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Aazam Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Shravan Tiwari Jimmy Shergill Abhimanyu Singh Indraneil Sengupta
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Aazam Review: बड़े परदे पर जिमी शेरगिल का फिर नहीं जमा जलवा, भाई से बाप बनने की कोशिशों की अधपकी कहानी
जिमी शेरगिल
,
अभिमन्यु सिंह
,
इंद्रनील सेनगुप्ता
,
गोविंद नामदेव
,
रजा मुराद
,
अनंग देसाई
और
शिशिर शर्मा
लेखक
श्रवण तिवारी
निर्देशक
श्रवण तिवारी
निर्माता
टी बी पटेल
रिलीज:
26 मई 2023
रेटिंग
2/5
जिमी शेरगिल काबिल अभिनेता हैं। और, अभिनेता को अपने किरदारों के साथ लगातार प्रयोग करते ही रहने चाहिए। इस मायने में फिल्म ‘आजम’ में उन्होंने जो किरदार निभाया है, वह उनकी अदाकारी के लिए एक नई लकीर खींचने का अच्छा मौका है। मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर बनी कहानियों से हिंदी सिनेमा लंबे समय तक आंख मिचौली खेलता रहा है। इस सिनेमा से ही एंग्री यंगमैन भी निकला, भीकू म्हात्रे भी और सुभाष नागरे भी। अब बारी जावेद की है। बड़े परदे पर रिलीज हुई किसी फिल्म में लीड रोल किए जिमी शेरगिल को अरसा हो चुका है। उनके लिए हिंदी सिनेमा की बड़े बजट की फिल्मों में छोटे रोल बचते हैं और छोटे बजट की जिन फिल्मों में उन्हें बड़े रोल मिलते हैं, उनकी पहुंच में सिनेमा का आम दर्शक होता नहीं है। जिमी के करियर की जलेबी इसी गोल गोल चक्कर में पिछले 20 साल से घूम रही है।
आजम में जिमी शेरगिल
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
मुंबई का किंग कौन,…?
फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ के जहीर के बाद जिमी शेरगिल अब जावेद पर आए हैं। दक्षिण मुंबई के उस इलाके की कहानी में, जहां से कहते हैं कि मुंबई का अंडरवर्ल्ड चलता आया है। सुल्तान को मारकर डॉन की कुर्सी पर बैठे नवाब की तबियत नाजुक है। उसका अंत निकट है। सियासत को एक नया डॉन चाहिए जो उनके सामने घुटनों के बल बैठा रहे। बैठक होती है। शहर के अलग अलग इलाकों के छत्रप मिलते हैं और जिसके नाम पर सहमति बनती है, उसी को डॉन के बेटे से मिलकर जावेद निपटा देता है। फिर एक एक कर बाकी छत्रप मारे जाते हैं। सत्ता को समझ आता है कि उन्होंने दांव ही गलत प्यादे पर चला। शतरंज का खिलाड़ी एक पुलिस अफसर भी इस रेस के आखिरी चक्कर में आ शामिल होता है। कहानी एक रात की है। लेकिन, इसकी तैयारी बहुत पुरानी है। अंडरवर्ल्ड का खेल मोबाइल के दौर में हैकिंग के सहारे खेला जाता है और मामला कहीं कहीं बहुत दिलचस्प भी हो जाता है।
जिमी शेरगिल
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
फ्लैशबैक ने खराब की कहानी
फिल्म ‘आजम’ को लिखा और निर्देशित किया है श्रवण तिवारी ने। श्रवण ही फिल्म के संपादक भी हैं लेकिन ठीक ठाक बनी किसी फिल्म को उसका सिर्फ बैकग्राउंड म्यूजिक कैसे निपटा सकता है, उसका सबक ये फिल्म है। श्रवण तिवारी ने फिल्म लिखी बहुत ही दिलचस्प अंदाज में है। दो घंटे की इस फिल्म का आधा हिस्सा इतनी रफ्तार से भागता है कि लगता है, अरसे बाद कोई ढंग की क्राइम थ्रिलर देखने को मिली है। लेकिन, सरपट भागती इस फिल्म के सामने इसके बाद आते हैं फ्लैशबैक के बड़े बड़े गड्ढे। जावेद बीच बीच में इतनी बीती हुई कहानियां सुनाने लगता है कि न सिर्फ फिल्म देखने का मजा खराब होता है बल्कि उसका अपना किरदार भी कमजोर होता जाता है। फिल्म का हीरो ही अगर जिमी शेरगिल है तो जाहिर है फिल्म के बाकी कलाकार सयाजी शिंदे, मुश्ताक खान और अली खान जैसे ही हो सकते हैं।
जिमी शेरगिल
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
वजीर नहीं प्यादों का खेल
जिमी शेरगिल को फिर से मेन लीड वाली फिल्में दिला सकने वाली फिल्म ‘आजम’ उनकी इस मिशन में मदद नही कर पाती है। वह फिल्म के सूत्रधार बनकर रह जाते हैं। फिल्म में हीरो का काम उनके पास नहीं है। और, ऐसा इसलिए क्योंकि कहानी में जब भी, जहां भी इसे एक मोड़ देने के लिए जो कुछ भी हो रहा है, वहां उनका किरदार मौजूद नहीं है। बस कहानी की शुरुआत में नन्या और फिर कादर की मौत को छोड़कर। परदे के पीछे से दिमागी खेल खेलने वाले नायकों की तादाद सिनेमा में बढ़ रही है। इस लिहाज से ये फिल्म जिमी शेरगिल के लिए मददगार होती भी बशर्ते ये खेल उनका किरदार किसी सार्थक काम के लिए खेल रहा होता। दर्शकों का इस किरदार के साथ सामंजस्य बैठना मुश्किल है क्योंकि यहां पूरी लड़ाई डॉन की कुर्सी पाने के लिए है, और ये लड़ाई भी ब्लैकमेलिंग के जरिये मजबूर किए गए मोहरों से लड़ी जा रही है।
जिमी शेरगिल
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
काबिले तारीफ सिनेमैटोग्राफी
श्रवण तिवारी ने बतौर तकनीशियन फिल्म ‘आजम’ में काम अच्छा करके दिखाया है। फिल्म बनाने मे उनको अपने सिनेमैटोग्राफर रंजीत साहू की बहुत अच्छी मदद मिली है। अधिकतर एक ही रात में घटती इस फिल्म में प्रकाश संयोजन रचने में साहू की टीम ने काबिले तारीफ काम किया है। उनकी फ्रेमिंग, उनके कट्स और उनके कैमरा मूवमेंट्स प्रभावित करते हैं। हालांकि, आखिरी सीन में क्रेन पर रखे कैमरे के घूमते समय शूटिंग के समय रखा मॉनिटर भी फ्रेम में दिखता है और संपादन के समय वह हिस्सा फ्रेम को एनलार्ज करके हटाया भी जा सकता था लेकिन शायद इसे नजर उतारने के लिए हुई गलती मानकर श्रवण ने फिल्म में बनाए रखा है।
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