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Cadila Pharma launches first three dose rabies vaccine of the world claiming it will be a gamechanger
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ThRebis: कैडिला ने लॉन्च किया दुनिया का पहला तीन खुराक वाला रेबीज टीका, कहा- गेमचेंजर साबित होगी नई वैक्सीन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 08 Apr 2022 11:03 PM IST
सार
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अभी तक रेबीज के लिए जितने भी टीके हैं वो कम से कम पांच खुराक वाले हैं और पूरे कोर्स में 28 दिन का समय लगता है। कैडिला का नया टीका केवल तीन खुराकों वाला है और इसकी अवधि एक सप्ताह की है।
दिग्गज फार्मास्यूटिकल्स कंपनी कैडिला ने शुक्रवार को एलान किया कि इसने रेबीज के खिलाफ दुनिया का पहला तीन खुराकों वाला टीका विकसित कर लिया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 'ThRabis' नाम का यह टीका रिकॉम्बिनेंट नैनो-पार्टिकल आधारिक जी प्रोटीन टीका है। इस टीके का निर्माण वायरस जैसी पार्टिकल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किया गया है।
कैडिला फार्मास्यूटिकल्स के सीएमडी राजीव मोदी ने नए टीके के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा कि कि नया टीका एक गेम चेंजर साबित होगा क्योंकि वर्तमान में मौजूद सभी रेबीज टीकों में पांच इंजेक्शन लगाने की जरूरत होती है। इसमें 28 दिन का समय लगता है। वहीं, कैडिया के इस नए टीके की तीनों खुराकें एक सप्ताह के अंदर ही दी जानी होती हैं।
मोदी ने आगे कहा कि लंबे और जटिल खुराक शिड्यूल के चलते जानवरों के काटने का शिकार हुए कई लोग टीके का कोर्स पूरा नहीं कर पाते हैं। इससे कई मरीज असुरक्षित रह जाते हैं और उनके फिर से रेबीज से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। यह एक बहुत घातक स्थिति है। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन इस नए तीन खुराक वाले टीके से कई जानें बचाई जा सकेंगी।
हर साल रेबीज से दुनियाभर में जाती है करीब 59 हजार लोगों की जान
एक अनुमान के अनुसार हर साल दुनियाभर में रेबीज की वजह से लगभग 59 हजार लोगों की मौत होती है। इनमें से अधिकतर मामले एशिया और अफ्रीका में रहते हैं। कंपनी की ओर से जारी बयान के अनुसार उपलब्ध टीके का कोर्स पूरा न करने की वजह से अकेले भारत में ही हर साल जानवरों के काटने का शिकार हुए 20 हजार से अधिक लोगों की जान चली जाती है।
कंपनी की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार भारत में हर साल लगभग डेढ़ करोड़ लोग जानवरों के काटने का शिकार होते हैं। इनमें से अधिकतर मामले कुत्ते के काटने के होते हैं। एक सर्वे के अनुसार इनमें से केवल 30 लाख लोग ही डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। इनमें से भी 30 फीसदी लोग तीन डोज के बाद टीका नहीं लगवाते और 40 फीसदी आखिरी डोज नहीं लेते।
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