिए सभी बलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस तरह के कार्यक्रमों में व अपनी नियमित ड्यूटी के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें।
सार
खुफिया विंग के द्वारा पता चला है कि नक्सली, विभिन्न ग्रामीण इलाकों में लोगों को डरा धमका कर सुरक्षा बलों और लोकल पुलिस के खिलाफ 'महिलाओं का शील भंग' होने जैसे झूठे आरोप लगाने का दबाव डाल रहे हैं।
विस्तार
नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को अपने जाल में फंसाने के लिए नक्सली कई तरह की साजिश रच रहे हैं। इसमें अब एक नई साजिश का खुलासा हुआ है। इस बार नक्सलियों ने महिलाओं की आड़ ली है।
खुफिया विंग के द्वारा पता चला है कि नक्सली, विभिन्न ग्रामीण इलाकों में लोगों को डरा धमका कर सुरक्षा बलों और लोकल पुलिस के खिलाफ 'महिलाओं का शील भंग' होने जैसे झूठे आरोप लगाने का दबाव डाल रहे हैं। इस बाबत सुरक्षा बलों को सचेत कर दिया गया है कि वे नियमित गश्त या किसी विशेष ऑपरेशन के दौरान इस बात को लेकर खास सतर्कता बरतें।
केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार, नक्सली अपने समर्थकों को भी इस साजिश में आगे ला रहे हैं। सुरक्षा बलों पर कैसे और कब कौन सा आरोप लगाना है, उन्हें यह जानकारी दे रहे हैं। ये आरोप जिला पुलिस, सीआरपीएफ, सीएपीएफ और एसटीएफ पर लगाए जा सकते हैं।
नक्सल समर्थक लोग जिला अधिकारी के समक्ष जाकर यह शिकायत कर सकते हैं कि सुरक्षा बलों ने उनकी महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया है।इसके पीछे उनकी यह मंशा होती है कि किसी तरह से सुरक्षा बलों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ शील भंग जैसा मामला दर्ज करा दिया जाए।नक्सल प्रभावित इलाकों में लोकल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल सिविक एक्शन प्रोग्राम आयोजित करते हैं।
इनका मकसद स्थानीय लोगों की मदद कराना होता है। जैसे सीआरपीएफ अपनी तैनाती वाले नक्सल प्रभावित राज्यों में लोगों की मदद के लिए कई तरह के सिविक एक्शन कार्यक्रमों का संचालन करती है। बच्चों को पढ़ाना लिखाना हो या वहां बिजली पानी की व्यवस्था करनी हो, ऐसे कार्यों में सीआरपीएफ सदैव आगे रही है।इसके अलावा लोगों को मेडिकल सहायता प्रदान करना, यह काम भी सीआरपीएफ बड़े पैमाने पर करती है।
इन कार्यक्रमों में गांव की महिलाओं की भी बड़े पैमाने पर भागेदारी रहती है। इसी वजह से नक्सलियों ने अब गांव वालों को डरा धमका कर सुरक्षा बलों पर आरोप लगवाने की साजिश रची है। नक्सलियों ने लोगों से कहा है कि वे ऐसे कार्यक्रमों में अपने परिवार की महिलाओं से यह आरोप लगवाएं कि उनके साथ छेड़छाड़ या शील भंग करने की कोशिश हुई है। फिलहाल इस तरह की साजिशों से बचने के लिए सभी बलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस तरह के कार्यक्रमों में व अपनी नियमित ड्यूटी के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें।