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Hindi News ›   Chhattisgarh ›   coal mine allocation case: Congress Leader Rahul Gandhi interference on the issue of coal mine allocation between Chhattisgarh and Rajasthan government

कोयला खदान आवंटन मामला: गहलोत-बघेल विवाद में अब राहुल गांधी की एंट्री, कांग्रेस की इंटरनल कमेटी निकालेगी हल

Rahul Sampal राहुल संपाल
Updated Mon, 28 Feb 2022 06:17 PM IST
सार

अमर उजाला को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दोनों राज्यों के बीच यह मुद्दा जटिल है। अगर छत्तीसगढ़ इजाजत देता है तो उस इलाके में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा और अगर इजाजत नहीं मिलती है तो उसे पावर सेक्टर में नुकसान होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दोनों राज्यों के सीएम से मुलाकात की थी...

अशोक गहलोत और भूपेश बघेल
अशोक गहलोत और भूपेश बघेल - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार में चल रहा कोयला खदान आवंटन का मसला अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दरबार तक पहुंच गया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मसले को लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के साथ बातचीत की है। हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद से अब राजस्थान सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले पर कोई हल निकल सकेगा। दरअसल, गहलोत सरकार छत्तीसगढ़ की परसा कोयला खदान को शुरू करने के लिए दबाव बना रही है। उनका तर्क है कि इस खदान के चालू नहीं होने से राज्य के बिजली घरों में कोयला संकट हो गया है।



अमर उजाला को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दोनों राज्यों के बीच यह मुद्दा जटिल है। अगर छत्तीसगढ़ इजाजत देता है तो उस इलाके में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा और अगर इजाजत नहीं मिलती है तो उसे पावर सेक्टर में नुकसान होगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दोनों राज्यों के सीएम से मुलाकात की थी। सूत्र ने आगे बताया कि बैठक में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ में परसा कोयला खदान आवंटन का मुद्दा उठाया और इस संबंध में सीएम को कई बार पत्र लिखने की बात भी रखी। जबकि छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल ने केंद्र सरकार से कुछ मामलों में मंजूरी नहीं मिलने, जमीन अधिग्रहण सहित आदिवासी समाज और पर्यावरणविदों के बढ़ते विरोध की जानकारी दोनों नेताओं के सामने रखी। इसके बाद राहुल गांधी ने दोनो नेताओं को आश्वस्त किया कि जल्द ही कांग्रेस पार्टी इस मसले पर आंतरिक कमेटी बनाएगी जो राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदान के संबंध में जायजा लेगी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही इस मसले पर कोई फैसला होगा।

छत्तीसगढ़ सरकार को यहां हो रही दिक्कत

दरअसल, उत्तर छत्तीसगढ़ के समृद्ध वन क्षेत्र हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है। इस खदान की क्षमता सालाना पांच लाख मीट्रिक टन की है। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ कोयला मंत्रालय भी इसे क्लीयरेंस दे चुका है, लेकिन यह खदान शुरू नहीं हो पाई है। स्थानीय आदिवासी और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी विवादित है। वहीं परियोजना को एनओसी जारी करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने ग्राम सभाओं के जिस सहमति प्रस्ताव को आधार बनाया है, उन पर फर्जी होने के आरोप हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर राज्यपाल तक इसकी शिकायत कर जांच की मांग कर रखी है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ सरकार कोल ब्लॉक को क्लीयरेंस नहीं दे रही है।

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