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Karnataka Election: आरक्षण, टीपू सुल्तान से हिजाब और भ्रष्टाचार तक, कर्नाटक चुनाव में हावी रहेंगे ये मुद्दे
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 29 Mar 2023 02:52 PM IST
चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। सियासी उफान के बीच, कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो पूरे चुनाव पर हावी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक का चुनाव भी इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द होगा। विपक्ष हो या सत्ता पक्ष हर कोई इन मुद्दों को जोरशोर से उठा रहा है।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। राज्य में 10 मई को मतदान होना है। 13 मई को इसके नतीजे आएंगे। राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा है। कर्नाटक में इस वक्त भाजपा की सरकार है। चुनाव आयोग के अनुसार, इस चुनाव में कुल पांच करोड़ 21 लाख 73 हजार 579 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इनमें 2.59 करोड़ महिला, जबकि 2.62 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में कुल 9.17 लाख मतदाता ऐसे होंगे, जो पहली बार वोट डालेंगे। इनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच है।
चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। सियासी उफान के बीच, कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो पूरे चुनाव पर हावी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक का चुनाव भी इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द होगा। विपक्ष हो या सत्ता पक्ष हर कोई इन मुद्दों को जोरशोर से उठा रहा है।
आइए जानते हैं कि इस बार कर्नाटक चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे हावी रहेंगे? इन मुद्दों पर किस पार्टी का क्या स्टैंड है?
1. मुस्लिम और दलित आरक्षण पर जंग : कर्नाटक में इस वक्त आरक्षण के दो मुद्दे काफी गर्म हैं। इसमें पहला मुस्लिम आरक्षण है। दो दिन पहले यानी 27 मार्च 2023 को ही कर्नाटक की भाजपा सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाला 4% आरक्षण खत्म कर दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, सूबे में करीब 13 प्रतिशत मुस्लिमों की आबादी है। यही कारण है कि भाजपा सरकार के इस फैसले के खिलाफ सियासत तेज हो गई है।
कांग्रेस-जेडीयू दोनों ही एलान कर चुके हैं कि अगर सूबे में उनकी सरकार बनती है तो वह इस आरक्षण को फिर से लागू करेंगे। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस और जेडीएस मुस्लिम वोटों के चक्कर में ऐसा वादा कर रही हैं। कर्नाटक में मुस्लिमों को पहली बार आरक्षण 1994 में एचडी देवगौड़ा सरकार में दिया गया। मुस्लिमों को सामाजिक आधार पर पिछड़ा मानते हुए उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया गया था।
आरक्षण का दूसरा मुद्दा बंजारा समुदाय से जुड़ा है। इसी महीने कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय को मिलने वाले चार प्रतिशत आरक्षण को दो प्रमुख समुदायों, वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा में बांटा। पहले वोक्कालिगा समुदाय को चार फीसद आरक्षण मिलता था, इसे बढ़ाकर छह प्रतिशत कर दिया गया है। पंचमसालियों, वीरशैवों के साथ अन्य लिंगायत कैटेगरी के लिए अब सात प्रतिशत आरक्षण होगा। पहले यह पांच प्रतिशत था।
राज्य का बंजारा समुदाय इसका विरोध कर रहा है। फैसला आते ही भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के घर और दफ्तर पर इस समुदाय के लोगों ने पथराव किया। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति का आरक्षण कम कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में करीब 20% इनकी संख्या है। पहले इन्हें 17% आरक्षण मिल रहा था। 27 मार्च 2023 को दलितों का आरक्षण कई हिस्सों में बांट दिया गया। इसी बात पर इनकी नाराजगी है।
2. टीपू सुल्तान पर सियासत गर्म हुई
कर्नाटक में टीपू सुल्तान को लेकर सियासत हमेशा से गर्म रही है। चुनाव से पहले फिर यही हुआ। ये विवाद 2015 से जारी है, जब तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का एलान किया था। उस दौरान भाजपा ने इसका विरोध किया था। अब भाजपा ने दावा किया है कि टीपू सुल्तान को वोक्कालिगा समुदाय के लोगों ने मारा था। टीपू सुल्तान स्वतंत्रता सेनानी नहीं था।
कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय के करीब 14 प्रतिशत वोट हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि टीपू सुल्तान का मुद्दा उठाकर भाजपा बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और जेडीएस अभी भी टीपू सुल्तान की जयंती मनाती है, जबकि भाजपा ने 2019 में सरकार बनने के बाद फैसला लिया कि टीपू सुल्तान जयंती नहीं मनाई जाएगी। सरकार ने यह भी एलान किया कि स्कूलों के पाठ्यक्रम से टीपू सुल्तान वाला हिस्सा हटाया जाएगा। हालांकि, बाद में शिक्षामंत्री ने सफाई दी थी कि ऐसा कोई विचार नहीं है। पाठ्यक्रम से वो हिस्सा हटाया जाएगा, जो आधारहीन और काल्पनिक है।
3. हिजाब विवाद अभी भी है कायम
कर्नाटक में 2021 से हिजाब विवाद शुरू हुआ। तब उडुपी के गवर्नमेंट कॉलेज में हिजाब पहनकर आई छह छात्राओं को कक्षा में दाखिल होने से रोक दिया गया। यहां से शुरू हुआ विरोध पूरे राज्य और फिर पूरे देश में फैल गया। फरवरी 2022 में उडुपी के ही एक कॉलेज में हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा पहनकर आए। स्कूलों में जय श्री राम के नारे लगे। राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर कहा कि हिजाब के जरिए छात्राओं की शिक्षा को रोका जा रहा है।
फरवरी 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा संस्थानों में धार्मिक लिबाज नहीं पहना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। मार्च में हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक रूप से हिजाब जरूरी नहीं इसलिए शिक्षा संस्थानों में इसे नहीं पहना जा सकता।
फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की। इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार 10 दिन सुनवाई चली थी। अभी भी ये मामला कोर्ट में लंबित है। हालांकि, सियासी तौर पर ये मुद्दा हावी हो गया। कांग्रेस और जेडीएस ने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया है।
4. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश
कांग्रेस-जेडीएस समेत अन्य विपक्षी दल ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने एक रैली के दौरान आरोप लगाया था कि कर्नाटक में 40 फीसदी कमीशन लेकर काम होता है। हाल ही में एक भाजपा विधायक के बेटे को विजिलेंस ने घूस लेते हुए पकड़ा था। इसके बाद विधायक को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। कांग्रेस और विपक्ष के अन्य दल इस मुद्दे को खूब उठा रहे हैं। आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है और बिना घूस के यहां कोई काम नहीं होता है। वहीं, भाजपा इसे कर्नाटक में कोई मुद्दा नहीं मान रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि ये BJP सरकार में ही हो सकता है कि खुद की पार्टी का कोई नेता घूस लेते हुए पकड़ा जाए।
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