चीन से जारी सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का दौरा किया। वहां उन्होंने भारतीय सेना के जवानों को संबोधित करने के साथ उनका उत्साह बढ़ाया और दूसरी ओर चीन को भी खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि भारतीय जवानों ने दुनिया को अपनी बहादुरी का नमूना दिखाया है। बहरहाल, कोरोना से उपजे हालात के ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी का यह लद्दाख दौरा काफी अहम है। आइए विशेषज्ञों से जानते हैं कि आखिर इसके मायने क्या हैं...
पीएम ने फौजी का हौसला ही नहीं बढ़ाया, बल्कि उसे सम्मान भी दिया: लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) अता हसनैन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे से अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों और अफसरों का जो हौसला बढ़ा है उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। आप यकीन नहीं कर सकते कि ऐसे तनावग्रस्त हालात में प्रधानमंत्री का अचानक पहुंचना उन जवानों के लिए क्या मायने रखता है जो जान की परवाह किए बिना सीमा की हिफाजत कर रहे हैं।
पीएम ने फौजी का हौसला ही नहीं बढ़ाया, बल्कि उसे इज्जत भी दी है। पीएम ने सामरिक नजरिए से एक तीर से कई निशाने साधे हैं। चीन ही नहीं पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि भारत एक हद के बाद दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। खासतौर पर चीन को संदेश है कि भारत किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
अब गेंद चीन के पाले में है कि वह बातचीत का रास्ता अपनाकर पीछे हट जाए या युद्ध करे। पीएम ने बिना किसी शोर-शराबे के यह कदम उठाकर सभी दोस्तों और दुश्मनों को मंशा साफ कर दी है। अब कई देश पीएम के इस अंदाज का अनुसरण करना चाहेंगे।
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एक इंच जमीन नहीं देने का संदेश: कमर आगा, चीन मामलों के विशेषज्ञ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तैयारी के बाद लेह की यात्रा की है। यह दुनिया को संदेश देने के लिए काफी है। दुनिया को पता है कि माउंटेनिंग वार में भारत का कोई सानी नहीं है। अमेरिका की फौज भी पहाड़ों पर युद्ध का प्रशिक्षण लेने के लिए भारत आती है।
फिर जिस तरह से एलएसी पर भारी और मारक हथियार पहुंचाए गए, उससे भारत की तैयारियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक पीएम की इस यात्रा का संदेश है तो वह पूरी तरह से साफ है। पीएम ने इस यात्रा के माध्यम से चीन को संदेश दिया है कि भारत अब अपनी अखंडता और संप्रभुता से किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगा।
भारत अपनी एक इंच जमीन भी देने के लिए तैयार नहीं है। चाहे इसके लिए उसे कोई भी विकल्प क्यों ना आजमाना पड़े। प्रधानमंत्री की इस यात्रा को साहसिक के साथ पूरी दुनिया को नए भारत का संदेश देने के रूप में देखा जा सकता है।
हर परिस्थिति का जवाब देने का संदेश : मेजर जनरल एके सिवाच
प्रधानमंत्री की लेह यात्रा के जरिए चीन को दो टूक संदेश दे दिया गया है। इस यात्रा से साफ हो गया है कि एलएसी पर भारत का भावी रुख जैसे को तैसा के अंदाज में जवाब देने का होगा। इस यात्रा से यह भी संदेश गया है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है।
भारत हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। मेरी समझ से प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री की जगह खुद लेह जाने का फैसला इसी आशय का संदेश देने के लिए किया। बीते दो महीने से जारी तनाव और चीन की वादाखिलाफी का दौर जारी रहने के कारण चीन को सीधे और सख्त संदेश की जरूरत थी।
पीएम की टिप्पणी सही मगर इंतजार कीजिए : विवेक काटजू, पूर्व राजनयिक
प्रधानमंत्री की लेह यात्रा के बड़े कूटनीतिक मायने हैं। उन्होंने सही कहा कि चीन विस्तारवादी नीति अपना रहा है। यह भी सही है कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में विस्तारवादी नीति ज्यादा देर नहीं चलने वाली। मगर हमें इंतजार करना होगा कि इस दौरे का चीन पर क्या असर पड़ता है। क्या चीन दबाव में आएगा?
यह सही है कि पीएम ने अपना संदेश सही तरीके से पहुंचाया है। चीन खुद को अमेरिका से ज्यादा शक्तिशाली देश मानने लगा है। जाहिर तौर पर उसके अहंकार को तोड़ने की जरूरत है। हालांकि हमें देखना होगा कि पीएम मोदी की इस यात्रा का चीन पर क्या असर पड़ता है।