दूध का जला छांछ भी फूंक कर पीता है। पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे और कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबक ले लिया है। वह एक तरफ जहां जनता को उसकी लापरवाही के लिए बार-बार चेता रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल, विस्तार के बाद राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ 2024 तक का रोडमैप बनाते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में विभिन्न समितियों के माध्यम से इसका बड़ा संदेश दिया है।
नई समितियों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर तथा धर्मेन्द्र प्रधान को अहम जिम्मेदारी देकर बड़ा संकेत दिया है।
स्मृति ईरानी के कद को बढ़ाकर वह जहां उप्र की राजनीति में बड़ा संकेत दे रहे हैं, वहीं यह संदेश कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और अमेठी के लिए भी है। नई जिम्मेदारी पाने के बाद स्मृति ईरानी भाजपा की महिला नेताओं में कई पायदान ऊपर पहुंच गई हैं। स्मृति ईरानी चुनाव प्रचार में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। इस तरह से वह भाजपा में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज की जगह लेती नजर आ रही हैं।
भूपेन्द्र यादव बनते जा रहे हैं असरदार
प्रधानमंत्री का दूसरा बड़ा फैसला भूपेंद्र यादव के कद को बढ़ाना है। उन्हें कई समितियों में जगह मिली है। यादव 'न काहू से दोस्ती और न काहू से बैर' की तर्ज पर लक्ष्य साधने की राजनीति करते हैं। भूपेन्द्र यादव राजस्थान से आते हैं। पिछड़ी जाति से हैं और बिहार, उ.प्र., म.प्र., राजस्थान में यादव मतदाताओं की अच्छी तादाद है। बिहार के प्रभारी महासचिव रहे हैं और संगठन में हर जिम्मेदारी को बड़ी लगन से निभाया है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे इसका गवाह हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करके प्रधानमंत्री ने उन्हें कई समितियों में रखकर साफ संदेश दिया है।
प्रधानमंत्री का तीसरा बड़ा संदेश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए है। उन्हें संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री ने भूपेंद्र यादव के साथ साथ गिरिराज सिंह का भी कद बढ़ाया। गिरिराज सिंह की राजनीतिक शैली बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अखरती है। दूसरे केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के रणनीतिकार लोजपा नेता पशुपति कुमार पारस को शामिल करने के पक्ष में नहीं थे। भाजपा चिराग पासवान के साथ रिश्तों को बहुत खराब करने के मूड में नहीं थी, लेकिन नीतीश कुमार की जिद पर जद(यू) के कोटे से पशुपति कुमार पारस को जगह देनी पड़ी। इसलिए गिरिराज सिंह का कद बढ़ना नीतीश कुमार के लिए एक संदेश है।
उ.प्र., बिहार, राजस्थान के साथ प्रधानमंत्री की निगाह म.प्र. पर भी टिकी है। वहां 2023 में राजस्थान, जयपुर, छत्तीसगढ़ के साथ विधानसभा चुनाव होना है। ये तीनों विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जाते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल होने वाले वह पहले नेता हैं, जिन्हें बहुत कम समय में काफी सम्मान मिल रहा है। यह संदेश देकर प्रधानमंत्री म.प्र. को उसके महत्व का एहसास करा रहे हैं। ज्योतिरादित्य का कद बढ़ने से जहां कांग्रेस के नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह की छवि पर असर पड़ेगा, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए लगातार जनोन्मुखी सरकार चलाने का दबाव बना रहेगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ उन्होंने अनुराग ठाकुर को न केवल केन्द्रीय मंत्री बनाया, बल्कि केन्द्रीय समिति में भी जगह दी है। युवा अनुराग ठाकुर को यह उनके काम का इनाम है।
सर्बानंद सोनेवाल प्रधानमंत्री को 2014 से प्रिय रहे हैं। केंद्रीय मंत्री को प्रधानमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री का सबसे मुफीद चेहरा पाया था। जिम्मेदारी भी दी थी। इसलिए प्रधानमंत्री सर्बानंदा सोनोवाल को लेकर किसी भी तरह का गलत संदेश नहीं जाने देना चाहते। जबकि मनसुख मंडाविया की कोरोना काल में सक्रियता ने प्रधानमंत्री का काफी विश्वास जीता। मंडाविया गुजरात से हैं और गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। भाजपा के खेमे में गुजरात की स्थिति को लेकर काफी चिंता है। माना जा रहा है कि पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख के कद को बढ़ाकर प्रधानमंत्री लगातार गुजरात की अहमियत को बरकरार रखने का संदेश देना चाह रहे हैं।
ओडिशा पर भाजपा की विशेष निगाह है। राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपने पिता बीजू पटनायक की तरह कोई उत्तराधिकारी तय करने के पक्ष में नहीं है। माना जा रहा है कि वह जल्द राजनीति से संन्यास भी ले सकते हैं। इसलिए ओडिशा की पारी खेलने के लिए प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान पर काफी भरोसा करते हैं। इस बार मंत्रिमंडल में उन्होंने इस राज्य से न केवल अश्विन वैष्णव को शामिल किया, बल्कि उन्हें रेलवे और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्भरता बढ़ रही है। राजनाथ सिंह उ.प्र. के कद्दावर नेताओं में हैं। सभी दलों के नेता उनका आदर करते हैं। प्रधानमंत्री से दो साल उम्र में छोटे और अनुभवी हैं। संसदीय मामलों की समिति की अध्यक्षता अब रक्षा मंत्री ही करेंगे। इस समिति में प्रधानमंत्री ने वीरेंद्र सिंह, अर्जुन मुंडा, अनुराग ठाकुर, किरण रिजिजू को भी जगह दी है। संसदीय मामलों की यह समिति काफी महत्वपूर्ण जानी जाती है। कुल मिलाकर युवाओं को आगे बढ़ाकर प्रधानमंत्री ने साफ संदेश दिया कि बदलाव प्रकृति का नियम है और समय के बदलाव के साथ हर बदलाव स्वीकार करना चाहिए।
विस्तार
दूध का जला छांछ भी फूंक कर पीता है। पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे और कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबक ले लिया है। वह एक तरफ जहां जनता को उसकी लापरवाही के लिए बार-बार चेता रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल, विस्तार के बाद राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ 2024 तक का रोडमैप बनाते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में विभिन्न समितियों के माध्यम से इसका बड़ा संदेश दिया है।
दूध का जला छांछ भी फूंक कर पीता है। पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे और कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबक ले लिया है। वह एक तरफ जहां जनता को उसकी लापरवाही के लिए बार-बार चेता रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल, विस्तार के बाद राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ 2024 तक का रोडमैप बनाते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में विभिन्न समितियों के माध्यम से इसका बड़ा संदेश दिया है।
नई समितियों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर तथा धर्मेन्द्र प्रधान को अहम जिम्मेदारी देकर बड़ा संकेत दिया है।
स्मृति ईरानी के कद को बढ़ाकर वह जहां उप्र की राजनीति में बड़ा संकेत दे रहे हैं, वहीं यह संदेश कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और अमेठी के लिए भी है। नई जिम्मेदारी पाने के बाद स्मृति ईरानी भाजपा की महिला नेताओं में कई पायदान ऊपर पहुंच गई हैं। स्मृति ईरानी चुनाव प्रचार में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। इस तरह से वह भाजपा में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज की जगह लेती नजर आ रही हैं।
भूपेन्द्र यादव बनते जा रहे हैं असरदार
प्रधानमंत्री का दूसरा बड़ा फैसला भूपेंद्र यादव के कद को बढ़ाना है। उन्हें कई समितियों में जगह मिली है। यादव 'न काहू से दोस्ती और न काहू से बैर' की तर्ज पर लक्ष्य साधने की राजनीति करते हैं। भूपेन्द्र यादव राजस्थान से आते हैं। पिछड़ी जाति से हैं और बिहार, उ.प्र., म.प्र., राजस्थान में यादव मतदाताओं की अच्छी तादाद है। बिहार के प्रभारी महासचिव रहे हैं और संगठन में हर जिम्मेदारी को बड़ी लगन से निभाया है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे इसका गवाह हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करके प्रधानमंत्री ने उन्हें कई समितियों में रखकर साफ संदेश दिया है।