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MOM: इसरो ने की मंगलयान मिशन के खत्म होने की आधिकारिक घोषणा, कहा- ये आठ साल वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए ऐतिहासिक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बेंगलुरु
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 03 Oct 2022 10:58 PM IST
सार
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इसरो ने अपने एक एक बयान में कहा कि यह पहले ही घोषित किया गया था कि मंगल पर जाने वाला अंतरिक्ष यान नॉन रिकवरी वाला है और अपने जीवन के अंत तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मिशन को ग्रहों की खोज के इतिहास में एक उल्लेखनीय तकनीकी और वैज्ञानिक उपलब्धि के रूप में माना जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को पुष्टि की कि मार्स ऑर्बिटर यान का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया है। इसरो ने बताया कि 5 नवम्बर 2013 को प्रक्षेपण और 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के बाद लगभग आठ साल बाद भारत के ऐतिहासिक मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) यानी मंगलयान की बैट्री और ईंधन खत्म हो गई। गौरतलब है कि ये जानकारी एक दिन पहले यानी रविवार को सामने आ गई थी, हालांकि तब इसरो ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
इसरो ने अपने एक एक बयान में कहा कि यह पहले ही घोषित किया गया था कि मंगल पर जाने वाला अंतरिक्ष यान नॉन रिकवरी वाला है और अपने जीवन के अंत तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मिशन को ग्रहों की खोज के इतिहास में एक उल्लेखनीय तकनीकी और वैज्ञानिक उपलब्धि के रूप में माना जाएगा। इसरो ने कहा अपने आठ सालों के दौरान पांच वैज्ञानिक पेलोड से लैस इस मिशन के जरिए मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान और मंगल ग्रह के वातावरण-एक्सोस्फीयर पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समझ विकसित हुई है।
इसरो मंगलयान की कक्षा में सुधार के जरिए उसकी बैटरी की जिंदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। यह इसलिए भी जरूरी था कि लंबे ग्रहण के दौरान भी मंगलयान को ऊर्जा मिलती रहे, लेकिन हाल में कई ग्रहण के बाद कक्षा में सुधार नहीं हो पाया जिसके कारण यह निस्तेज हो गया, क्योंकि लंबे ग्रहण के दौरान बैटरी इसका साथ छोड़ सकती थी। उन्होंने बताया कि चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, मार्स ऑर्बिटर यान को छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था।
भारत का प्रथम मंगल अभियान
मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन), भारत का प्रथम मंगल अभियान है और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (एमओएम) 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर छोड़ा गया था। मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। इसके साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं।
24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया था। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी था। भारत एशिया का भी ऐसा करने वाला प्रथम पहला देश बन गया था, क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे। प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने मंगलयान को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था।
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