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SC: 'जाली मुद्रा और कालाधन जरासंध की तरह, इसके टुकड़े-टुकड़े कर देने चाहिए', कोर्ट में केंद्र कही यह बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Mon, 05 Dec 2022 11:12 PM IST
सार

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसी आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा वहीं तक सीमित हो सकती है जहां अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या साधनों के माध्यम से हासिल की जाने वाली वस्तु के साथ तर्कसंगत साठगांठ है। कोई अन्य परीक्षण विधायिका की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करेगा।

नोटबंदी
नोटबंदी - फोटो : social media

विस्तार

नोटबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जाली मुद्रा, आतंकी फंडिंग और काला धन जरासंध के समान हैं, इसके टुकड़े-टुकड़े करने की जरूरत है।  जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि सरकार इन तीनों राक्षसों का संहार करने के लिए बाध्य है। 



उन्होंने कहा कि हमें नोटबंदी से पहले अध्ययन करना चाहिए था। एक दशक से अधिक समय से, केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक तीन समस्याओं (जाली मुद्रा, आतंक वित्तपोषण, काला धन) को देख रहे हैं। वे जरासंध की तरह हैं। आपको इसके टुकड़े करने हैं। यदि आप इसे टुकड़ों में नहीं काटते हैं, तो यह हमेशा जीवित रहेगा।


अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसी आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा वहीं तक सीमित हो सकती है जहां अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या साधनों के माध्यम से हासिल की जाने वाली वस्तु के साथ तर्कसंगत साठगांठ है। कोई अन्य परीक्षण विधायिका की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करेगा। क्या सरकार को अपने सभी विचारों को एक तरफ रख देना चाहिए और केवल उन बुराइयों को देखना चाहिए जिन्हें कम करने की कोशिश की गई है। संतुलन ही असली परीक्षा होगी। 
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