लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   India News ›   CRPF Constable was on fake attachment for months on verbal orders

CRPF: महीनों से फर्जी अटैचमेंट पर था हवलदार, निजी झगड़े में गोली चलाई तो फूटा भांडा

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 30 Nov 2022 05:17 PM IST
सार

CRPF: सीआरपीएफ में दर्जनों जवानों को महज एक मौखिक आदेश पर लंबे समय के लिए रसूखदार अफसरों या दूसरे वीवीआईपी के यहां भेज दिया जाता है। कई मामलों में तो यह तैनाती कई वर्षों तक चलती रहती है, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती कि उस पर कोई कड़ा कदम उठा सके...

CRPF
CRPF - फोटो : पीटीआई (फाइल)

विस्तार

देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' में एक कथित फर्जी अटैचमेंट का मामला सामने आया है। सीआरपीएफ की 230वीं बटालियन, जो छत्तीसगढ़ में तैनात है, वहां का एक ड्राइवर 'हवलदार' मो. तारिक, कई महीनों से यूपी के इलाहाबाद में तैनात है। लंबे समय से चल रहा ये मामला किसी की पकड़ में नहीं आता, यदि वह ड्राइवर अपने निजी झगड़े में फायर नहीं करता। पुलिस केस हुआ तो मामले की परतें खुलने में देर नहीं लगी। सेंट्रल सेक्टर हेडक्वार्टर के डीआईजी 'प्रशासन' राजीव रंजन 'आईपीएस' को मामले की जांच सौंपी गई है।

मौखिक आदेश पर तैनाती

सीआरपीएफ में पहले भी इस तरह से अटैचमेंट के मामले सामने आते रहे हैं। दर्जनों जवानों को महज एक मौखिक आदेश पर लंबे समय के लिए रसूखदार अफसरों या दूसरे वीवीआईपी के यहां भेज दिया जाता है। कई मामलों में तो यह तैनाती कई वर्षों तक चलती रहती है, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती कि उस पर कोई कदम उठा सके। सूत्रों के अनुसार, 230वीं बटालियन के ड्राइवर 'हवलदार' मो. तारिक भी लंबे समय से इलाहाबाद में तैनात है। कायदे से उन्हें अपनी बटालियन, जो छत्तीसगढ़ में तैनात हैं, में होना चाहिए। अटैचमेंट के जरिए किसी भी जवान को दूसरी जगह पर तैनात किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए एक तय प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। 230वीं बटालियन के कमांडेंट दिनेश सिंह चंदेल हैं। वे कई साल तक यूपी में तैनात रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि इलाहाबाद में मो. तारिक ने अपनी निजी झगड़े में पड़ोसी पर गोली चला दी। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। जांच शुरू हुई तो मामले का खुलासा हुआ। सीआरपीएफ ने इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए। बल के एक पूर्व आईजी बताते हैं, देखिये ऐसे मामलों में दो ही संभावनाएं बनती हैं। एक तो यह कि जवान अपनी मनमर्जी से आया हो। हालांकि यह आसान नहीं है। अगर कोई जवान, बिना सूचना दिए एक दिन भी गैर-हाजिर रहता है, तो मामले की छानबीन शुरू हो जाती है। इस मामले में जवान को छत्तीसगढ़ की 230वीं बटालियन से इलाहाबाद आए कई माह हो चुके हैं। दूसरी संभावना यह बनती है कि वह जवान फर्जी अटैचमेंट पर हो। मतलब, किसी बड़े अफसर के घर पर काम कर रहा हो। ऐसे केस में किसी बड़े अधिकारी ने अपने जूनियर से यह कहा हो कि उसे एक ड्राइवर की जरूरत है, अपनी बटालियन से भेज दो। जूनियर अधिकारी की हिम्मत नहीं होती कि वह मना कर सके। यह भी हो सकता है कि सक्षम अधिकारी ने खुद ही ड्राइवर को जाने के लिए कहा हो।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;