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MCD Elections : चुनाव नतीजों के बाद शुरू हुई सत्ता की सियासत. मेयर को लेकर भाजपा के दावे का आधार और अगर-मगर

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 08 Dec 2022 05:31 AM IST
सार

MCD Elections: 100 का आंकड़ा पार करने वाली पार्टी अब सदन में चौथी बार सत्ता हासिल करने की कवायद में है। बुधवार को सांसद गौतम गंभीर का यह बयान आने के बाद कि कूड़े का पहाड़ तो भाजपा ही खत्म करेगी, दिल्ली की सियासत में खलबली मच गई। सब इसके अपने मायने-मतलब निकालने में लगे हैं।

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demo pic... - फोटो : ANI

विस्तार

एमसीडी चुनाव में भाजपा बेशक बहुमत के आंकड़े से दूर रही, लेकिन निगम की सत्ता हथियाने की दौड़ में पीछे नहीं है। 100 का आंकड़ा पार करने वाली पार्टी अब सदन में चौथी बार सत्ता हासिल करने की कवायद में है। बुधवार को सांसद गौतम गंभीर का यह बयान आने के बाद कि कूड़े का पहाड़ तो भाजपा ही खत्म करेगी, दिल्ली की सियासत में खलबली मच गई। सब इसके अपने मायने-मतलब निकालने में लगे हैं। 



वहीं, पार्टी कार्यालय में केंद्रीय पदाधिकारियों से लेकर प्रमुख नेताओं ने लगातार बैठक की। जीते हुए पार्षदों को भी प्रदेश कार्यालय बुलाकर नेताओं ने जो टिप्स दिए उससे भी जाहिर है कि अंदरखाने भाजपा की खिचड़ी मेयर बनाने को लेकर पक रही है। उधर, सियासत में हलचल मिलने के बाद आप आदमी पार्टी ने भी इस पर अपने अंदाज में प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि हिम्मत है तो भाजपा निगम में अपना मेयर बनाकर दिखाए।


 इससे पहले चुनावी परिणाम हक में न होने के बावजूद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, मीडिया रिलेशन प्रमुख हरीश खुराना, चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक आशीष सूद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर, यासिर जिलानी सहित अन्य सभी नेता आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। भाजपा नेता यह कहने से भी नहीं चूके कि जितने विपरीत दावे एग्जिट पोल और अन्य स्थान पर चर्चा में थे, उससे कहीं अधिक अच्छा प्रदर्शन पार्टी ने किया है।

इसलिए पार्टी सत्ता में बने रहना चाहती है
भाजपा नेता अपने पुरानी गलती को दोहराने के पक्ष में नहीं हैं। दिल्ली विधानसभा (2013) के चुनाव में भाजपा 32 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन जादुई आकड़ा नहीं होने से कांग्रेस के समर्थन पर आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा जोड़तोड़ कर सरकार बनाने की जगह चुनाव कराने के पक्ष में थी। इसके बाद के चुनाव में आम आदमी पार्टी लगातार परचम लहराती रही और आज दो राज्यों में सरकार चला रही है। इससे सबक लेते हुए भाजपा यह गलती दोबारा नहीं करेगी।

दल-बदल कानून नहीं लागू होता
हाल ही में संसद में एकीकरण के निमित्त संशोधित डीएमसी एक्ट में भी दल-बदल कानून का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। यह भी साफ किया गया है कि मनोनीत सदस्यों को मत देने का अधिकार नहीं है। इस तरह से निर्वाचित 250 पार्षद, प्रशासक द्वारा मनोनीत 10 विशेषज्ञ सदस्य व स्पीकर द्वारा 14 विधायकों को मिलाकर 274 सदस्यों वाला दिल्ली नगर निगम का सदन होगा। दल-बदल कानून लागू नहीं होने से मेयर के चुनाव में कोई भी पार्षद किसी भी दल के मेयर उम्मीदवार के पक्ष में वोट दे सकता है। इसके लिए किसी तरह की व्हीप पार्टी की तरफ से जारी नहीं होता है। सदन में पार्षद अनुपस्थित भी रह सकता है। जिस दल के मेयर के लिए वोटिंग की गई होगी, वह अवश्य मेयर बन सकता है। एकप्रकार से इसे क्रॉस वोटिंग कह सकते हैं।

पार्टी आलाकमान की हरी झंडी की चर्चा
चर्चा यह भी है कि इसके लिए पार्टी आलाकमान ने भी हरी झंडी दे दी है, ताकि निर्दलीय पार्षदों के अलावा अन्य भी भाजपा के मेयर के लिए पक्ष में खड़े होने से परहेज न करें। इसके लिए कुछेक वरिष्ठ पदाधिकारियों को विशेष तौर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। लगातार आप के बढ़ रहे ग्राफ को रोकने के लिए एमसीडी की सत्ता में मेयर बनाना बेहद जरूरी है। वैसे भाजपा प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक व जम्मू-कश्मीर के सह प्रभारी आशीष सूद की मानें तो निगम की पहली बैठक जनवरी में होगी और तभी मेयर का भी चुनाव होगा। मेयर के चुनाव में सांसद और विधायक भी वोट देते हैं।
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अंतरात्मा की आवाज सुनें पार्षद
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने साफ किया है कि मेयर चुनाव में दल-बदल कानून लागू नहीं होता। ऐसे में कोई भी पार्षद अंतरात्मा की आवाज पर भी मदद करने के लिए स्वतंत्र होता है। मेयर का चुनाव भी होना अभी बचा है। इस चुनाव के वक्त कुछ भी संभव है, क्योंकि चुने गए पार्षद दिल्ली के बेहतरी के लिए काम करेंगे। नाम लिए बगैर कहा कि दिल्ली की बेहतरी चाहने वाले जो भी लोग हैं, वह भाजपा के साथ खड़े नजर आएंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि भाजपा सकारात्मक रूप से जनता की समस्या उठाती रहेगी। दिल्ली की जनता से 104 वार्ड में विजयी बनाकर सशक्त विपक्ष का दायित्व सौंपा है। भाजपा इसकी जिम्मेदारी उठाती रहेगी।

निर्दलीय ही नहीं, अपने-पराये पर ही होगी नजर
डीएमसी एक्ट के अनुसार पहला मेयर कोई महिला होगी जो तीन महीने के लिए रहेगी। निर्दलीय पार्षदों पर भी निगाह रखी जा रही है। बताया जा रहा है कि दो पार्षद भाजपा के बागी हैं, उनकी घर वापसी कराई जाएगी। इसी तरह एमसीडी में कई ऐसे पद हैं जिन पर पार्षदों की निगाह रहती है। जीत के आए पार्षदों को भाजपा ने एकत्रित रहने का मूलमंत्र दिया है। भाजपा ने कहा है कि संगठन की मजबूती आप लोग ही हो। बैठक में उन्हें उत्साहित किया गया और बधाई भी दी गई कि आम आदमी पार्टी की लहर में बेहतर प्रदर्शन का मतलब है कि इलाके में अच्छी और साफ सुथरी पकड़। यह भी कहा गया है कि किसी तरह के प्रलोभन में भी रहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मेयर तो भाजपा का ही बनेगा।

भाजपा को खुला चैलेंज, मेयर बनाकर दिखाओ
मेयर पद को लेकर भाजपा में चल रही सियासत हलचल के बाद आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने खुली चुनौती दी है कि अगर हिम्मत हो तो भाजपा अपना मेयर बनाकर दिखाए। गोपाल ने कहा कि साल 2013 में भी भाजपा ने आप के विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की थी, लेकिन उस समय भी सफल नहीं हो पाए थे। हमारे नेता उस समय भी ईमानदार थे और अब भी पार्टी के प्रति वफादार हैं। हम झूठे आरोप और जेल जाने से नहीं डरते। हमें झूठे मुकदमों से डरा नहीं सकते। निगम चुनाव से पहले इन्होंने हमारे मंत्री को जेल भेजा। उपमुख्यमंत्री के घर पर छापा डलवाया। फर्जी वीडियो जारी किए, लेकिन जनता ने में जीत दिलाई। दिल्लीवालों को इन झूठे और फर्जी वीडियो से कोई लेना-देना नहीं था। वे केवल काम मांगते हैं जो केवल केजरीवाल की सरकार ही कर सकती है।

मेयर भी आप का होगा: संजय सिंह
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा चाहे कुछ भी कर ले। निगम में मेयर भी आप का बनेगा। पिछले चुनाव से इस बार आप को 80 सीटें ज्यादा मिली हैं, जबकि भाजपा 80 सीटें गवां गईं। दिल्लीवालों ने केजरीवाल पर विश्वास जताया है और अब उनका मेयर ही निगम को चलाएगा।

पार्षदों के आ रहे फोन: सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि भाजपा का खेल शुरू हो गया है। आप पार्षदों को फोन आने लगे हैं। हमने पार्षदों को कह दिया है कि कोई फोन आए तो रिकार्डिंग कर लो।

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