न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: आसिम खान
Updated Tue, 02 Jul 2019 08:11 PM IST
लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिए एक शासी बोर्ड को सौंपे जाने और इस दौरान परिषद का पुनर्गठन करने का प्रस्ताव किया गया है।
निचले सदन में ‘भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-2019’ पर चर्चा हुई। यह विधेयक इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 को प्रतिस्थापित करने के लिए लाया गया है।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई में एक भी सदस्य नहीं होने और रिक्तता की स्थिति बनने के बाद 2010 की व्यवस्था का अनुसरण करते हुए शासी बोर्ड बनाया गया जिसने पिछले आठ महीने में देश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और काम किये हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित डॉक्टरों वाले इस बोर्ड ने पिछले करीब आठ महीने में एमबीबीएस की 15 हजार सीटें बढ़ा दीं जो अपने आप में रिकार्ड है। बोर्ड ने ज्यादा मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी और नियामक समयसीमाओं को पूरा किया।
हर्षवर्धन ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है और सरकार जल्द स्थाई समाधान के तौर पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक लेकर आएगी।
लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिए एक शासी बोर्ड को सौंपे जाने और इस दौरान परिषद का पुनर्गठन करने का प्रस्ताव किया गया है।
निचले सदन में ‘भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-2019’ पर चर्चा हुई। यह विधेयक इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 को प्रतिस्थापित करने के लिए लाया गया है।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई में एक भी सदस्य नहीं होने और रिक्तता की स्थिति बनने के बाद 2010 की व्यवस्था का अनुसरण करते हुए शासी बोर्ड बनाया गया जिसने पिछले आठ महीने में देश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और काम किये हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित डॉक्टरों वाले इस बोर्ड ने पिछले करीब आठ महीने में एमबीबीएस की 15 हजार सीटें बढ़ा दीं जो अपने आप में रिकार्ड है। बोर्ड ने ज्यादा मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी और नियामक समयसीमाओं को पूरा किया।
हर्षवर्धन ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है और सरकार जल्द स्थाई समाधान के तौर पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक लेकर आएगी।