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BJP PM Modi is the savior for 8 years, since 2014 till now party custom maintained in all assembly elections
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BJP: आठ साल से मोदी ही तारणहार, 2014 से अब तक सभी विधानसभा चुनावों में पार्टी का रिवाज कायम
हिमांशु मिश्र, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 09 Dec 2022 05:02 AM IST
सार
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भाजपा ने गुजरात में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। हर बार की तरह जीत के पीछे पीएम मोदी का करिश्मा काम आया, लेकिन पार्टी के सामने राज्यों में मजबूत नेतृत्व जैसी चुनौतियां अब भी बरकरार हैं। वहीं, दूसरी ओर हिमाचल में कांग्रेस की जीत और गुजरात में आप की दस्तक से विपक्ष की उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन विपक्षी एकता की राह आसान होती नजर नहीं आ रही...
भाजपा मुख्यालय में पीएम मोदी और अध्यक्ष जेपी नड्डा।
- फोटो : Twitter@BJP4India
गुजरात में सत्ता बरकरार रखने के साथ सबसे बड़ी जीत हासिल करने का भाजपा का सपना पूरा हो गया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में पार्टी उत्तराखंड की तर्ज पर हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन की परंपरा नहीं तोड़ पाई। गुजरात में प्रचंड जीत के बाजवूद पार्टी की बीते करीब आठ साल से जारी सबसे बड़ी चुनौती अब भी कायम है। चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में राज्य नेतृत्व पार्टी के काम नहीं आ रहा। अन्य राज्यों की तरह इन राज्यों में भी पार्टी हमेशा की तरह लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आसपास नहीं पहुंच पाई है।
दरअसल साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में बस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही पार्टी के लिए तारणहार साबित हुए हैं। अपवादस्वरूप एक-दो राज्यों को छोड़ दें तो काम करने की खुली आजादी, केंद्रीय नेतृत्व के पूर्ण सहयोग के बावजूद पार्टी राज्यों में ऐसा नेतृत्व खड़ा नहीं कर पाई, जो चुनावी वैतरणी पार कराने में मदद करे।
लोकसभा के प्रदर्शन से बहुत दूर रही पार्टी
गुजरात में ऐतिहासिक जीत और हिमाचल में मिली हार में एक समानता है। दोनों ही राज्यों में पार्टी लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आसपास भी नहीं पहुंच पाई। गुजरात में पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव के मामले 2017 के विधानसभा चुनाव में 10 फीसदी वोट कम मिले थे तो इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बावजूद वोट शेयर 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले आठ फीसदी कम है। हिमाचल में तो बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी को 23 फीसदी कम वोट मिले हैं। गुजरात में बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी के वोट बढ़े, मगर हिमाचल में बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले भी चार फीसदी कम वोट मिले हैं।
आठ वर्ष से एक ही ट्रेंड मोदी है, तो मुमकिन है
आठ सालों में हुए लोकसभा के दो और विधानसभा के कई चुनाव परिणाम ने साबित किया कि चुनाव में जीत के लिए मोदी का करिश्मा ही है। बीते लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवा दी थी। हालांकि, इसके चंद महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने इन राज्यों में करीब-करीब क्लीन स्वीप किया था। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में पार्टी बुरी तरह हारी, मगर लोकसभा में पार्टी के सभी सांसद जीते। हिमाचल प्रदेश ने भी यही ट्रेंड दोहराया है।
नेतृत्व परिवर्तन से भी नहीं बन रही बात
पार्टी की मुश्किल यह है कि राज्य नेतृत्व को पूरी छूट और नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद राज्यों में ठोस नेतृत्व नहीं उभर रहा। मसलन उत्तराखंड में पार्टी ने दो बार नेतृत्व परिवर्तन किया, बावजूद इसके मुख्यमंत्री पुष्कर धामी अपनी सीट नहीं बचा पाए। गुजरात में आठ साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद कद्दावर नेतृत्व खड़ा नहीं कर पाई। यही हाल झारखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा का रहा है।
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