पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों को लेकर दंगल शुरू हो चुका है, लेकिन उससे पहले कांग्रेस पार्टी अंदरूनी घमासान से जूझ रही है। दरअसल, बंगाल में जीत हासिल करने के मकसद से कांग्रेस ने इस बार वामपंथी दलों के साथ-साथ अब्बास सिद्दीकी से हाथ मिलाया है। इसके बाद से ही कांग्रेस में आर-पार की जंग शुरू हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच बयानबाजी जारी है जिससे कांग्रेस की अंदरूनी कलह सबके सामने आ गई है। कौन हैं अब्बास सिद्दीकी, जिनसे हाथ मिलाते ही कांग्रेस में घमासान मच गया, जानते हैं इस रिपोर्ट में...
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी इस बार भी वामपंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोंक रही है। दरअसल, पार्टी ने वामपंथी दलों के साथ गठबंधन किया है, लेकिन इससे अलग अब्बास सिद्दीकी काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं। बता दें कि अब्बास सिद्दीकी अपने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ चुनाव में करीब 30 सीटों पर मैदान में उतरेंगे। वे आईएसएफ के प्रमुख तो हैं हीं, पर अहम बात ये है कि वे बंगाल की मशहूर दरगाह फुरफुरा शरीफ के पीरजादा हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस-वामपंथी दलों और आईएसएफ की तिकड़ी ने कुछ दिन पहले एक चुनावी सभा आयोजित की थी, जिसमें उन्होंने अपनी ताकत भी दिखाई थी।
अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन के बाद कांग्रेस में घमासान मच गया है। राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने इसे लेकर कई ट्वीट किए हैं। इनमें उन्होंने बंगाल में कांग्रेस और आईएसएफ के बीच हुए गठबंधन को निशाने पर ले लिया है। आनंद शर्मा ने कहा कि आईएसएफ के साथ गठबंधन कांग्रेस की मूल विचारधारा से अलग है। सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है। उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
इधर, आनंद शर्मा ने गठबंधन पर सवाल उठाए तो अधीर रंजन चौधरी ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने कहा कि जो भी फैसला लिया गया है, वह आलाकमान के निर्देश के बाद ही लिया गया। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर कोई पार्टी को मजबूत करना चाहता है तो वह पांच राज्यों में प्रचार करे, न कि ऐसे बयान दे, जिससे भाजपा को फायदा हो।
बता दें कि अब्बास सिद्दीकी बंगाल की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं। फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इस बार चुनावी राजनीति में उतरने का फैसला लिया है, तभी से वह सुर्खियों में हैं। दरअसल, बंगाल में करीब 30 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं और फुरफुरा शरीफ दरगाह का असर 100 से अधिक सीटों पर माना जाता है। यही कारण है कि अब्बास सिद्दीकी के हर कदम पर हर किसी की नजरें बनी हुई हैं। हालांकि, विवाद की वजह अब्बास सिद्दीकी के कट्टरता और महिला विरोधी बयान हैं, जिनके चलते वह सुर्खियों में बने रहते हैं। यही कारण है कि उनसे गठबंधन के बाद कांग्रेस दो फाड़ नजर आ रही है।
फुरफुरा शरीफ दरअसल पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के जंगीपारा विकासखंड में स्थित एक गांव का नाम है। यहां स्थित हजरत अबु बकर सिद्दीकी की दरगाह बंगाली मुसलमानों में काफी लोकप्रिय है। बहुत से मुसलमान इसे देश में अजमेर शरीफ के बाद दूसरा स्थान देते हैं। यहां पर हजरत अबु बकर सिद्दीकी के साथ ही उनके पांच बेटों की भी मजार है। यहां का उर्स भी काफी लोकप्रिय है। बंगाल में करीब 30 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं । इस बड़े आंकड़े और उसके महत्व को देखते हुए ही ममता और कांग्रेस दोनों ही मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं। इसीलिए अब्बास सिद्दीकी और उनके सेक्यूलर फ्रंट का महत्व बढ़ गया है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों को लेकर दंगल शुरू हो चुका है, लेकिन उससे पहले कांग्रेस पार्टी अंदरूनी घमासान से जूझ रही है। दरअसल, बंगाल में जीत हासिल करने के मकसद से कांग्रेस ने इस बार वामपंथी दलों के साथ-साथ अब्बास सिद्दीकी से हाथ मिलाया है। इसके बाद से ही कांग्रेस में आर-पार की जंग शुरू हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच बयानबाजी जारी है जिससे कांग्रेस की अंदरूनी कलह सबके सामने आ गई है। कौन हैं अब्बास सिद्दीकी, जिनसे हाथ मिलाते ही कांग्रेस में घमासान मच गया, जानते हैं इस रिपोर्ट में...